पुरी (ओडिशा), 30 जून 2025: भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा के दौरान पुरी के गुंडिचा मंदिर के समीप रविवार तड़के एक दर्दनाक हादसा हो गया। भीषण भगदड़ में 3 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 50 से अधिक लोग घायल हो गए। हादसा सुबह 4 से 5 बजे के बीच उस वक्त हुआ जब हजारों श्रद्धालु देवदर्शन के लिए सारधाबली में उमड़ पड़े थे।
घटना के बाद ओडिशा सरकार ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं। राज्य के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने हादसे पर शोक जताते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिलाया है।
कैसे मचा हड़कंप: दो ट्रकों की एंट्री बनी भगदड़ की वजह
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, रथ यात्रा स्थल पर पहले ही भारी भीड़ थी। लेकिन तभी वहां दो ट्रकों के घुसने की कोशिश ने अफरा-तफरी मचा दी।
संकरी जगह,
भीड़ नियंत्रण में पुलिस की कथित कमी,
और रथों के पास बिखरे ताड़ के लट्ठे,
इन सभी कारणों ने मिलकर स्थिति को और भयावह बना दिया।
मारे गए श्रद्धालुओं की पहचान
स्थानीय मीडिया के अनुसार, जिन तीन श्रद्धालुओं की जान गई, उनके नाम इस प्रकार हैं:
प्रेमकांत मोहंती (80 वर्ष)
बसंती साहू (36 वर्ष)
प्रभाती दास (42 वर्ष)
घायलों में से कई को इलाज के लिए जिला अस्पताल और IDH (संक्रामक रोग अस्पताल) में भर्ती कराया गया है। एक श्रद्धालु की हालत गंभीर बनी हुई है, जिसे कटक के SCB मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में रेफर किया गया है।
भीड़ और गर्मी से पहले ही बिगड़ी थी स्थिति
इस हादसे से एक दिन पहले ही पुरी में स्वास्थ्य आपातकाल जैसी स्थिति बन गई थी, जब 750 से अधिक श्रद्धालु भीषण गर्मी और भीड़ के कारण बेहोश हो गए थे।
इनमें से 230 को IDH अस्पताल में भर्ती कराया गया,
जबकि 520 को DHH (जिला अस्पताल) भेजा गया था।
अधिकांश को अब छुट्टी मिल चुकी है।
सरकार का रुख सख्त: जिम्मेदारों पर गिरेगी गाज
कानून मंत्री हरिचंदन ने कहा: “तीन श्रद्धालुओं की मौत अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। हम इसकी गहन जांच कराएंगे और जिनकी लापरवाही सामने आएगी, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी।”
एक पवित्र यात्रा, प्रशासनिक चूक की भेंट?
पुरी की रथ यात्रा देश की सबसे विशाल धार्मिक यात्राओं में से एक मानी जाती है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। लेकिन लगातार भीड़ प्रबंधन में चूक, अपर्याप्त संसाधन, और स्थानीय प्रशासन की तैयारी पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
अब क्या आगे?
सरकार ने जांच बैठा दी है। लेकिन सवाल यह है कि क्या आने वाले दिनों में ऐसी त्रासदियों को रोका जा सकेगा? क्या सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा कर ज़मीन पर कुछ ठोस कदम उठाए जाएंगे? और सबसे बड़ा सवाल — क्या आस्था की भीड़ को सुरक्षित दिशा मिल पाएगी?