
आज के दौर में, जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), ऑटोमेशन और चैटबॉट्स तेज़ी से कामकाज के तरीकों को बदल रहे हैं, एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है—आख़िर माता-पिता अपने बच्चों को क्या सिखाएं, ताकि उनका भविष्य सुरक्षित और सफल हो?
हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर भारत एन. आनंद का मानना है कि बच्चों को सिर्फ़ कंप्यूटर साइंस या टेक्नोलॉजी तक सीमित रखना अब सही रणनीति नहीं होगी। वे बताते हैं कि हाल ही में द वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि टेक इंडस्ट्री के कई दिग्गज अपने बच्चों को कोडिंग या कंप्यूटर साइंस सीखने के लिए प्रोत्साहित नहीं कर रहे। इसके बजाय, वे उन्हें डांस, प्लंबिंग, कला, संगीत और बेहतर इंसान बनने की समझ विकसित करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
भविष्य के लिए सही स्किल्स कौन-सी हैं?
भारत में अधिकांश माता-पिता का सपना होता है कि उनके बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर या आईटी प्रोफेशनल बनें। लाखों छात्र IIT-JEE और NEET जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में सालों लगाते हैं। लेकिन प्रोफेसर आनंद का मानना है कि सिर्फ़ तकनीकी कौशल पर निर्भर रहना भविष्य में पर्याप्त नहीं होगा।
उनके अनुसार, माता-पिता को बच्चों को ऐसी क्षमताएँ विकसित करने में मदद करनी चाहिए जो मशीनों से प्रतिस्पर्धा कर सकें। जैसे:
• गहरी सोचने-समझने की क्षमता (Critical Thinking)
• भावनात्मक बुद्धिमत्ता (Emotional Intelligence) और सहानुभूति (Empathy)
• सामाजिक कौशल और संवाद कला (Communication & Interpersonal Skills)
• रचनात्मकता (Creativity) और कलात्मक अभिव्यक्ति (Art & Music)
• समस्या सुलझाने और निर्णय लेने की योग्यता (Problem Solving & Decision Making)
कोडिंग क्यों नहीं?
प्रोफेसर आनंद का तर्क है कि कोडिंग जैसी स्किल्स समय के साथ अप्रासंगिक हो सकती हैं। आज जो तकनीक प्रासंगिक है, हो सकता है कि 10-15 साल बाद उसकी जगह कुछ नया आ जाए। ऐसे में अगर बच्चों को केवल इंजीनियरिंग या आईटी में धकेला जाएगा, तो वे भविष्य में संघर्ष कर सकते हैं।
उन्होंने अपने निजी अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्होंने खुद केमिस्ट्री से शुरुआत की थी, लेकिन बाद में अर्थशास्त्र (Economics) की ओर रुख किया। यह बदलाव एक शिक्षक की प्रेरणा से संभव हुआ। इसलिए वे माता-पिता को सुझाव देते हैं कि बच्चों को उनकी रुचियों को खोजने और उसमें उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रेरित करें।
बच्चों को क्या सिखाएँ?
प्रोफेसर आनंद कहते हैं कि भविष्य में सफलता सिर्फ़ तकनीकी ज्ञान से नहीं, बल्कि “सोचने” की क्षमता से आएगी। इसलिए, बच्चों को सीखने की दिशा में निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए—
✅ नवाचार (Innovation) और जिज्ञासा (Curiosity) को बढ़ावा दें।
✅ सिर्फ़ एक विषय में नहीं, बल्कि बहुआयामी शिक्षा (Interdisciplinary Learning) पर ध्यान दें।
✅ कला (Art), संगीत (Music) और खेल (Sports) जैसे विषयों को महत्व दें।
✅ बच्चों को आत्म-प्रेरित (Intrinsically Motivated) होने के लिए प्रेरित करें।
तकनीकी क्रांति के इस युग में, यह ज़रूरी है कि हम बच्चों को सिर्फ़ कोडिंग या टेक्नोलॉजी तक सीमित न रखें। उन्हें ऐसी स्किल्स और सोच विकसित करनी चाहिए जो मशीनों से अलग और श्रेष्ठ हों। भविष्य उन्हीं का होगा जो भावनात्मक, रचनात्मक और बुद्धिमत्तापूर्ण फैसले लेने में सक्षम होंगे।
इसलिए, माता-पिता के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे बच्चों को उनकी रुचियों को पहचानने, नई चीज़ें सीखने और जीवन के हर क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रेरित करें।

VIKAS TRIPATHI
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