सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में जातीय हिंसा से जुड़े कथित ऑडियो टेप की फॉरेंसिक रिपोर्ट में हो रही देरी पर कड़ी नाराज़गी जताई है। अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा है कि पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की आवाज वाला जो ऑडियो टेप कोर्ट की निगरानी में जांच के लिए भेजा गया था, उसकी एफएसएल रिपोर्ट तीन महीने बीतने के बावजूद क्यों नहीं सौंपी गई?
कोर्ट का सवाल– हमारी मंजूरी के बाद भी रिपोर्ट क्यों नहीं आई?
जस्टिस पी.वी. संजय कुमार और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने सोमवार, 4 अगस्त को सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा:
“हमारे आदेश के बावजूद एफएसएल रिपोर्ट अब तक क्यों नहीं आई? मई में आदेश पारित किया गया था। अब तीन महीने हो गए हैं। कम से कम यह तो बताइए कि रिपोर्ट तैयार है या अब भी प्रक्रिया में है?”
अप्रैल में कोर्ट ने दोबारा रिपोर्ट मंगाई थी
यह मामला कुकी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट द्वारा दायर एक याचिका से जुड़ा है, जिसमें मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की कथित आवाज वाले लीक ऑडियो टेप की जांच की मांग की गई थी। अप्रैल 2025 में तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने केंद्रीय एफएसएल की पहले दी गई रिपोर्ट पर असंतोष जताते हुए एक नई फॉरेंसिक रिपोर्ट मंगाई थी।
सरकार ने मांगा दो सप्ताह का अतिरिक्त समय
सुनवाई के दौरान एसजी तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि टेप फॉरेंसिक लैब को सौंपे जा चुके हैं, लेकिन रिपोर्ट अभी तैयार नहीं है। उन्होंने इसके लिए दो सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा।
इस पर कोर्ट ने टिप्पणी की:“एक आवाज विश्लेषण रिपोर्ट तैयार करने में आखिर कितना समय लगता है? हम इसे अनिश्चितकाल तक आगे नहीं बढ़ा सकते।”
पहले ही प्राइवेट लैब ने टेप की पुष्टि की थी
याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट को पहले ही बताया था कि ट्रुथ लैब्स नाम की निजी फॉरेंसिक लैब ने टेप की प्रामाणिकता की पुष्टि कर दी है। इसके बावजूद केंद्र सरकार द्वारा अभी तक केंद्रीय एफएसएल की रिपोर्ट न सौंपना सवालों के घेरे में है।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन और राजनीतिक पृष्ठभूमि
लगभग दो साल तक जारी जातीय हिंसा के बाद फरवरी 2025 में मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया। इससे पहले मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया था। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच (सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा) ने ऑडियो क्लिप की वैधता साबित करने वाले दस्तावेज पेश करने को कहा था, जिसके जवाब में याचिकाकर्ता ने ट्रुथ लैब्स की रिपोर्ट दी थी।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन महीने पहले मांगी गई एफएसएल रिपोर्ट अब तक न आना न केवल न्याय में देरी का प्रतीक है, बल्कि यह प्रशासनिक निष्क्रियता और संवेदनशील मामलों में राजनीतिक हस्तक्षेप की आशंका को भी बल देता है। अदालत ने अब संकेत दिए हैं कि यदि समय पर जवाब नहीं मिला तो अगली सुनवाई में कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।