नई दिल्ली — पिछले महीने अचानक स्वास्थ्य कारण बताकर इस्तीफा देने के बाद से गायब बताए जा रहे पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ दरअसल दिल्ली के ही उपराष्ट्रपति एन्क्लेव (Vice-President Enclave) में ही रह रहे हैं। यह जानकारी मीडिया रिपोर्टों और आधिकारिक नियुक्ति के हवाले से सामने आई है।
क्या खुलासा हुआ?
सूत्रों और सार्वजनिक रेकॉर्ड के अनुसार धनखड़ 21 जुलाई को इस्तीफा देने के बाद सार्वजनिक रूप से अनुपस्थित रहे, पर वे अपना प्रवास वहीं बनाए रखे हैं जहाँ वे पहले रह रहे थे — चर्च रोड स्थित वाइस-प्रेसिडेंट एन्क्लेव, जो सेंट्रल विंस्टा परियोजना के तहत निर्मित आवास/कार्यालय परिसर का हिस्सा है।
राज्यसभा सचिवालय ने 6 अगस्त को कौस्तुभ (कौस्तुभ) सुधाकर भालेकर को पूर्व उपराष्ट्रपति का निजी सचिव नियुक्त किया — इस नियुक्ति को सरकारी कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है और इससे संकेत मिलता है कि धनखड़ के कार्यालय से जुड़ी व्यवस्थाएँ कायम हैं।
कुछ खबरों के अनुसार धनखड़ ने उपराष्ट्रपति के रूप में पिछले साल अप्रैल में ही चर्च रोड के एन्क्लेव में शिफ्ट किया था; इस्तीफे के बाद मीडिया में यह भी चर्चा थी कि वे टाइप-8 सरकारी बंगले में शिफ्ट हो सकते हैं — पर अब तक ऐसा शिफ्टिंग नहीं हुआ है और वे एन्क्लेव में ही रहे।
क्यों बढ़ीं आशंकाएँ — विपक्ष का दबाव
इस्तीफे के बाद धनखड़ की सार्वजनिक अनुपस्थिति पर विपक्षी नेता सक्रिय रहे। शिवसेना (UBT) के संजय राउत ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर उनकी लोकेशन और सेहत के बारे में आधिकारिक स्पष्टीकरण माँगा था और हैबियस कॉर्पस दायर करने तक की चेतावनी दी थी। वरिष्ठ वकील-राजनीतिज्ञ कपिल सिब्बल ने भी इसकी नुमाइश करते हुए कहा था कि कई दिन बीत जाने के बाद भी पता नहीं चल रहा कि पूर्व उपराष्ट्रपति कहाँ हैं — और इसपर संदेह उठाया था कि पारदर्शिता क्यों नहीं दिखाई जा रही।
आधिकारिक संकेत और बचे सवाल
राज्यसभा सचिवालय की आधिकारिक नियुक्ति और उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में बने रहने का खुलासा इस बात का संकेत देता है कि धनखड़ पूरी तरह ‘गायब’ नहीं हैं और उनके आसपास प्रशासनिक व्यवस्था बरकरार है। फिर भी कई पहलू अस्पष्ट बने हुए हैं — सार्वजनिक बयान का अभाव, स्वास्थ्य के संबंध में आधिकारिक जानकारी का अभाव और उनके ठिकाने या मिलने की शर्तों पर पारदर्शिता न होना अभी भी सवाल खड़ा करता है।
परिणाम/निष्कर्ष
अधिकारिक नियुक्ति और आवास संबंधी जानकारियाँ मिलने के बावजूद विपक्ष और नागरिक समाज के कुछ हिस्से पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं। राजनीतिक दलों ने स्पष्ट जवाब माँगा है — खासकर यह कि पूर्व उपराष्ट्रपति का स्वास्थ्य कैसा है, वे किन परिस्थितियों में हैं और क्या वे सार्वजनिक तौर पर किसी स्पष्टीकरण देना चाहेंगे। सरकार या संबंधित कार्यालय से इस पर और ठोस जानकारी मिलने तक सवाल बने रहेंगे।