
नई दिल्ली। भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए पटना हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश राकेश कुमार ने राष्ट्रपति को पत्र भेजा है और मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच कराए जाने की मांग की है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि जस्टिस चंद्रचूड़ ने एक विशेष मामले को सूचीबद्ध करने में “अतिसक्रियता” दिखाई और न्यायिक प्रक्रिया की मर्यादा का उल्लंघन किया।
जस्टिस राकेश कुमार ने 8 नवंबर 2024 को यह पत्र भेजा था—महज दो दिन पहले ही 10 नवंबर को जस्टिस चंद्रचूड़ सर्वोच्च न्यायालय से सेवानिवृत्त हुए थे। राकेश कुमार का आरोप है कि 1 जुलाई 2023 को, जो एक अवकाश का दिन था, उस दिन तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए विशेष पीठ का गठन असाधारण रूप से किया गया। इतना ही नहीं, उसी दिन दो बार विशेष पीठ गठित कर मामले की सुनवाई करवाई गई और अभियुक्त को अंतरिम राहत प्रदान की गई।
“मास्टर ऑफ रोस्टर” का विशेषाधिकार या अधिकार का दुरुपयोग?
सुप्रीम कोर्ट में यह परंपरा है कि किसी भी मामले को कब, किस पीठ के समक्ष और कितनी प्राथमिकता के साथ सुना जाएगा, इसका निर्धारण केवल चीफ जस्टिस ही करते हैं। यह “मास्टर ऑफ रोस्टर” की भूमिका का हिस्सा है। ऐसे में अवकाश के दिन अर्जेंट मामलों की सुनवाई कोई नई बात नहीं है, परंतु राकेश कुमार का कहना है कि इस मामले में “गंभीर असमानता और पूर्वाग्रह” झलकता है।
उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य विशेष पीठ द्वारा लिए गए निर्णय को चुनौती देना नहीं है, बल्कि विशेष पीठ गठित करने की प्रक्रिया में दिखाई गई ‘असाधारण तत्परता’ पर सवाल उठाना है।
तीस्ता सीतलवाड़ मामला: विवाद की जड़
तीस्ता सीतलवाड़ पर फर्जी दस्तावेज बनाकर निर्दोष व्यक्तियों को दोषी ठहराने की साजिश रचने का आरोप था। आरोप है कि 1 जुलाई 2023 को अवकाश होने के बावजूद, उनकी जमानत याचिका पर पहले एक विशेष पीठ गठित कर सुनवाई हुई, जिसमें निर्णय नहीं हो सका। बाद में उसी दिन दूसरी विशेष पीठ गठित कर अंतरिम राहत दी गई। यह पूरी प्रक्रिया न्यायिक व्यवस्था के परंपरागत तरीकों से हटकर बताई जा रही है।
पत्र पहुंचा कानून मंत्रालय, हो सकती है आगे की जांच
जस्टिस राकेश कुमार द्वारा भेजा गया यह पत्र अब कानून मंत्रालय तक पहुंच चुका है और सूत्रों के मुताबिक, मंत्रालय ने इसे “उचित कार्रवाई” के लिए आगे बढ़ा दिया है। यह देखना बाकी है कि राष्ट्रपति या संबंधित संस्थान इस शिकायत पर क्या रुख अपनाते हैं।
कौन हैं जस्टिस राकेश कुमार?
जस्टिस राकेश कुमार पहले भी सुर्खियों में रह चुके हैं। अगस्त 2019 में पटना हाई कोर्ट में अपने एक फैसले में उन्होंने न्यायपालिका के भीतर भ्रष्टाचार के मुद्दे को सामने लाया था। इसके कुछ ही समय बाद उनका तबादला आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट कर दिया गया था।