
Dalit-Muslim Vote Bank Saved AAP: दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (AAP) को करारी शिकस्त मिली है। 2015 और 2020 में क्लीन स्वीप करने वाली AAP इस बार सिर्फ 22 सीटों पर सिमट गई, जबकि बीजेपी 48 सीटों के साथ सत्ता में वापसी करने में सफल रही। हालांकि, अगर आम आदमी पार्टी को दलित और मुस्लिम वोटों का साथ नहीं मिलता, तो वह पूरी तरह से साफ हो जाती।
AAP के 22 विधायकों में से 14 दलित-मुस्लिम
दिल्ली की कुल 70 विधानसभा सीटों में से आम आदमी पार्टी ने 22 सीटें जीतीं, जिनमें 4 मुस्लिम और 8 दलित समुदाय के विधायक शामिल हैं। यानी AAP के आधे से ज्यादा विधायक दलित-मुस्लिम वोटों के सहारे विधानसभा पहुंचे हैं। भले ही आम आदमी पार्टी चुनाव हार गई हो, लेकिन दलित-मुस्लिम बहुल सीटों पर बीजेपी उसका वर्चस्व नहीं तोड़ सकी।
दलित आरक्षित सीटों पर AAP का दबदबा
दिल्ली की 12 दलित आरक्षित सीटों में से 8 आम आदमी पार्टी के खाते में गईं, जबकि बीजेपी को 4 सीटें मिलीं। 2013 में AAP ने 9 सीटें जीती थीं, जबकि 2015 और 2020 में सभी 12 सीटों पर कब्जा किया था। इस बार बीजेपी ने बवाना, मंगोलपुरी, मादीपुर और त्रिलोकपुरी सीटें जीत लीं, जबकि सुल्तानपुर माजरा, करोल बाग, पटेल नगर, देवली, अंबेडकर नगर, कोंडली, सीमापुरी और गोकुलपुर सीटों पर AAP ने जीत दर्ज की।
मुस्लिम सीटों पर AAP का 80% स्ट्राइक रेट
मुस्लिम बहुल सीटों पर AAP का प्रदर्शन शानदार रहा। पार्टी ने 5 मुस्लिम प्रत्याशी उतारे, जिनमें से 4 जीतने में कामयाब रहे। AAP ने ओखला, सीलमपुर, मटिया महल और बल्लीमरान सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि मुस्तफाबाद सीट बीजेपी ने जीती।
दिल्ली में करीब 13% मुस्लिम वोटर हैं, जो 7 विधानसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इनमें से 6 सीटों पर AAP जीती, जबकि 1 सीट बीजेपी के खाते में गई। बाबरपुर और चांदनी चौक सीटों पर भी मुस्लिम वोटों के दम पर AAP की जीत हुई।
दलित-मुस्लिम वोट न मिलते तो AAP सिंगल डिजिट में सिमट जाती
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, AAP का दलित-मुस्लिम वोटबैंक अभी भी मजबूत है। आम आदमी पार्टी की फ्री बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य योजनाओं का असर इस तबके में दिखा, जिससे उन्हें इनका समर्थन मिला। दूसरी ओर, कांग्रेस और बसपा को दलितों ने नकार दिया, जबकि मुस्लिमों ने AIMIM की बजाय AAP को वोट देना सही समझा। अगर ये वोटबैंक भी AAP से खिसक जाता, तो पार्टी सिर्फ 8-10 सीटों तक सिमट सकती थी।
बीजेपी के लिए दलित-मुस्लिम वोटबैंक अब भी चुनौती
दिल्ली में 17% दलित और 13% मुस्लिम मतदाता बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं। बीजेपी ने मुस्लिम समुदाय को अपने एजेंडे में जगह नहीं दी, जबकि दलितों पर खास फोकस किया। इसके बावजूद, दलित-मुस्लिम समुदाय का झुकाव AAP की ओर रहा।
दिल्ली में मुस्लिमों का वोटिंग पैटर्न बीजेपी विरोधी रहा है। मुस्लिम मतदाता उस पार्टी को वोट देते हैं जो बीजेपी को हरा सके। चूंकि कांग्रेस कमजोर दिखी, इसलिए मुस्लिमों ने मजबूरी में AAP का साथ दिया। दूसरी ओर, दलित मतदाताओं ने भी फ्री सुविधाओं की वजह से AAP को समर्थन दिया।
निष्कर्ष
दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की हार के बावजूद दलित और मुस्लिम वोटबैंक उसकी ताकत बने रहे। अगर इन समुदायों ने भी साथ छोड़ दिया होता, तो AAP सिर्फ 8-10 सीटों पर सिमट सकती थी। वहीं, बीजेपी के लिए दिल्ली में दलित-मुस्लिम वोटबैंक को तोड़ना अब भी सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।