Tuesday, July 1, 2025
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अमित शाह ने संसद में किया दुष्यंत कुमार की कविता का जिक्र, कौन थे ये मशहूर कवि?

Amit Shah mentioned Dushyant Kumar poem: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर चर्चा के दौरान दुष्यंत कुमार की कविता का जिक्र किया और इमरजेंसी के दौर की याद दिलाई। शाह ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि यह कविता संविधान के हालात को बयां करती है।

दुष्यंत कुमार की कविता का जिक्र

अमित शाह ने राज्यसभा में दुष्यंत कुमार की कविता पढ़ते हुए कहा:
“एक गुड़िया की कई कठपुतलियों में जान है,
आज शायर यह तमाशा देखकर हैरान है।
कल नुमाइश में मिला वो चीथड़े पहने हुए,
मैंने पूछा नाम तो बोला कि हिंदुस्तान है।”

इसके बाद शाह ने बताया कि यह कविता दुष्यंत कुमार ने इमरजेंसी के दौर में लिखी थी और यह उस समय की सत्ता व्यवस्था पर सीधा प्रहार थी। उन्होंने इस कविता को संविधान और लोकतंत्र की स्थिति से जोड़ा और इंदिरा गांधी की आलोचना की।

कौन थे दुष्यंत कुमार?

दुष्यंत कुमार हिंदी के मशहूर कवि, गजलकार और कथाकार थे, जिन्होंने अपनी रचनाओं के जरिए सत्ता और व्यवस्था की आलोचना की। उनका जन्म 27 सितंबर 1931 को उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के राजपुर नवादा गांव में हुआ था।

  • शिक्षा: दुष्यंत कुमार की प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल में हुई। उन्होंने नहटौर से हाईस्कूल और चंदौसी से इंटरमीडिएट किया। आगे की पढ़ाई के लिए वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय गए, जहां से उन्होंने हिंदी में बीए और एमए किया। इसके बाद उन्होंने मुरादाबाद से बीएड की पढ़ाई भी पूरी की।
  • करियर: पढ़ाई के बाद दुष्यंत कुमार ने आकाशवाणी में काम किया और लेखन के क्षेत्र में सक्रिय हो गए।

इमरजेंसी के दौर में सरकार पर किया तीखा प्रहार

दुष्यंत कुमार की कविताएं और गजलें इमरजेंसी के दौर में बेहद लोकप्रिय हुईं। उन्होंने अपनी रचनाओं में उस समय की सत्ता के दमनकारी रवैये और लोकतंत्र के संकट पर खुलकर प्रहार किया। उनकी कविताएं लोगों की आवाज बन गईं।

‘साये में धूप’ और लोकप्रियता

साल 1975 में दुष्यंत कुमार का प्रसिद्ध गजल संग्रह ‘साये में धूप’ प्रकाशित हुआ, जिसने उन्हें अमर कर दिया। इस संग्रह की गजलें आज भी लोगों की जुबान पर रहती हैं और सत्ता के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक मानी जाती हैं।

अल्पायु में निधन

दुष्यंत कुमार का निधन 30 दिसंबर 1975 को हार्ट अटैक के कारण हुआ। महज 44 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन उनकी कविताएं आज भी समाज के सवालों को आवाज देती हैं।

दुष्यंत की कविता क्यों प्रासंगिक है?

अमित शाह द्वारा संसद में दुष्यंत कुमार की कविता का जिक्र बताता है कि उनकी रचनाएं आज भी प्रासंगिक हैं। सत्ता के खिलाफ सवाल उठाने वाली उनकी कविताएं लोकतंत्र की मजबूती और संविधान के संरक्षण की बात करती हैं।

दुष्यंत कुमार की रचनाएं साहित्यिक धरोहर हैं, जो आने वाले समय में भी सत्ता से सवाल करने की हिम्मत देती रहेंगी।

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