Alok Mehta RJD MLA education politics: आरजेडी विधायक और पूर्व मंत्री आलोक कुमार मेहता के 16 ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छापेमारी की है। यह कार्रवाई सहकारी बैंक में घोटाले के मामले में हुई है। आलोक मेहता, जिन्हें लालू प्रसाद यादव का करीबी माना जाता है, आरजेडी के प्रमुख संकटमोचक और प्रभावशाली नेता हैं।
पिता तुलसीदास मेहता की राजनीतिक विरासत
आलोक कुमार मेहता का नाम बिहार की राजनीति में बड़े कद वाले नेताओं में शुमार है। उनके पिता तुलसीदास मेहता समाजवादी आंदोलन के अग्रणी नेता रहे और राजद के संस्थापक सदस्यों में शामिल थे। तुलसीदास ने 1962 में सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर पहली बार चुनाव जीता और 1969 में राज्य मंत्री बने। लालू यादव की सरकार में भी तुलसीदास दो बार कैबिनेट मंत्री रहे।
राजनीतिक से सहकारिता तक की यात्रा
तुलसीदास मेहता ने बिहार में सहकारी क्षेत्र में कई पहल कीं, जिनमें वैशाली सहकारी बैंक और सहकारी कोल्ड स्टोरेज की स्थापना प्रमुख है। इन्हीं परियोजनाओं से जुड़े वित्तीय अनियमितता के मामले में अब आलोक मेहता जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं।
आलोक मेहता: एक सफल कारोबारी से राजनीतिज्ञ तक का सफर
आलोक कुमार मेहता ने बेंगलुरु के रमैया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बीई किया और अमेरिका में एक सॉफ्टवेयर कंपनी स्थापित की। इसके बाद वह राजनीति में सक्रिय हुए और सहकारी संस्थाओं से जुड़े। राजद में उनकी भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण रही है। वह पार्टी के संकटमोचक माने जाते हैं और सात राज्यों में राजद के प्रभारी रह चुके हैं।
राजनीतिक उपलब्धियां और पारिवारिक जुड़ाव
आलोक मेहता बिहार सरकार में शिक्षा मंत्री और राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रह चुके हैं। उनकी बहन सुहेली मेहता बीजेपी की प्रदेश प्रवक्ता हैं, जो राजनीतिक परिवार की विविधता को दर्शाता है।
ईडी की कार्रवाई: राजद के लिए नई चुनौती
सहकारी बैंक घोटाले में ईडी की कार्रवाई ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। आलोक मेहता पर लगे आरोपों से राजद पर दबाव बढ़ा है। उनकी इस कहानी में एक ओर जहां उनके पिता की समाजवादी और सहकारी पहचान है, वहीं दूसरी ओर उनके खुद के कारोबारी और राजनीतिक सफर की कई परतें सामने आती हैं।
निष्कर्ष:
आलोक मेहता की राजनीति और सहकारी संस्थाओं में भूमिका ने उन्हें बिहार में एक बड़ा कद दिया है। हालांकि, वर्तमान जांच ने उनकी छवि पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिससे राजद को एक और राजनीतिक चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
VIKAS TRIPATHI
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