कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि भारत में चुनाव अब निष्पक्ष नहीं रहे, बल्कि एक संस्थागत चोरी (Institutionalised Theft) में तब्दील हो गए हैं। इस संदर्भ में उन्होंने बिहार की मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया को उदाहरण बताते हुए इसे “SIR – Institutionalised Theft” करार दिया।
“चुनाव आयोग के पास सबूत हैं, पर वह छिपा रहा है”
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग न केवल बीजेपी के साथ मिलकर चुनावों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि महत्वपूर्ण आंकड़ों को छिपा भी रहा है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग वोटर लिस्ट का डिजिटल डेटा देने से इनकार करता है, ताकि असलियत सामने न आ सके। उन्होंने दावा किया कि अगर यह डेटा मिल जाए, तो “15 मिनट में पूरे देश में सच्चाई उजागर हो सकती है।”
“हमने 6 महीने में सिर्फ एक सीट की जांच की और चौंकाने वाले खुलासे हुए”
राहुल गांधी ने बताया कि उनकी टीम ने छह महीने तक एक लोकसभा सीट की गहन जांच की और वहां पांच प्रकार की वोट चोरी पकड़ी गई:
डुप्लिकेट वोटर्स: 11,965
फर्जी पते: 40,009
एक ही पते पर कई मतदाता: 10,452
अवैध फोटो: 4,132
फॉर्म 6 का गलत इस्तेमाल: 33,692
राहुल ने कहा कि केवल एक ही सीट पर 1 लाख फर्जी वोट पाए गए, जबकि कुल वोटर संख्या 6.6 लाख थी। इस आधार पर उन्होंने दावा किया कि पूरे देश में कम से कम 100 सीटों पर इसी तरह की गड़बड़ियां हुई हैं।
“SIR का असली मतलब – गरीबों का वोट चोरी”
राहुल गांधी ने कहा कि SIR नामक सिस्टम का उद्देश्य है गरीबों और कमजोर तबकों से उनका वोट चुराना। उन्होंने यह भी कहा कि जितने वोटर सूची में जोड़े जाते हैं, उससे अधिक को गुपचुप तरीके से हटा दिया जाता है।
“वक्त बदलेगा, सजा मिलेगी”
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग और उसके अधिकारियों को चेतावनी दी कि वे जो कर रहे हैं वह संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ है। उन्होंने कहा, “आप जो कर रहे हैं, वो देश के खिलाफ है। मत भूलिए, वक्त बदलेगा और आपको जवाब देना होगा।”
चुनाव आयोग पर सीधा वार
राहुल ने कहा कि जब उन्होंने महाराष्ट्र चुनाव के दौरान गड़बड़ी के सबूत इकट्ठा करने की कोशिश की, तो आयोग ने वोटर लिस्ट और सीसीटीवी फुटेज देने से मना कर दिया। इससे उन्हें संदेह हुआ कि “चुनाव आयोग ही चुनाव चोरी को अंजाम देने में मदद कर रहा है।”
“अगर 10-15 सीटें कम होतीं तो मोदी प्रधानमंत्री नहीं होते”
राहुल गांधी ने कहा कि अगर इन गड़बड़ियों की वजह से बीजेपी को 10-15 सीटें अतिरिक्त न मिलतीं, तो आज नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं होते, बल्कि इंडिया गठबंधन की सरकार होती।
राहुल गांधी के इन खुलासों ने देश में चुनावी पारदर्शिता और लोकतंत्र की निष्पक्षता पर एक नई बहस छेड़ दी है। यदि उनके आरोपों की जांच निष्पक्ष तरीके से की जाती है, तो यह भारतीय लोकतंत्र की दिशा और दशा को लेकर कई सवालों को जन्म दे सकती है।