सुप्रीम कोर्ट ने देश में पूजा स्थलों (मस्जिद, मंदिर और दरगाह) के खिलाफ कोई नया मामला दर्ज करने पर रोक लगाते हुए सभी अदालतों को निर्देश जारी किए हैं। यह आदेश तब तक लागू रहेगा जब तक सुप्रीम कोर्ट कोई अगला आदेश नहीं देता। इसके साथ ही निचली अदालतों को फिलहाल किसी भी पूजा स्थल के सर्वे का आदेश देने से भी रोक दिया गया है।
मौलाना मदनी का स्वागत, ओवैसी ने जताई उम्मीद
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “इससे सांप्रदायिकता और अशांति फैलाने वालों पर लगाम लगेगी।” उन्होंने इसे देश में शांति और सद्भाव बनाए रखने की दिशा में अहम कदम बताया।
वहीं, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी फैसले को सकारात्मक बताते हुए कहा, “यह एक अच्छा फैसला है। उम्मीद है कि अब दंगे नहीं होंगे। निचली अदालतें सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करेंगी।” संभल की हालिया घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने इसे दुखद बताया और बेगुनाहों की मौत पर शोक व्यक्त किया।
पूजा स्थलों की स्थिति पर आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि लंबित मामलों (जैसे ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा शाही ईदगाह, संभल जामा मस्जिद) में भी कोई ऐसा आदेश पारित न किया जाए जिससे पूजा स्थलों की स्थिति में बदलाव हो।
मदनी की अपील: शांति और सद्भावना का संदेश
मौलाना महमूद मदनी ने कहा, “हमारा उद्देश्य देश में शांति और व्यवस्था बनाए रखना है।” उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को एक ऐसा कदम बताया जो देश को सांप्रदायिकता की आग में झोंकने की कोशिशों को नाकाम करेगा।
फैसले से किन लोगों को झटका?
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय उन संगठनों और लोगों के लिए बड़ा झटका है जो पूजा स्थलों के इतिहास को लेकर विवाद खड़ा कर रहे थे। कोर्ट का यह आदेश देश में सांप्रदायिक सौहार्द्र बनाए रखने की दिशा में एक अहम कदम के रूप में देखा जा रहा है।
VIKAS TRIPATHI
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