
जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर सीमा पार से गोलाबारी और आतंकी हमलों के बाद हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। पहलगाम हमले के बाद शुरू हुए भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जवाब में पाकिस्तान ने आम नागरिकों को निशाना बनाते हुए ताबड़तोड़ हमले किए, जिससे घाटी में भय और तबाही का माहौल पैदा हो गया है। इस बीच मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने उरी के गोलाबारी प्रभावित इलाकों का दौरा किया और पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर उन्हें पुनर्निर्माण में हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया।
“हमारे लोगों पर जानबूझकर किया गया हमला” — उमर का पाकिस्तान पर सीधा हमला
उमर अब्दुल्ला ने बारामूला के उरी क्षेत्र के सलामाबाद, लगमा, गिंगल और बांदी जैसे गांवों में जाकर हालात का जायज़ा लिया और खुले शब्दों में पाकिस्तान पर आरोप लगाते हुए कहा:
“उरी, तंगधार, पुंछ और राजौरी में आम नागरिकों को निशाना बनाया गया। लगातार 2-3 दिन तक सीमापार से बेतहाशा गोलीबारी हुई। यह एक सोची-समझी साज़िश लगती है ताकि आम कश्मीरी लोगों में डर और तबाही फैले।”
सीमावर्ती इलाकों के लिए बंकर और पुनर्निर्माण की योजना
सीएम अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि अब सीमावर्ती इलाकों में फिर से व्यक्तिगत बंकरों की जरूरत महसूस की जा रही है। उन्होंने कहा:
“हम सभी प्रभावित इलाकों में बंकरों की व्यवस्था करेंगे। कई सालों तक जरूरत नहीं थी, लेकिन अब लोग सामुदायिक बंकर नहीं, व्यक्तिगत सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।”
“अगर उस ओर से बंदूकें नहीं चलेंगी, तो हमारी ओर से भी नहीं चलेंगी”
सीएम ने दो टूक कहा कि:
“हमने युद्ध की शुरुआत नहीं की। पहलगाम में निर्दोष नागरिकों पर हमला किया गया। अगर सीमापार से गोलीबारी रुकेगी, तो हमारी तरफ से भी बंदूकें शांत रहेंगी।”
सरकार का हरसंभव सहयोग पीड़ितों के साथ
उमर अब्दुल्ला ने पीड़ितों से बातचीत के दौरान कहा:
“आपके घरों का फिर से बनना हमारी सरकार की जिम्मेदारी है। हम केवल नुकसान का आंकलन नहीं कर रहे, बल्कि हर परिवार के पुनर्निर्माण और मदद के लिए हरसंभव कदम उठाएंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर के लोगों ने हर बार मुसीबतों का सामना साहस और संयम के साथ किया है, और यह जज़्बा ही राज्य की असली ताकत है।
सरकारी अमला जुटा राहत और पुनर्वास में
सीएम के साथ उनके सलाहकार नासिर असलम वानी, उरी विधायक सज्जाद उरी, और जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। सीएम का यह दौरा न केवल राजनीतिक और प्रशासनिक संजीदगी का संकेत है, बल्कि घाटी के लोगों के साथ संवेदनात्मक जुड़ाव को भी दर्शाता है।