12 जून की दोपहर एयर इंडिया की उड़ान AI-171 जब अहमदाबाद से लंदन के लिए रवाना हुई, तो किसी ने नहीं सोचा था कि कुछ ही मिनटों में वह एक ऐसा मंजर पीछे छोड़ जाएगी जिसे सुनकर और देखकर रूह कांप जाए। टेकऑफ के कुछ देर बाद ही विमान का संतुलन बिगड़ा और वह सीधे बीजे मेडिकल कॉलेज के छात्रावास (हॉस्टल) से टकरा गया।
इस हादसे में न सिर्फ विमान में सवार लोगों की जान गई, बल्कि मेडिकल कॉलेज के करीब 20 छात्र भी अपनी जान गंवा बैठे। जिस वक्त हादसा हुआ, छात्र लंच ब्रेक में हॉस्टल में खाना खा रहे थे। खाने की अधूरी थालियां, उलटे पड़े गिलास और चिथड़े बन चुकी किताबें उस त्रासदी की मूक गवाह बन गईं।
हॉस्टल में मौत का तांडव
विमान जैसे ही हॉस्टल की इमारत से टकराया, एक भयानक धमाका हुआ और कुछ ही पलों में सबकुछ आग और धुएं में तब्दील हो गया। आग की लपटें इतनी तेज थीं कि कुछ छात्रों को भागने तक का मौका नहीं मिला।
जो छात्र किसी तरह इस आग की चपेट में आने से बच गए, उन्होंने अपनी जान बचाने के लिए सीढ़ियों की ओर दौड़ लगाई, कई ने तो दूसरी मंजिल से छलांग तक लगा दी।
रमीला, जिनका बेटा उसी हॉस्टल में था, ने बताया,
“वो लंच ब्रेक में हॉस्टल गया था… जैसे-तैसे उसने दूसरी मंजिल से छलांग लगाकर जान बचाई। उसके शरीर पर चोटें हैं, लेकिन वह जीवित है, यही हमारे लिए बहुत है।”
शवों की हालत ने दिल दहला दिया
हादसे के बाद जब रेस्क्यू टीमें मौके पर पहुंचीं, तो वहां चारों तरफ सिर्फ चीखें, जलते शरीर और धुएं का गुबार था।
बचावकर्मियों ने बताया कि कई शव इस हद तक जल चुके थे कि उनकी पहचान सिर्फ डीएनए टेस्ट से ही संभव होगी।
एक अधिकारी के मुताबिक:
“कुछ शवों के सिर्फ अवशेष मिले हैं। एक महिला यात्री का सिर धड़ से अलग पाया गया।”
विमान में सवार कई यात्री पूरी तरह से जल चुके हैं। मोबाइल फोन पिघल चुके हैं और पहचान के सारे साधन नष्ट हो चुके हैं।
अस्पताल में चीत्कार और मातम का मंजर
हादसे की खबर मिलते ही सिविल अस्पताल, अहमदाबाद में परिजनों का सैलाब उमड़ पड़ा।
कुछ चीख रहे थे, कुछ बेसुध होकर जमीन पर गिर पड़े थे।
डॉक्टर बनने का सपना देख रहे जिन बच्चों को मां-बाप ने पढ़ाई के लिए हॉस्टल भेजा था, अब वो अपने बच्चों के जले हुए अवशेष लेने के लिए लाइन में खड़े हैं।
एक बुजुर्ग पिता की टूटी आवाज सुनकर हर आंख नम हो गई:
“कहता था डॉक्टर बनूंगा… अब उसकी सिर्फ पहचान बाकी है…”
बड़े सवालों के घेरे में विमानन सुरक्षा प्रणाली
AI-171 के हादसे ने एक बार फिर भारत की एविएशन सेफ्टी और एयरपोर्ट के पास मौजूद रिहायशी या संवेदनशील भवनों की प्लानिंग को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
मेडिकल कॉलेज जैसे संवेदनशील संस्थान के ऊपर से उड़ान भरने की अनुमति कैसे दी गई?
DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) ने मामले की जांच शुरू कर दी है, और एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) भी दुर्घटना स्थल से ब्लैक बॉक्स और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर की जांच में जुट गया है।
मुआवजा नहीं भर पाएगा यह शून्य
सरकार की ओर से मृतकों के परिजनों को 25 लाख रुपए का मुआवजा, घायलों को 5 लाख, और विमान यात्रियों को बीमा क्लेम दिए जाने की बात की गई है। लेकिन परिजनों का सवाल है:
“क्या ये राशि हमारे बच्चों की जिंदगी वापस ला सकती है?”
इस हादसे की यादें कभी नहीं मिटेंगी
यह दुर्घटना सिर्फ एक प्लेन क्रैश नहीं थी — यह देश के भविष्य को निगल जाने वाली विभीषिका बन गई।
जो छात्र कल डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करने वाले थे, आज उनकी लाशें डीएनए टेस्ट की कतार में हैं।