Wednesday, July 2, 2025
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मुंबई हमले के दोषी तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण: भारत लाने का रास्ता साफ, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी

Mumbai Attack Convict Tahawwur Rana’s Extradition: मुंबई हमले के दोषी तहव्वुर हुसैन राणा को जल्द ही भारत लाया जाएगा। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। इस फैसले ने 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया है।

राणा का प्रत्यर्पण: भारत की लंबी लड़ाई का परिणाम

तहव्वुर राणा, जो पाकिस्तान मूल का कनाडाई नागरिक है, 2008 के मुंबई हमलों के मामले में वांछित था। अमेरिकी अदालतों में भारत सरकार को प्रत्यर्पण के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। राणा के प्रत्यर्पण के अनुरोध का समर्थन पिछले साल अमेरिकी सरकार ने भी किया था। इसके बाद, राणा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। अब, राणा को लॉस एंजेल्स से भारत लाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

मुंबई हमलों का संदर्भ

26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने मुंबई के कई प्रमुख स्थानों पर हमला किया था। ये हमले लियोपोल्ड कैफे, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, ताज महल होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, नरीमन हाउस और कामा हॉस्पिटल सहित अन्य स्थानों पर किए गए। इस आतंकवादी हमले में 166 लोगों की मौत हुई, जिनमें 6 अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे। इसके अलावा, 300 से अधिक लोग घायल हुए थे।

तहव्वुर राणा की भूमिका

तहव्वुर राणा का नाम 26/11 हमलों के मुख्य साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली से जुड़ा हुआ है। हेडली ने भारत में हमलों के लिए जगहों की रेकी की थी, और राणा ने उसे इस कार्य में मदद की। राणा ने आतंकियों को हमलों के लिए आवश्यक जानकारी और सहायता प्रदान की।

मुंबई पुलिस की चार्जशीट के अनुसार, राणा ने आतंकियों को हमले की योजना बनाने में सहयोग दिया और भारत में उनके ठहरने की व्यवस्था भी की। राणा ने एक ब्लूप्रिंट तैयार किया था, जिसके आधार पर हमले को अंजाम दिया गया।

कौन है तहव्वुर राणा?

तहव्वुर हुसैन राणा पाकिस्तान का मूल निवासी है। 1990 के दशक में वह अपने परिवार के साथ कनाडा चला गया और वहीं की नागरिकता प्राप्त की। बाद में वह शिकागो में रहने लगा और एक इमीग्रेशन कंसलटेंट के तौर पर काम करने लगा।

राणा पर 2009 में अमेरिकी अधिकारियों ने डेविड हेडली और लश्कर-ए-तैयबा की मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। 2011 में डेनमार्क के एक अखबार पर हमले की साजिश के मामले में उसे 14 साल की सजा सुनाई गई थी।

भारत में मुकदमा चलाने का रास्ता साफ

हालांकि अमेरिका में मुंबई हमलों के आरोप में राणा को बरी कर दिया गया था, लेकिन अमेरिकी अभियोजकों का कहना है कि यह भारत में उसके खिलाफ मुकदमा चलाने पर रोक नहीं लगाता। भारत सरकार ने राणा के खिलाफ पर्याप्त सबूत प्रस्तुत किए हैं, जिनके आधार पर अब भारत में उस पर मुकदमा चलाया जाएगा।

प्रत्यर्पण का महत्व

तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण 26/11 हमलों के पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस फैसले से यह भी संकेत मिलता है कि आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एकजुटता बढ़ रही है।

भारत सरकार अब राणा को देश लाने और न्याय प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राणा पर भारत में मुकदमा कब और कैसे शुरू किया जाएगा।

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VIKAS TRIPATHI भारत देश की सभी छोटी और बड़ी खबरों को सामने दिखाने के लिए "पर्दाफास न्यूज" चैनल को लेके आए हैं। जिसके लोगो के बीच में करप्शन को कम कर सके। हम देश में समान व्यवहार के साथ काम करेंगे। देश की प्रगति को बढ़ाएंगे।
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