
Ghazipur: Minister Om Prakash Rajbhar Hoists Flag Wearing Shoes on Republic Day: गाजीपुर में 76वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर रिजर्व पुलिस लाइन स्थित परेड ग्राउंड में एक भव्य समारोह आयोजित किया गया। कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने मुख्य अतिथि के रूप में ध्वजारोहण किया और परेड की सलामी ली। इस दौरान जिलाधिकारी आर्यका अखौरी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थीं।
हालांकि, यह गौरवशाली अवसर विवादों में तब घिर गया जब मंत्री ध्वजारोहण के दौरान जूते पहने हुए नजर आए। सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरों और वीडियो में मंत्री अशोक चक्र के समीप फूलों पर खड़े होकर जूते पहने सलामी देते दिखे। इसे लेकर लोग प्रोटोकॉल और परंपराओं के उल्लंघन का आरोप लगा रहे हैं।
मुख्य बिंदु
1. ध्वजारोहण में जूते पहनने पर विवाद:
भारतीय परंपरा और शिष्टाचार के अनुसार, ध्वजारोहण के समय जूते उतारना एक सम्मानजनक परंपरा है, खासकर जब ध्वज तिरंगे के समीप हो। मंत्री का जूते पहनकर ध्वजारोहण करना लोगों को असंवेदनशील प्रतीत हुआ।
2. सोशल मीडिया पर आलोचना:
घटना के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर आलोचनाओं की बाढ़ आ गई। कई लोगों ने इसे तिरंगे और राष्ट्रगौरव का अपमान बताया।
3. प्रशासन और मंत्री की प्रतिक्रिया:
इस विवाद पर फिलहाल मंत्री ओमप्रकाश राजभर या प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
क्या जूते पहनकर ध्वजारोहण करना अनुचित है?
भारत में ध्वजारोहण एक विशेष और सम्मानजनक अवसर है। इसे लेकर कोई स्पष्ट कानूनी प्रोटोकॉल नहीं है जो जूते पहनने या न पहनने पर रोक लगाए। लेकिन यह शिष्टाचार और परंपरा का हिस्सा माना जाता है कि तिरंगे के समीप खड़े होते समय जूते उतारे जाएं। खासकर जब कोई व्यक्ति ध्वजारोहण के लिए मंच पर चढ़ता है, तो जूते उतारने को तिरंगे और भारतीय संस्कृति के प्रति सम्मान माना जाता है।
हालांकि, कुछ औपचारिक या सैन्य आयोजनों में अधिकारी यूनिफॉर्म (जूते सहित) में होते हैं, तो यह प्रोटोकॉल का हिस्सा होता है। लेकिन मंत्री जैसे नागरिक प्रतिनिधियों से परंपराओं का पालन करने की अपेक्षा अधिक होती है।
पुराने विवाद और उदाहरण
यह पहली बार नहीं है जब जूते पहनकर ध्वजारोहण करने पर विवाद हुआ हो।
1. 2018, उत्तर प्रदेश:
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर यूपी के एक मंत्री पर जूते पहनकर ध्वजारोहण करने का आरोप लगा था। इस घटना के बाद उनकी तीखी आलोचना हुई और उन्हें सार्वजनिक माफी मांगनी पड़ी।
2. 2009, झारखंड:
झारखंड के एक मंत्री ने गणतंत्र दिवस पर जूते पहनकर ध्वजारोहण किया। जब विवाद बढ़ा, तो उन्होंने इसे भूलवश हुई गलती बताते हुए सार्वजनिक माफी मांगी।
3. 2015, मध्य प्रदेश:
मध्य प्रदेश के एक मंत्री पर गणतंत्र दिवस के अवसर पर जूते पहनकर मंच पर चढ़ने का आरोप लगा था। जनता के विरोध के बाद उन्होंने बयान जारी कर अपनी गलती मानी।
पृष्ठभूमि और महत्व
गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व न केवल भारत के संविधान की महत्ता को उजागर करते हैं, बल्कि राष्ट्रीय सम्मान, परंपराओं, और संस्कृति का प्रतीक भी हैं। ऐसे मौकों पर प्रोटोकॉल और परंपराओं का पालन न करना जनता के बीच आक्रोश का कारण बनता है।
मंत्री ओमप्रकाश राजभर का जूते पहनकर ध्वजारोहण करना कानूनी रूप से गलत भले न हो, लेकिन यह भारतीय संस्कृति और परंपरा के खिलाफ समझा जा रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि मंत्री या प्रशासन इस विवाद पर क्या सफाई देते हैं और क्या कोई सुधारात्मक कदम उठाए जाते हैं।