भोपाल — मध्य प्रदेश के सहकारिता, खेल और युवा कल्याण मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने इस साल अपने पारंपरिक रक्षाबंधन आयोजन को एक राजनीतिक-सामाजिक अभियानी रूप दे दिया है। सारंग ने कहा कि वे अपनी वार्षिक राखी-सभाओं को अब “लव जिहाद और नशे” जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जागरूकता और बचाव अभियान के तौर पर समर्पित कर रहे हैं और इस मकसद से “विश्वास विजय वाहिनी” का गठन किया गया।
लाखों बहनों का समर्थन; आयोजन का दायरा और मकसद
सारंग बताते हैं कि उनके नरेला विधानसभा क्षेत्र और भोपाल के अन्य हिस्सों में चलने वाले रक्षाबंधन-महोत्सव में वर्षों से बड़ी संख्या में महिलाएँ और बहन-बहनोइयाँ उनसे राखी बाँधती आई हैं — पार्टी की ओर से साझा किए गए आँकड़ों में भी लाखों बहनों के जुड़ने का दावा किया गया है। सारंग ने कहा कि इन्हीं आयोजनों के माध्यम से सामाजिक चेतना फैलाने का प्रयास है और इस बार यह कार्यक्रम विशेष रूप से “लव जिहाद व नशे” के खिलाफ समर्पित किया गया।
सारंग के मुख्य आरोप — क्या कहा गया?
मंत्री सारंग ने मंच से आरोप लगाए कि कुछ संगठित तत्वों द्वारा हिंदू लड़कियों को प्रेम के बहाने फंसाकर धर्म परिवर्तन करवाने का प्रयास होता है; साथ ही उन्होंने नशे के जाल और सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों के मामलों को भी ‘लैंड जिहाद’ जैसे शब्दों से आतंकित करने की बात कही। उन्होंने कहा कि बीमारी की पहचान के बिना इलाज असंभव है, इसलिए पहले समस्या की पहचान करना ज़रूरी है और समाज को मिलकर इसका मुकाबला करना होगा।
भाषा-शैली और विवादास्पद बयान — आलोचना भी तेज़
सारंग के कड़े और कभी-कभी उत्तेजक अंदाज़ के बयानें मीडिया और विपक्ष के निशाने पर रहे हैं। पिछले महीनों में उनके कुछ कटु बयानों ने विवाद पैदा किए थे — मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उनका एक बयान-परिवेश इतना तीव्र रहा कि विपक्ष ने इसे समाज में दरारें पैदा करने वाला और उकसावन बताया है। कांग्रेस और अन्य आलोचक कहते हैं कि ऐसी भाषा साम्प्रदायिक तनाव बढ़ा सकती है और कानून के दायरे में रहने की आवश्यकता है।
कार्रवाई और सवाल — कानून, समाज और प्रशासन की भूमिका
सारंग ने कहा कि धर्म बदलवाने जैसे मामलों के लिए कानून बने हुए हैं और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए; साथ ही उन्होंने समाज से भी सक्रिय रुख अपनाने का आह्वान किया। दूसरी ओर, नागरिक-समूहों और कुछ सिविल-सोसायटी ने आगाह किया है कि संवेदनशील विषयों पर जन जागरण के नाम पर की जा रही अभिव्यक्ति और कठोर कथन-नीति सामाजिक समरसता पर असर डाल सकती है और इसे सावधानी से संभालने की ज़रूरत है।
राजनीतिक संदेश और सामाजिक चुनौतियाँ
विश्वास सारंग का रक्षाबंधन-अभियान सामाजिक मुद्दों को मुख्यधारा में लाने का एक प्रयास भी है और राजनीतिक संकेत भी देता है। जहाँ एक ओर वे लाखों बहनों के जुड़ाव का ज़िक्र कर सामाजिक समर्थन दिखाते हैं, वहीं विपक्ष और विश्लेषक इसे विभाजनकारी राजनीति की दिशा में उठाया गया कदम मानते हैं। इस अभियान के आगे के स्वर—क्या यह कानून-व्यवस्था की ओर असर डालेगा, या सामाजिक समरसता पर नया तनाव बढ़ेगा—यह देखने की बात होगी।