नई दिल्ली/बेंगलुरु: देशभर में SIR (Standardization of Electoral Rolls) को लेकर घमासान मचा हुआ है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर मतदाता सूची में हेरफेर और चुनावी धांधली को बढ़ावा देने के गंभीर आरोप लगा रहे हैं। इस मुद्दे पर सबसे आक्रामक रुख अख्तियार करने वाले राहुल गांधी को अब कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार का भी खुला समर्थन मिला है।
राहुल गांधी का आरोप: “100% पुख्ता सबूत हैं हमारे पास”
गुरुवार को राहुल गांधी ने दावा किया कि कांग्रेस के पास यह साबित करने के ‘100 प्रतिशत ठोस सबूत’ हैं कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान एक निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव आयोग की मिलीभगत से गड़बड़ी हुई। उन्होंने चेतावनी दी, “चुनाव आयोग इस बार बच नहीं पाएगा, हम इसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे।”
चुनाव आयोग का पलटवार: “न्यायालय जाएं, निराधार आरोप न लगाएं”
राहुल के इन आरोपों पर चुनाव आयोग ने तीखी प्रतिक्रिया दी। आयोग ने कहा कि यदि किसी को चुनाव परिणामों से आपत्ति है, तो वह 45 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय में चुनाव याचिका दायर कर सकता है। कर्नाटक के किसी भी लोकसभा क्षेत्र में ऐसी कोई अपील अब तक दाखिल नहीं की गई है। आयोग ने पूछा – “जब आपके पास वैधानिक उपाय मौजूद हैं, तब धमकी और निराधार आरोप क्यों?”
डीके शिवकुमार का समर्थन: “शहरी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर फर्जी वोटिंग हुई”
अब इस मुद्दे पर डीके शिवकुमार भी खुलकर सामने आ गए हैं। उन्होंने कहा,
“कर्नाटक के कई शहरी मतदान केंद्रों में हमने पाया कि फर्जी मतदाता बनाए गए और बिना वैध दस्तावेज़ों के अन्य स्थानों से वोट ट्रांसफर किए गए। हम इन सबूतों को जल्द चुनाव आयोग के सामने रखेंगे। वो माने या न माने, हम इसे जनता के सामने भी लाएंगे।”
#WATCH | Delhi | On Lok Sabha LoP and Congress MP Rahul Gandhi's statement, Karnataka Dy CM DK Shivakumar says, "We conducted research in many booths of Karnataka, especially in the urban sectors, where we found that votes were shifted there from various places without any proper… pic.twitter.com/jkFLpQy9x4
— ANI (@ANI) July 26, 2025
उन्होंने यह भी बताया कि कांग्रेस की लीगल टीम ने मध्य प्रदेश में एक केस स्टडी की है और इसमें 20 से अधिक विशेषज्ञों ने काम किया है। “चुनाव आयोग हमारी बात न तो सुन रहा है, न ही सुधार की कोशिश कर रहा है। हमें इसके खिलाफ एकजुट होकर लड़ना होगा,” उन्होंने जोड़ा।
राजनीतिक तापमान चरम पर, संस्थाओं की निष्पक्षता पर सवाल
SIR को लेकर उठे सवाल और विपक्ष के तेवर इस ओर इशारा कर रहे हैं कि आगामी चुनावों से पहले चुनाव आयोग की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर बहस तेज़ हो गई है। जहां एक ओर चुनाव आयोग कानूनी उपायों की ओर इशारा कर रहा है, वहीं विपक्ष इसे लोकतंत्र की बुनियादी व्यवस्था पर हमला बता रहा है।
क्या विपक्ष के ये आरोप राजनीतिक रणनीति हैं या वाकई लोकतांत्रिक संकट की आहट?
इस पर देशभर में बहस जारी है।