
बिना अनुमति सरकारी विज्ञापनों में तस्वीर के इस्तेमाल का मामला, हाईकोर्ट ने कहा – यह व्यावसायिक शोषण
मुंबई | बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महिला की तस्वीर को उसकी बिना अनुमति सरकारी विज्ञापनों और प्रचार सामग्री में इस्तेमाल किए जाने को लेकर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने इसे व्यावसायिक शोषण करार देते हुए केंद्र सरकार, महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक और ओडिशा की राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है।
इस मामले में याचिका नम्रता अंकुश कावले नाम की महिला ने दायर की है, जिन्होंने अदालत से अपनी तस्वीर के अनधिकृत उपयोग पर रोक लगाने और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग की है।
कैसे हुआ महिला की तस्वीर का दुरुपयोग?
याचिकाकर्ता नम्रता कावले के अनुसार, एक परिचित फोटोग्राफर ने उनकी तस्वीर खींची थी, जिसे बिना उनकी अनुमति शटरस्टॉक डॉट कॉम जैसी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया। बाद में, महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक और ओडिशा की सरकारों, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय और कुछ निजी संस्थानों ने उनकी तस्वीर का होर्डिंग्स, वेबसाइटों और अन्य प्रचार सामग्री में अनधिकृत रूप से उपयोग करना शुरू कर दिया।
हाईकोर्ट ने माना मामला गंभीर, सोशल मीडिया युग में जताई चिंता
जस्टिस जीएस कुलकर्णी और अद्वैत सेठना की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान माना कि इलेक्ट्रॉनिक युग और सोशल मीडिया के दौर में यह एक गंभीर मुद्दा है। कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह महिला की तस्वीर का व्यावसायिक शोषण प्रतीत होता है, जो न केवल निजता के अधिकार बल्कि बौद्धिक संपदा के उल्लंघन का भी मामला है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकारी संस्थाओं या निजी कंपनियों द्वारा किसी व्यक्ति की तस्वीर का अनधिकृत उपयोग स्वीकार्य नहीं हो सकता।
किस-किस को मिला कोर्ट का नोटिस?
बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में केंद्र और चार राज्यों की सरकारों के अलावा, अमेरिकी कंपनी शटरस्टॉक को भी नोटिस जारी किया है, जो रॉयल्टी-मुक्त स्टॉक फोटो प्रदान करने के लिए जानी जाती है।
इसके अलावा, कांग्रेस की तेलंगाना इकाई और एक निजी संस्था टोटल डेंटल केयर प्राइवेट लिमिटेड को भी नोटिस भेजे गए हैं, जिन्होंने महिला की तस्वीर का अनुमति के बिना उपयोग किया।
याचिका में क्या हैं महिला की मांगें?
नम्रता कावले ने अपनी याचिका में अदालत से मांग की है कि:
✔ सरकारी व निजी संस्थाओं को उनकी तस्वीर के इस्तेमाल पर स्थायी रूप से रोक लगाई जाए।
✔ उनकी तस्वीर को सभी वेबसाइटों, सोशल मीडिया अकाउंट्स, विज्ञापनों और प्रचार सामग्री से हटाने का निर्देश दिया जाए।
✔ इस अवैध उपयोग के लिए जिम्मेदार संस्थाओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सभी प्रतिवादियों को मामले में अपना हलफनामा दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 24 मार्च को होगी।
अगली सुनवाई 24 मार्च
कोर्ट के इस रुख से यह साफ है कि व्यक्तिगत निजता और छवि के व्यावसायिक दुरुपयोग पर अब सख्त कदम उठाए जा सकते हैं। यह मामला सरकारी संस्थाओं और निजी कंपनियों द्वारा छवि अधिकारों के उल्लंघन पर एक अहम मिसाल बन सकता है।
क्या कहता है कानून?
भारतीय संविधान के तहत, किसी व्यक्ति की तस्वीर या पहचान का बिना अनुमति उपयोग करना निजता के अधिकार का उल्लंघन हो सकता है। इसके अलावा, कॉपीराइट और बौद्धिक संपदा कानूनों के तहत भी यह अवैध माना जाता है।
यह केस डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और स्टॉक फोटो वेबसाइटों के बढ़ते प्रभाव के बीच व्यक्तिगत छवि अधिकारों को लेकर एक बड़ा संदेश दे सकता है।
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VIKAS TRIPATHI
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