नई दिल्ली / पटियाला, जुलाई 29, 2025 — भारतीय सेना के एक कर्नल और उनके बेटे के साथ मारपीट मामले में पंजाब पुलिस के चार अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने इस संवेदनशील मामले में सीबीआई जांच के आदेश को बरकरार रखते हुए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले पर मुहर लगा दी है।
न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने पुलिस अधिकारियों की वह याचिका खारिज कर दी जिसमें उन्होंने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दो टूक कहा—
“सेना का सम्मान करें। जिनके बल पर आप चैन की नींद सोते हैं, उनके साथ ऐसा व्यवहार अस्वीकार्य है।”
क्या है मामला?
यह मामला 13-14 मार्च 2025 की रात का है, जब पटियाला के राजिंदरा अस्पताल के पास स्थित हरबंस ढाबे पर पार्किंग विवाद के चलते एक सेवारत कर्नल और उनके बेटे पर चार पुलिस इंस्पेक्टर समेत 12 पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर हमला कर दिया था।
सेना अधिकारी का आरोप है कि उन्होंने जब दिल्ली से पटियाला की यात्रा के दौरान ढाबे पर भोजन के लिए गाड़ी रोकी, तो पार्किंग को लेकर कहासुनी हो गई। जब उन्होंने कार हटाने से इनकार किया, तो पुलिसकर्मियों ने कथित रूप से उनकी पिटाई की, पहचान पत्र और मोबाइल फोन छीन लिया, और यहां तक कि उन्हें फर्जी एनकाउंटर की धमकी भी दी।
एफआईआर दर्ज नहीं होने का आरोप
सेना अधिकारी ने यह भी आरोप लगाया कि इस गंभीर घटना के बावजूद पंजाब पुलिस ने मामले में कोई FIR दर्ज नहीं की, क्योंकि राज्य सरकार अपने अधिकारियों को बचाने की कोशिश कर रही थी।
हालांकि, घटना के बाद पंजाब पुलिस ने चारों इंस्पेक्टरों को निलंबित कर दिया और विभागीय जांच में तीन साल की सेवा कटौती और भविष्य के प्रमोशन पर रोक की सिफारिश की गई।
हाई कोर्ट ने SIT पर उठाए सवाल, CBI को सौंपी जांच
घटना के बाद पंजाब पुलिस ने एक SIT (विशेष जांच दल) का गठन किया, लेकिन पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ पुलिस की SIT जांच पर संवेदनशीलता और निष्पक्षता की कमी का हवाला देते हुए 16 जुलाई 2025 को मामले की जांच CBI को सौंप दी।
हाई कोर्ट ने इसे ‘पुलिस शक्ति के दुरुपयोग’ का गंभीर मामला मानते हुए चारों आरोपी इंस्पेक्टरों की अग्रिम जमानत याचिकाएं भी खारिज कर दीं।
सुप्रीम कोर्ट का सख्त संदेश: अनुशासन और जवाबदेही जरूरी
सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के बाद यह साफ है कि वर्दी में होने का मतलब कानून से ऊपर होना नहीं है। सेना जैसे अनुशासित बल के अधिकारियों के साथ हिंसा की घटना को देश की सर्वोच्च अदालत ने ‘गंभीर विश्वासघात’ माना है और पुलिस की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए स्वतंत्र जांच की जरूरत को दोहराया है।
क्या होगा आगे?
अब यह मामला CBI के हवाले है और आरोपी पुलिस अधिकारियों की भूमिका, साजिश, और प्रशासनिक संरक्षण की परतें जांच के बाद सामने आएंगी। यह फैसला उन सभी मामलों के लिए नजीर बनेगा जहां लोक सेवा वर्दीधारी कर्मियों द्वारा सत्ता और अधिकारों का दुरुपयोग किया जाता है।