Wednesday, October 8, 2025
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130वें संविधान संशोधन विधेयक पर ममता बनर्जी का हमला, बोलीं – “यह लोकतंत्र पर हिटलरी हमला, जनता के अधिकारों की हत्या”

कोलकाता/नई दिल्ली — पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार द्वारा संसद में पेश किए गए 130वें संविधान संशोधन विधेयक को देश के लोकतंत्र और संघीय ढांचे पर सबसे बड़ा हमला करार दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स (X) पर ट्वीट कर कहा कि यह कदम “एक व्यक्ति-एक दल-एक सरकार” की व्यवस्था थोपने की कोशिश है और लोकतंत्र की आत्मा पर सीधा वार है।

“महा-आपातकाल से भी बड़ा खतरा”

ममता बनर्जी ने कहा कि यह संशोधन विधेयक न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर कर रहा है। उन्होंने लिखा —
“मैं भारत सरकार द्वारा आज पेश किए गए 130वें संविधान संशोधन विधेयक की कड़ी निंदा करती हूं। यह महज संशोधन नहीं बल्कि महा-आपातकाल से भी बड़ा कदम है, जो भारत के लोकतांत्रिक युग का अंत कर देगा। यह भारत में संघवाद और लोकतंत्र की मृत्यु-घंटी है।”

मताधिकार और न्यायपालिका पर प्रहार

मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि “विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR)” जैसे प्रावधानों के नाम पर आम नागरिकों के मताधिकार को दबाने की कोशिश हो रही है। यह विधेयक न्यायपालिका को उसकी संवैधानिक भूमिका से वंचित कर देगा और अदालतों की वह शक्ति छीन लेगा जिसके तहत वे केंद्र-राज्य के बीच संतुलन और नागरिक अधिकारों की रक्षा करती रही हैं।

उन्होंने कहा कि अगर यह संशोधन पास हो गया तो देश में न्यायिक समीक्षा और संवैधानिक सुरक्षा उपाय ध्वस्त हो जाएंगे और कानून स्वतंत्र न्यायालयों की बजाय पक्षपाती और निहित स्वार्थों के हाथों में चला जाएगा।

“हिटलरी हमला और संवैधानिक शासन पर मृत्युदंड”

ममता ने इस विधेयक को भारतीय लोकतंत्र पर “हिटलरी हमला” बताते हुए कहा कि यह सुधार नहीं बल्कि प्रतिगमन है। उन्होंने लिखा —
“न्यायालय को कमजोर करना यानी जनता को कमजोर करना। यह विधेयक संविधान के मूल ढांचे — संघवाद, शक्तियों का पृथक्करण और न्यायिक समीक्षा — पर प्रहार करता है। अगर इसे पारित होने दिया गया तो यह भारत में संवैधानिक शासन का मृत्युदंड होगा।”

केंद्र को मिली ‘अनिर्वाचित ताकतों’ के जरिये शक्ति

ममता ने आगे कहा कि यह विधेयक केंद्र सरकार को निर्वाचित राज्य सरकारों के कामकाज में दखल देने का अधिकार देता है। उन्होंने ईडी और सीबीआई का जिक्र करते हुए कहा कि जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने कभी ‘पिंजरे का तोता’ कहा था, उन्हें अब अनियंत्रित शक्ति देने का प्रयास हो रहा है। यह सब प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री को “अत्यधिक शक्तिशाली” बनाने की साजिश है।

“लोकतंत्र की रक्षा के लिए हर कीमत पर विरोध जरूरी”

ममता बनर्जी ने साफ कहा कि इस विधेयक का हर स्तर पर विरोध होना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी —
“हमारा संविधान किसी अस्थायी सत्ताधारी की निजी संपत्ति नहीं है, यह जनता का है। इस संशोधन का उद्देश्य लोकतंत्र की हत्या कर एक व्यक्ति-एक दल-एक सरकार की व्यवस्था थोपना है। जनता अपने अधिकार और न्यायालयों को छीनने के किसी भी प्रयास को कभी माफ नहीं करेगी। हमें अभी लोकतंत्र बचाना होगा।”

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VIKAS TRIPATHI
VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
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