पटना, (ताज़ा) — बिहार की राजनीति में फिर एक बार मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर हलचल तेज हो गई है। रालोशनल डेमोक्रेटिक पार्टी (RJD) के राष्ट्रीय नेता तेजस्वी यादव ने स्पष्ट रूप से कहा है कि महागठबंधन (इंडिया गठबंधन) बिना मुख्यमंत्री पद के किसी स्पष्ट चेहरे के चुनाव नहीं लड़ेगा। यह टिप्पणी उन्होंने अपनी हालिया पूरक अधिकार यात्रा के दौरान की, जो उन इलाकों में आयोजित की गई जहाँ उनकी पिछली विपक्षी पदयात्रा नहीं पहुंच पाई थी।
तेजस्वी का सशक्त संदेश: “क्या हम भाजपाई हैं…?”
तेजस्वी ने सार्वजनिक रूप से तंज कसते हुए पूछा, “क्या हम भाजपाई हैं कि बिना चेहरे के चुनाव लड़ेंगे?” उनका यह बयान गठबंधन के भीतर सत्ता-नेतृत्व के सवाल पर उनकी गंभीर नीयत को जाहिर करता है। तेजस्वी ने कहा कि मुख्यमंत्री होना ही लक्ष्य नहीं है — मकसद बिहार को बदलना और बेहतर शासन देना है — लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ दिया कि सीट बंटवारे के बाद ही मुख्यमंत्री पद का चेहरा तय किया जाएगा: “थोड़ा इंतजार कीजिए, फैसला जनता करेगी।”
नीतीश सरकार पर तीखा हमला — “नकली मुख्यमंत्री” वाले तंज
31 अगस्त को आरा में आयोजित रैली में तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाना बनाया और कहा कि वर्तमान सरकार एक “नकलची सरकार” है। उन्होंने लोगों से पूछा कि क्या वे “डुप्लीकेट सीएम” चाहिए या असली मुख्यमंत्री — इस तरह के बयान से यह संकेत मिलता है कि तेजस्वी खुद को महागठबंधन का संभावित नेतृत्वकर्ता और मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में देख रहे हैं।
कांग्रेस का संतुलित रुख — निर्णय “सौजन्य व परामर्श” से
कांग्रेस ने अभी तक मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई स्पष्ट दावा नहीं पेश किया है। नेता राहुल गांधी ने मीडिया से कहा कि इंडिया गठबंधन के सभी सहयोगी दल आपसी सम्मान व सहयोग की भावना के साथ चुनाव लड़ेंगे और नतीजे सकारात्मक होंगे। राहुल के इस तेवर से स्पष्ट है कि कांग्रेस फिलहाल संयम बरतते हुए गठबंधन के भीतर सहमति और समन्वय पर जोर दे रही है — निर्णायक घोषणा बाद में होने की संभावना बरकरार है।
गठबंधन की चुनौती: सीट बंटवारा और निष्कासित नेताओं का मुद्दा
बिहार के सियासी समीकरणों में अभी भी कई जटिलताएँ हैं — सीटों का बंटवारा, छोटे दलों का साथ, तथा कुछ नेताओं का पार्टी से निष्कासन या अलगाव — ये सब महागठबंधन को जोड़कर रखने हेतु निर्णायक होंगे। तेजस्वी ने संकेत दिया कि सीट बंटवारे के बाद ही मुख्यमंत्री चेहरे के मसले पर अंतिम सहमति बनेगी, जिसका मतलब यह भी है कि फिलहाल राजनीतिक संवाद और मसौदा-वार्ता जारी रहेंगी।
संभावित राजनीतिक निहितार्थ
तेजस्वी की सार्वजनिक दावेदारी महागठबंधन के भीतर उनकी स्थिति मज़बूत करने की कोशिश मानी जा सकती है — इससे गठबंधन वार्ताओं में उनकी टीम का दबदबा बढ़ सकता है।
कांग्रेस का संतुलन गठबंधन को एक साथ रखने में अहम रोल निभा सकता है; उनका ‘सभी साथ में’ वाला रुख निर्णय प्रक्रिया को धीमा कर सकता है पर समेकित भी कर सकता है।
सीट-बंटवारे के बाद चेहरा तय करने का फ़ैसला मतदाताओं के बीच गठबंधन की रणनीति, स्थानीय समीकरण और जातीय गणित को ध्यान में रख कर लिया जाएगा — विशेषकर उन जिलों में जहाँ पहचान और उम्मीदवार का प्रभाव निर्णायक होता है।
तेजस्वी यादव की हालिया टिप्पणियों ने बिहार के चुनावी परिदृश्य में एक स्पष्ट संदेश भेजा है — महागठबंधन बिना मुख्यमंत्री चेहरा तय किये चुनाव नहीं लड़ना चाहता। परन्तु वास्तविक निर्णय सीट-बंटवारे, गठबंधन वार्ताओं और सहयोगी दलों की सहमति पर निर्भर करेगा। आने वाले हफ्तों में इन वार्ताओं की गति और सार्वजनिक बयान इस बात का संकेत देंगे कि बिहार में महागठबंधन किस रूप में मैदान में उतरेगा।