
Raghubar Das Jharkhand return to BJP after 14 months: पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास 14 महीने बाद #बीजेपी में वापस लौट आए हैं। विधानसभा चुनाव से पहले ही उनके पार्टी में वापसी की चर्चा थी, लेकिन तब पार्टी ने उन्हें शामिल नहीं किया। अब उनकी वापसी के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह किसी खास नेता के लिए #खतरेकीघंटी हो सकती है?
रघुवर की वापसी की आवश्यकता क्यों पड़ी?
2020 के विधानसभा चुनाव हारने के बाद रघुवर दास झारखंड की राजनीति से काफी समय तक दूर रहे। उन्हें 2023 में ओडिशा राज्यपाल नियुक्त किया गया था, लेकिन अब #झारखंड की राजनीति में फिर से सक्रिय होने के लिए उन्होंने राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया। उनकी वापसी के बाद बीजेपी की कार्यकर्ताओं ने #वीवीएलकमबैक्स्लोगन के साथ उनका स्वागत किया।
झारखंड बीजेपी में गुटबाजी और हार की वजह
झारखंड में विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी को मिली हार के प्रमुख कारणों में संगठन की आंतरिक गुटबाजी को बताया गया है। बागी नेताओं की वजह से पार्टी को बड़ा नुकसान हुआ। खासकर #बाबूलालमरांडी के नेतृत्व में पार्टी को कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। #आदिवासीवोट की दिक्कत भी पार्टी के लिए समस्या बन गई थी।
रघुवर की वापसी और पार्टी कार्यकर्ताओं में ऊर्जा
रघुवर की वापसी को कार्यकर्ताओं में #नईऊर्जा और उत्साह का प्रतीक माना जा रहा है। उन्होंने रांची में कार्यकर्ताओं से मिलकर पार्टी को जीत की दिशा में आगे बढ़ने की अपील की। उनका कहना है कि सब मिलकर काम करेंगे और पार्टी को जीत दिलाएंगे।
रघुवर की वापसी किसके लिए सियासी संकेत?
रघुवर दास की वापसी पार्टी के भीतर एक नई सियासी हलचल का संकेत है। ऐसा माना जा रहा है कि उनकी वापसी से #बाबूलालमरांडी के लिए समस्या हो सकती है। रघुवर की मजबूत पकड़ और नेतृत्व की क्षमता को देखते हुए, उनकी तैनाती से पार्टी को #झारखंड में नए अवसर मिल सकते हैं। इसके अलावा, राष्ट्रीय स्तर पर भी रघुवर की भूमिका को लेकर चर्चा तेज हो गई है।रघुवर दास की बीजेपी में वापसी से झारखंड की राजनीति में नया मोड़ आ सकता है। उनका नेतृत्व पार्टी के लिए नई दिशा और उत्साह ला सकता है, जबकि यह कुछ नेताओं के लिए सियासी चिंता का कारण भी बन सकता है। #बीजेपी को अब #रघुवरदास के नेतृत्व में एक नई ताकत मिलने की उम्मीद है।