
India Question To China: तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो (ब्रह्मपुत्र) नदी पर बनाए जा रहे चीन के मेगा हाइड्रोपावर डैम को लेकर भारत ने गहरी चिंता व्यक्त की है। भारत का कहना है कि इस परियोजना से नदी के निचले बहाव वाले देशों, खासकर भारत और बांग्लादेश, पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
चीन की प्रतिक्रिया में शनिवार (4 जनवरी) को बीजिंग ने स्पष्ट किया कि यह परियोजना दशकों के गहन अध्ययन और योजना का परिणाम है। चीन ने कहा कि इस डैम को पर्यावरणीय सुरक्षा के सभी मानकों का पालन करते हुए डिजाइन किया गया है और यह सुनिश्चित किया गया है कि निचले बहाव वाले देशों पर कोई नकारात्मक असर न हो।
चीन का दावा और पड़ोसी देशों की आशंका
चीन ने अपने बयान में कहा कि यारलुंग त्सांगपो पर बनने वाली यह परियोजना क्षेत्र में स्वच्छ ऊर्जा के स्रोत को मजबूत करेगी और जलविद्युत के उपयोग को बढ़ावा देगी। हालांकि, भारत और बांग्लादेश को आशंका है कि यह डैम नदी के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित कर सकता है, जिससे निचले क्षेत्रों में जल संकट, कृषि प्रभावित होने और पर्यावरणीय असंतुलन का खतरा बढ़ सकता है।
भारत और बांग्लादेश की मांग
भारत और बांग्लादेश दोनों ने मांग की है कि चीन परियोजना की पारदर्शिता सुनिश्चित करे और जल प्रवाह से संबंधित डाटा साझा करे। विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रह्मपुत्र जैसे अंतरराष्ट्रीय नदी पर किसी भी बड़े निर्माण से पहले पड़ोसी देशों की सहमति और चिंता का समाधान जरूरी है।
चीन की मंशा पर सवाल
चीन के इस डैम को लेकर विशेषज्ञ यह भी सवाल उठा रहे हैं कि यह केवल ऊर्जा उत्पादन तक सीमित है या इसके पीछे रणनीतिक मंशा भी छिपी है। जल संसाधनों पर नियंत्रण को लेकर पहले भी चीन पर सवाल खड़े होते रहे हैं।
इस परियोजना को लेकर भारत और बांग्लादेश के बीच चर्चा जारी है, और दोनों देश संयुक्त रूप से चीन से इस मुद्दे पर और स्पष्टता की मांग कर सकते हैं।