नई दिल्ली,
कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की शुक्रवार को हुई अहम बैठक के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने केंद्र सरकार की आतंकवाद पर नीति को आड़े हाथों लिया। उन्होंने पहलगाम हमले के बाद उठाए गए कदमों को “नाकाफी” बताया और कहा कि सरकार को अब तक सर्जिकल स्ट्राइक के पुख्ता सबूत देश के सामने रखने चाहिए।
“पुलवामा हमले में हमारे 40 जवान शहीद हो गए थे, लेकिन आज तक ये नहीं पता चला कि पाकिस्तान में हमला कहां हुआ। कोई सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हुई—अगर हुई थी तो उसके सबूत क्यों नहीं दिखाए जा रहे?” – चरणजीत सिंह चन्नी
पहलगाम हमला और सुरक्षा चूक पर कांग्रेस की सख्त प्रतिक्रिया
चन्नी ने कहा कि सरकार ने अब तक जो कदम उठाए हैं, वे केवल प्रतीकात्मक हैं और व्यावहारिक नहीं।
“पानी बंद करना संभव नहीं, वाघा बॉर्डर पहले से ही बंद है, और अडानी का व्यापार अब भी दूसरे देशों के जरिए जारी है।”
उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार पहलगाम हमले में मारे गए नागरिकों के परिवारों को मुआवजा और पुनर्वास की योजना कब देगी।
सरकार की आतंकवाद पर नीति पर सवाल
चन्नी ने कहा कि
“अब देश को सुरक्षित रखने में सरकार की क्षमता पर सवाल उठने लगे हैं। पाकिस्तान जैसे देश, जो खुलेआम आतंकवाद को समर्थन देते हैं, उनके खिलाफ सरकार कब निर्णायक कार्रवाई करेगी?”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि कांग्रेस आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सरकार के साथ है, लेकिन साथ ही पारदर्शिता और जवाबदेही भी जरूरी है।
भूपेश बघेल ने उठाया धर्म आधारित हिंसा का मुद्दा
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि पहलगाम में हुई घटना ने देश को झकझोर दिया है।
“पहलगाम में धर्म पूछ-पूछ कर लोगों की हत्या की गई, ठीक वैसे ही जैसे 12 साल पहले छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने नेताओं को नाम पूछकर मारा था।”
बघेल ने कहा कि इस तरह की घटनाओं का मकसद सिर्फ आतंक नहीं, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को चोट पहुंचाना है।
जातिगत जनगणना पर भी कांग्रेस ने उठाए सवाल
बैठक में जातिगत जनगणना का मुद्दा भी उठा। राहुल गांधी द्वारा पहले से की जा रही इस मांग के संदर्भ में बघेल ने कहा:
“सरकार सच में जातिगत जनगणना कराना चाहती है या यह महज एक ध्यान भटकाने वाला एजेंडा है?”
सवालों के घेरे में सरकार, विपक्ष ने एकजुटता दिखाई
जहाँ एक ओर विपक्ष ने पहलगाम हमले पर एकजुट होकर आतंक के खिलाफ कदम उठाने की बात कही, वहीं उन्होंने केंद्र की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। चन्नी और बघेल दोनों ने यह साफ कर दिया कि देशहित में कांग्रेस पीछे नहीं हटेगी, लेकिन आधा-सच और प्रचार की राजनीति नहीं चलेगी।