लखनऊ/कौशांबी — समाजवादी पार्टी (सपा) ने अपने विधायक पूजा पाल को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। मामला उस समय गरमा गया जब विधानसभा में विकास पर चर्चा के दौरान पूजा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीतियों की खुलेआम तारीफ़ करते हुए कहा था कि उनकी “जीरो टॉलरेंस” नीति ने अतीक अहमद जैसे अपराधियों के खिलाफ पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने में मदद की। एक दिन के भीतर सपा ने उन पर यह कार्रवाई कर दी।
क्या कहा था पूजा ने — शब्दों का विवाद
विकसित यूपी 2047 विषय पर सदन में बोलते हुए पूजा पाल ने कहा, “मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति ने मुझ जैसी कई महिलाओं को न्याय दिलाया है। अतीक अहमद जैसे अपराधियों के विरुद्ध कार्रवाई हुई है और पीड़ित परिवारों को न्याय मिल पाया।” इस टिप्पणी का असर तुरंत दिखाई दिया और पार्टी नेतृत्व ने इसे पार्टी रुख के खिलाफ बताया।
पूजा का जवाब — मैं पीड़ितों की आवाज़ हूँ
निष्कासन के बाद पूजा पाल ने कहा कि वे उन गरीब व बेसहारा माताओं-बहनों की आवाज़ हैं जिन्होंने उन्हें विधानसभा भेजा है। उन्होंने फिर से दोहराया कि उन्होंने केवल सच कहा और राज्य में पीड़ित परिवारों के साथ न्याय हुआ, इसलिए उन्होंने धन्यवाद व्यक्त किया। पूजा ने यह भी कहा कि उनका किसी विपक्षी या सत्तासीन दल में शामिल होने का अब कोई इरादा नहीं है।
पृष्ठभूमि — पूजा पाल कौन हैं?
पूजा पाल कौशांबी के चायल विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।
उनका जीवन संघर्ष से जुड़ा है — उनके पति राजू पाल की 2005 में हत्या हुई थी; आरोप माफिया नेता अतीक अहमद और उसके भाई पर लगा था।
2007 में पूजा पहली बार विधायक बनीं (बिसपा के टिकट पर) और 2012 में भी जीतीं। बाद में वे सपा में शामिल हुईं और 2022 में चायल से विधायक निर्वाचित रहीं।
सियासी प्रतिक्रिया और असर
पार्टी के वरिष्ठ संकेतकों ने पूजा के बयान को सपा की नीतियों और व्यवहारिक रेखा के खिलाफ बताया। सपा में अनुशासन के निर्देश के तहत यह कदम उठाया गया है। वहीं राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज है कि पूजा के निष्कासन से उत्तर प्रदेश की राजनीति में किन बलों का सहारा बदलेगा और स्थानीय स्तर पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।
पूजा ने कहा कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कभी उनका साथ नहीं दिया और वे पार्टी की दोहरी राजनीति का आरोप लगाती रही हैं — यह बयान भी राजनीतिक उबलते माहौल में नए प्रश्न खड़े कर रहा है। उन्होंने साफ कहा कि उनका अभी भाजपा में जाने का कोई कार्यक्रम नहीं है, पर उनका रुख और गतिविधियाँ अब राजनीतिक मद्देनज़र और अधिक निगरानी में रहेंगी।
निहितार्थ — क्या बदलेगा?
स्थानीय राजनीति: चायल क्षेत्र में सपा के वोट बैंक और स्थानीय समीकरणों पर असर पड़ सकता है।
पार्टी अनुशासन का संदेश: सपा ने स्पष्ट कर दिया कि किसी भी सदस्य का सार्वजनिक रूप से विरोधी नेतृत्व की प्रशंसा स्वीकार्य नहीं होगा।
पूजा का भविष्य: निष्कासन के बाद पूजा के पास राजनैतिक विकल्प और स्थानीय समर्थन-फोर्स की गणना करना आवश्यक होगा — वे स्वतंत्र रूप से भी अपने प्रभाव का उपयोग कर सकती हैं।
पूजा पाल का निष्कासन उत्तर प्रदेश की सियासत में एक और उथल-पुथल का संकेत है — यह न केवल व्यक्तिगत विवाद है, बल्कि दलों के भीतर अनुशासन, स्थानीय सत्ता-संतुलन और अपराध-पीड़ितों के साथ न्याय के नरम-टाइट मुद्दे पर चल रही भावनात्मक राजनीति का भी दर्पण है।