
जैसे-जैसे बिहार में विधानसभा चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक पारा चढ़ता जा रहा है। सीट बंटवारे और नेतृत्व को लेकर दोनों गठबंधनों में मतभेद अब सतह पर आने लगे हैं। इसी बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री और भाजपा नेता नायब सिंह सैनी के बयान ने एनडीए खेमे में हलचल मचा दी है और महागठबंधन को भाजपा पर निशाना साधने का नया मौका दे दिया है।
सैनी ने कहा है कि “बिहार चुनाव सम्राट चौधरी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा”, जो अब तक नीतीश कुमार के नेतृत्व की बात कहती रही एनडीए लाइन से हटकर है। उनके इस बयान के दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता सम्राट चौधरी और उपेंद्र कुशवाहा भी मंच पर मौजूद थे।
आरजेडी का हमला, जदयू और भाजपा की सफाई
सैनी के बयान पर तेजस्वी यादव ने चुटकी लेते हुए कहा, “बीजेपी में कौन मुख्यमंत्री नहीं बनेगा? ये तो आपस में नूरा-कुश्ती कर रहे हैं। दो दिन बाद कोई और नाम सामने आ जाएगा। इस बार बिहार की जनता एनडीए की खटारा गाड़ी छोड़ महागठबंधन की नई गाड़ी में सवार होने जा रही है।”
वहीं भाजपा और जेडीयू इस बयान पर सफाई दे रही हैं। जदयू नेताओं का कहना है कि “नीतीश कुमार ही एनडीए का चेहरा हैं और यही तय है कि चुनाव उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा जाएगा।” लेकिन सैनी के बयान ने जेडीयू खेमे में असहजता जरूर पैदा कर दी है।
क्या है अंदरुनी तनाव की वजह?
एनडीए के भीतर सीएम फेस को लेकर जारी भ्रम के बीच ये बयान कई सवाल खड़े करता है। पिछले कुछ महीनों से कहा जा रहा था कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव होंगे और मुख्यमंत्री का चेहरा चुनाव के बाद तय किया जाएगा। लेकिन अब सैनी के बयान ने यह संकेत दे दिया है कि भाजपा धीरे-धीरे नेतृत्व के बदलाव की पृष्ठभूमि बना रही है।
इस बीच वक्फ एक्ट विवाद के बाद जेडीयू के कई मुस्लिम नेता पहले ही पार्टी छोड़ चुके हैं, जिससे पार्टी की अल्पसंख्यक समर्थन वाली छवि को नुकसान हुआ है।
गठबंधनों में अंदरुनी खींचतान तेज
एक ओर जहां एनडीए में नीतीश बनाम सम्राट की बहस छिड़ी है, वहीं हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी भी सीट बंटवारे को लेकर नाराज हैं। दूसरी तरफ राजद और कांग्रेस के बीच सीएम फेस को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है, जबकि वाम दल सीट बंटवारे में ज़्यादा हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं।
निष्कर्ष: चुनाव से पहले उबाल पर राजनीति
सितंबर-अक्टूबर में संभावित विधानसभा चुनाव से पहले बिहार की राजनीति पूरी तरह से “टकराव के मोड” में आ चुकी है। एक ओर सत्ताधारी एनडीए को नेतृत्व और सीटों पर तालमेल की चुनौती है, तो दूसरी ओर महागठबंधन भी अंदरूनी मतभेदों से जूझ रहा है।
अब देखने वाली बात ये होगी कि सैनी के बयान के बाद भाजपा आधिकारिक तौर पर किसे आगे करती है — नीतीश या सम्राट, और इसका असर आगामी चुनावी समीकरणों पर कैसा पड़ता है।