Saturday, August 2, 2025
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रात के अंधेरे में दिल्ली के 3 मंदिरों को तोड़ने क्यों पहुंचे थे बुलडोजर? लोग अड़े तो मुख्यमंत्री से लेकर एलजी तक की उड़ गई नींद


मयूर विहार-2 के संजय झील पार्क में स्थित कालीबाड़ी, अमरनाथ और बदरीनाथ मंदिरों को दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने गिराने का नोटिस दिया था. स्थानीय लोगों के विरोध और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के हस्तक्षेप के बाद यह कार्रवाई रोक दी गई. मंदिरों के 40 साल पुराने होने का दावा किया गया है. पुजारियों ने अचानक नोटिस जारी करराष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बुधवार रात को तीन मंदिरों पर एक्शन होने वाला था. मयूर विहार-2 के संजय झील पार्क में बने कालीबाड़ी मंदिर, अमरनाथ मंदिर और बदरीनाथ मंदिर को ढहाया जाना था. ये एक्शन दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के नोटिस के बाद होना था. लेकिनलोगों के भारी दबाव के कारण कार्रवाई को फिलहाल अनिश्चितकालीन के लिए रोक दिया गया. ये लोगों का प्रेशर ही था कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली के राज्यपाल से बात की. उन्होंने बुलडोजर को दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी (DDA) के अधिकारियों से बात कर रोका.

बीजेपी विधायक रवि नेगी के अनुसार, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से बात की गई. रेखा गुप्ता ने दिल्ली के राज्यपाल से बात की. उसके बाद दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी के अधिकारियों से बात करके फिलहाल मंदिर पर चलने वाले बुलडोजर की कार्रवाई को अनिश्चितकालीन के लिए रोक दिया गया.

DDA ने दिया था नोटिस
मंदिरों को तोड़ने के लिए डीडीए के हॉर्टिकल्चर विभाग की तरफ से नोटिस दिया गया था, जिसमें मंदिर ग्रीन बेल्ट में बने होने के कारण उसे खुद ही हटाने या फिर प्रशासन द्वारा हटाए जाने की जानकारी दी गई. लोगों के अनुसार पार्क में सभी मंदिर 40 साल पुराने बने हुए हैं और सभी रिजस्टर्ड हैं.

लोगों के अनुसार, शाम 7:30 बजे के बाद कुछ लोग आए और तीनों मंदिरों पर बिना किसी सूचना के नोटिस चस्पा कर दिया. ये तीनों मंदिर 1988 में बने हुए हैं और हर साल एनजीटी, जिला प्रशासन की इजाजत के बाद ही सभी सांस्कृतिक कार्यक्रम होते आए हैं.

क्या कहते हैं पुजारी?
कालीबाड़ी मंदिर के पुजारी ने बताया कि वो पिछले 10 साल से मंदिर पर पूजा करते आ रहे हैं किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं हुई. लेकिन अचानक नोटिस चिपकाकर चले गए.

दूसरा मंदिर अमरनाथ मंदिर है. पुजारी ने बताया कि ये मंदिर भी काफी पुराना बना हुआ है. कश्मीर से आए कश्मीरी पंडितों ने मिलकर मंदिर को बनाया था. अचानक नोटिस जारी कर के कुछ लोग चले गए.

इधर तीसरा मंदिर बदरीनाथ मंदिर है. मंदिर के पुजारी ने बताया कि यहां पर कई सालों से पूजा होती आई है. किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं है. सभी मिल जुलकर पूजा करते आए हैं. लेकिन अचानक नोटिस जारी कर दिया गया और किसी को पहले कोई सूचना नहीं दी गई.पर आपत्ति जताई.

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