राज्यसभा में उपराष्ट्रपति और सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव संसद का माहौल गर्म कर चुका है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे विपक्ष की राजनीतिक नौटंकी और जनता के मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास बताया। उन्होंने एनडीए की मजबूती और बहुमत का दावा करते हुए कहा कि यह प्रस्ताव किसी भी स्थिति में सफल नहीं होगा।
विपक्ष का आरोप: धनखड़ पर निष्पक्षता में कमी
विपक्षी दलों का कहना है कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ राज्यसभा की कार्यवाही को निष्पक्षता और लोकतांत्रिक आदर्शों के अनुसार संचालित करने में विफल रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि धनखड़ का झुकाव सत्ताधारी दल की ओर है, और उनके निर्णय लोकतांत्रिक मानकों का पालन नहीं करते।
विपक्ष के अनुसार, यह प्रस्ताव सिर्फ एक व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि सरकार की कार्यशैली और संसद में बढ़ती असंतुलन को उजागर करने का प्रयास है। उनका कहना है कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए निष्पक्षता का पालन करना अनिवार्य है, और धनखड़ के कार्य व्यवहार ने इन आदर्शों को कमजोर किया है।
किरेन रिजिजू का जवाब: ‘यह अविश्वास प्रस्ताव एक नौटंकी’
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष के इस कदम को राजनीति से प्रेरित और संसद की कार्यवाही बाधित करने वाला बताया। उन्होंने कहा:
“एनडीए के पास राज्यसभा में पूर्ण बहुमत है, और यह प्रस्ताव विफल होना तय है। विपक्ष इसे सिर्फ अपनी राजनीतिक उपस्थिति दर्ज कराने के लिए लाया है।”
उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह जनता के असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के प्रस्ताव ला रहा है। साथ ही उन्होंने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की सराहना करते हुए उन्हें एक “प्रोफेशनल और निष्पक्ष सभापति” करार दिया।
राज्यसभा में एनडीए की स्थिति: बहुमत का दावा मजबूत
राज्यसभा में एनडीए का बहुमत विपक्ष के इस प्रस्ताव के पारित होने की संभावना को कम करता है। एनडीए को कई क्षेत्रीय दलों का भी समर्थन प्राप्त है, जो उनकी स्थिति को और मजबूत बनाता है।
विपक्ष भले ही इस प्रस्ताव को संख्या बल से परे “लोकतांत्रिक आदर्शों की रक्षा” के रूप में प्रस्तुत कर रहा हो, लेकिन सरकार का दावा है कि यह सिर्फ समय बर्बाद करने की कवायद है।
विपक्ष का पक्ष: ‘संख्या बल नहीं, निष्पक्षता की मांग’
विपक्षी दलों ने साफ किया है कि यह प्रस्ताव केवल संख्या बल पर आधारित नहीं है। उन्होंने कहा:
“यह हमारी जिम्मेदारी है कि संसद को निष्पक्ष और लोकतांत्रिक तरीके से संचालित किया जाए। उपराष्ट्रपति धनखड़ का कार्यशैली लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है।”
विपक्ष ने आरोप लगाया है कि सत्तारूढ़ दल संसद की स्वायत्तता को कमजोर कर रहा है, और यह प्रस्ताव इसी गिरावट को रोकने की दिशा में एक प्रयास है।
अविश्वास प्रस्ताव के राजनीतिक मायने
यह अविश्वास प्रस्ताव एक प्रतीकात्मक लड़ाई बन गया है। विपक्ष इसे सरकार और उपराष्ट्रपति के खिलाफ एक नैतिक प्रश्न के रूप में देख रहा है, जबकि एनडीए इसे एक विफल राजनीतिक चाल के रूप में पेश कर रहा है।
विश्लेषकों का मानना है कि इस प्रस्ताव के जरिए विपक्ष संसद और देश के राजनीतिक विमर्श में अपना दबदबा बनाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, एनडीए का बहुमत और उसके सहयोगी दलों का समर्थन विपक्ष के प्रयासों को विफल कर सकता है।
क्या अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष की रणनीति है?
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि विपक्ष का यह कदम 2024 के आम चुनावों से पहले जनता के बीच अपने मुद्दों को उभारने की रणनीति हो सकता है। उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर विपक्ष ने सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की है, लेकिन संख्या बल के अभाव में यह प्रस्ताव केवल एक संदेश तक ही सीमित रह सकता है।
निष्कर्ष: बहस के केंद्र में लोकतंत्र और निष्पक्षता
जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ने संसद के भीतर सरकार और विपक्ष के बीच खाई को और चौड़ा कर दिया है। जहां विपक्ष इसे लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा का कदम बता रहा है, वहीं सरकार इसे अपनी स्थिरता और शक्ति का प्रदर्शन मान रही है।
अविश्वास प्रस्ताव पारित हो या ना हो, लेकिन यह घटना संसद में लोकतंत्र, निष्पक्षता, और आदर्शों पर बहस को ज़रूर जीवित रखेगी।
VIKAS TRIPATHI
भारत देश की सभी छोटी और बड़ी खबरों को सामने दिखाने के लिए “पर्दाफास न्यूज” चैनल को लेके आए हैं। जिसके लोगो के बीच में करप्शन को कम कर सके। हम देश में समान व्यवहार के साथ काम करेंगे। देश की प्रगति को बढ़ाएंगे।