
सरकार ने रमजान के मद्देनजर ईद के बाद पेश करने का लिया फैसला
केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सरकार ईद के बाद इस बिल को संसद में पेश करेगी। फिलहाल, रमजान का पवित्र महीना चल रहा है, जिसे देखते हुए सरकार ने मुस्लिम समाज की भावनाओं का सम्मान करते हुए इस पर चर्चा को ईद के बाद तक स्थगित करने का निर्णय लिया है।
सरकार का दावा है कि यह विधेयक मुस्लिम समाज, विशेष रूप से गरीब और वंचित तबके के हितों की रक्षा करेगा। सरकार इसे समाज के लिए हितकारी और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से ला रही है। हालांकि, विपक्षी दलों और कई मुस्लिम संगठनों ने इस विधेयक को लेकर विरोध शुरू कर दिया है।
लोकसभा में 21 मार्च को गिलोटिन प्रस्ताव, 20 मार्च को राज्यसभा में गृह मंत्रालय पर चर्चा
संसद में आगामी कार्यवाही के तहत लोकसभा में 21 मार्च को गिलोटिन लाया जाएगा। गिलोटिन का उद्देश्य बिना विस्तृत चर्चा के बचे हुए मंत्रालयों की अनुदान मांगों को पारित कराना है। इसके बाद वित्त विधेयक को मंजूरी दी जाएगी।
इसी बीच, 20 मार्च को राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा शुरू होगी। अगले दिन, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस चर्चा का जवाब देंगे। इस दौरान वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर भी चर्चा होने की संभावना है।
वक्फ संशोधन विधेयक पर सियासत गरमाई, विपक्ष ने किया तीखा हमला
विधेयक के संभावित प्रावधानों को लेकर विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने सरकार पर हमला बोल दिया है। कई संगठनों ने इसे मुस्लिम समाज के अधिकारों पर हमला बताया है और इस विधेयक को वापस लेने की मांग की है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सोमवार को विधेयक के विरोध में दिल्ली के जंतर-मंतर पर बड़ा प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन का नेतृत्व एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने किया। विरोध प्रदर्शन में कई विपक्षी सांसद और मुस्लिम नेता शामिल हुए।
ओवैसी ने NDA के घटक दलों को चेताया – “मुसलमान कभी माफ नहीं करेंगे”
ओवैसी ने एनडीए के सहयोगी दलों तेलुगु देशम पार्टी (TDP), जनता दल यूनाइटेड (JDU) और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP)-रामविलास को सख्त चेतावनी दी। उन्होंने कहा,
“अगर इन दलों ने इस विधेयक का समर्थन किया तो मुसलमान कभी माफ नहीं करेंगे। यह विधेयक मुसलमानों के धार्मिक स्थलों और संपत्तियों को छीनने का प्रयास है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार इस विधेयक के जरिए देश में धार्मिक तनाव बढ़ाने की कोशिश कर रही है।
“मस्जिद-दरगाह और कब्रिस्तान छीनने की कोशिश” – ओवैसी का आरोप
ओवैसी ने केंद्र सरकार पर वक्फ संपत्तियों को जबरन कब्जे में लेने की साजिश रचने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा,
“सरकार का मकसद वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा करना नहीं है, बल्कि मस्जिदों, दरगाहों और कब्रिस्तानों को जबरन अपने नियंत्रण में लेना है। यह कानून मुस्लिम समाज के धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर हमला है।”
उन्होंने TDP प्रमुख चंद्रबाबू नायडू, LJP-रामविलास प्रमुख चिराग पासवान और JDU नेता नीतीश कुमार को खुली चेतावनी देते हुए कहा कि यदि उन्होंने इस विधेयक का समर्थन किया तो आने वाले समय में मुस्लिम समाज उन्हें कभी माफ नहीं करेगा।
सरकार का पक्ष – “विधेयक मुस्लिम समाज के लिए फायदेमंद”
विपक्ष के तीखे विरोध के बीच सरकार ने इस विधेयक को मुस्लिम समाज के हित में बताया है। सरकार का कहना है कि विधेयक वक्फ संपत्तियों के पारदर्शी प्रबंधन और मुस्लिम समाज, खासकर गरीब और वंचित तबके के उत्थान के लिए लाया जा रहा है।
सरकार का दावा है कि यह विधेयक वक्फ बोर्डों में सुधार लाने और भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए आवश्यक है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि वक्फ संपत्तियों का सही उपयोग हो और इसका लाभ मुस्लिम समाज को ही मिले।
क्या है वक्फ संशोधन विधेयक, और क्यों हो रहा विरोध?
वक्फ बोर्ड भारत में मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों की देखरेख करने वाला कानूनी निकाय है। इसे लेकर समय-समय पर विवाद होते रहे हैं। सरकार का कहना है कि वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन पारदर्शी और जवाबदेह बनाया जाना जरूरी है, ताकि इसका वास्तविक लाभ मुस्लिम समाज को मिल सके।
हालांकि, मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों को आशंका है कि सरकार इस विधेयक के जरिए वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को नियंत्रण में लेने का प्रयास कर रही है। इसी कारण, इसे मुस्लिम समाज के अधिकारों के खिलाफ माना जा रहा है।
वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर देश की राजनीति गरमा गई है। एक ओर सरकार इसे मुस्लिम समाज के विकास के लिए आवश्यक बता रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे मुस्लिम समुदाय के धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर हमला बता रहा है।
अब सवाल यह है कि ईद के बाद जब विधेयक संसद में पेश होगा, तो क्या इसे आसानी से पारित कराया जा सकेगा, या विपक्ष के विरोध के चलते सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़ेंगे? यह देखना दिलचस्प होगा कि एनडीए के सहयोगी दल इस पर क्या रुख अपनाते हैं, क्योंकि उनकी स्थिति इस विधेयक को पारित कराने में निर्णायक भूमिका निभा सकती है।
👉 क्या वक्फ संशोधन विधेयक मुस्लिम समाज के लिए हितकारी होगा या उनके अधिकारों पर हमला? आपकी राय क्या है? हमें कमेंट में बताएं।

VIKAS TRIPATHI
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