
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद मुस्तफाबाद का नाम बदलने को लेकर सियासत गरमा गई है। बीजेपी नेता मोहन सिंह बिष्ट ने इस इलाके का नाम बदलने की मांग उठाई, जिस पर आम आदमी पार्टी (AAP) के पूर्व विधायक हाजी यूनुस ने तीखी प्रतिक्रिया दी।
BJP नेता मोहन सिंह बिष्ट की मांग – बदलेगा मुस्तफाबाद का नाम?
बीजेपी नेता मोहन सिंह बिष्ट ने चुनाव जीतने के बाद बयान दिया कि वह मुस्तफाबाद का नाम बदलकर ‘शिवपुरी’ या ‘शिव विहार’ रखने की कोशिश करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें जीत की बधाई दी और वह जल्द ही उनसे मिलने का समय लेंगे।
बिष्ट के बयान के बाद भाजपा के कई नेताओं ने उनका समर्थन किया, जबकि विपक्षी दलों ने इसका विरोध करते हुए इसे राजनीतिक ध्रुवीकरण का प्रयास बताया।
AAP नेता हाजी यूनुस का पलटवार – “जब तक जिंदा हूं, नाम नहीं बदलेगा”
मुस्तफाबाद से AAP के पूर्व विधायक हाजी यूनुस ने मोहन सिंह बिष्ट के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा:
“जब तक मैं जिंदा हूं, मुस्तफाबाद का नाम नहीं बदला जाएगा। कुछ लोग यहां का भाईचारा खत्म करना चाहते हैं, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि मुस्तफाबाद एक दंगा पीड़ित इलाका रहा है, और इस तरह के मुद्दे उठाने से इलाके की शांति और सौहार्द बिगड़ सकता है।
“पहले शिव विहार का नाम वापस रखवाएं, फिर करें नाम बदलने की बात”
हाजी यूनुस ने यह भी याद दिलाया कि MCD चुनाव से पहले शिव विहार वार्ड का नाम बदलकर ईस्ट करावल नगर कर दिया गया था। उन्होंने तंज कसते हुए कहा:
“जब तुम लोग शिव विहार का नाम नहीं बचा सके, तो अब मुस्तफाबाद का नाम बदलने की बात क्यों कर रहे हो?”
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर सरकार जबरन नाम बदलने की कोशिश करती है, तो वह इसके खिलाफ कोर्ट और राष्ट्रपति तक जाएंगे।
नाम बदलने पर विपक्ष का BJP पर हमला
बीजेपी नेता मोहन सिंह बिष्ट के बयान के बाद समाजवादी पार्टी (SP) नेता जावेद अली ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा:
“इन लोगों के पास जनता के लिए कुछ करने को नहीं है। चुनावी वादे पूरे नहीं करते और सिर्फ नाम बदलने की राजनीति करते हैं।”
क्या बदलेगा मुस्तफाबाद का नाम?
नाम बदलने की यह मांग चुनावी नतीजों के बाद एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गई है। जहां BJP नेता इसे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक बदलाव का हिस्सा बता रहे हैं, वहीं AAP और अन्य विपक्षी दल इसे ध्रुवीकरण की राजनीति करार दे रहे हैं। अब देखना होगा कि यह विवाद आगे कितना बढ़ता है और क्या सरकार वास्तव में इस दिशा में कोई कदम उठाती है।