Tuesday, July 1, 2025
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विदेशों में घट रहा एएमयू का क्रेज: पांच साल में कम हुई विदेशी छात्रों की संख्या, कई देशों से एक भी छात्र नहीं

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू), जो कभी विदेशी छात्रों के लिए शिक्षा का प्रमुख केंद्र हुआ करती थी, अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना आकर्षण खोती नजर आ रही है। पिछले पांच वर्षों में विदेशी छात्रों की संख्या में लगातार गिरावट आई है। इसका मुख्य कारण छात्रों को उनके देशों से छात्रवृत्ति न मिलना और एएमयू में फीस व अन्य सुविधाओं की तुलना में अन्य भारतीय विश्वविद्यालयों का अधिक अनुकूल होना बताया जा रहा है।

विदेशी छात्रों की संख्या में गिरावट

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, एएमयू में 2021-22 में 253 विदेशी छात्रों ने दाखिला लिया था, जिनमें 84 छात्राएं शामिल थीं। इस संख्या में 2024-25 तक गिरावट आकर 170 रह गई। हालांकि, दाखिला लेने वाले देशों की संख्या बढ़कर 26 हो गई है, लेकिन छात्रों की कुल संख्या में कमी दर्ज की गई है।

साल दर साल के आंकड़े:

  • 2021-22: 253 छात्र (84 छात्राएं, 146 शोधार्थी)
  • 2023-24: 178 छात्र (76 छात्राएं, 91 शोधार्थी)
  • 2024-25: 170 छात्र (49 छात्राएं, 69 शोधार्थी)

इन देशों के छात्रों ने बनाई दूरी

न्यूजीलैंड, जर्मनी, लीबिया, कजाकिस्तान और सऊदी अरब जैसे देशों के छात्रों ने पिछले पांच वर्षों में एएमयू से दूरी बना ली है। यह गिरावट चिंताजनक है, क्योंकि ये देश पहले एएमयू के नियमित साझेदार हुआ करते थे।

घटती संख्या के कारण

एएमयू के अंतरराष्ट्रीय अध्ययन के सलाहकार प्रो. सैयद अली नवाज जैदी ने बताया कि विदेशी छात्रों को अब अपने देशों से छात्रवृत्ति नहीं मिल पा रही है।
इसके अलावा, कुछ प्रमुख कारणों का उल्लेख किया गया:

  1. महंगी फीस: पुणे और दिल्ली के विश्वविद्यालयों की तुलना में एएमयू में फीस अधिक है।
  2. आवागमन की दिक्कतें: दिल्ली और पुणे जैसे शहरों में हवाई संपर्क और अन्य सुविधाएं बेहतर हैं।
  3. प्राइवेट विश्वविद्यालयों का आकर्षण: निजी विश्वविद्यालय बेहद कम फीस में विदेशी छात्रों को अधिक सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं।
  4. सुविधाओं की कमी: अन्य शहरों की तुलना में एएमयू के परिसर और आसपास के क्षेत्र में आधुनिक सुविधाओं की कमी है।

पांच फीसदी आरक्षण

एएमयू में पेशेवर पाठ्यक्रमों में विदेशी छात्रों के लिए पांच फीसदी सीटें आरक्षित हैं। इसके अलावा सामान्य डिग्री और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के लिए भी अलग-अलग सीटें निर्धारित हैं। लेकिन, आरक्षण और सीटों की संख्या में वृद्धि के बावजूद, छात्रों की संख्या में गिरावट रुक नहीं रही है।

क्या है भविष्य की योजना?

विदेशी छात्रों की घटती संख्या के मद्देनजर एएमयू प्रशासन को अपनी रणनीति में बदलाव करने की आवश्यकता है।

  1. सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत: परिसर में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए विशेष सुविधाएं जैसे बेहतर हॉस्टल, आधुनिक पुस्तकालय और अन्य सुविधाओं की व्यवस्था की जानी चाहिए।
  2. कम फीस का प्रस्ताव: फीस संरचना को अन्य शीर्ष विश्वविद्यालयों के मुकाबले प्रतिस्पर्धी बनाना होगा।
  3. अंतरराष्ट्रीय संपर्क: अधिक देशों से छात्र आकर्षित करने के लिए एएमयू को विदेशी दूतावासों और शैक्षिक संगठनों के साथ साझेदारी करनी चाहिए।
  4. स्कॉलरशिप का विस्तार: विदेशी छात्रों के लिए एएमयू स्तर पर छात्रवृत्ति की पेशकश की जा सकती है।

निष्कर्ष

एएमयू की प्रतिष्ठा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमेशा से उच्च रही है, लेकिन हाल के वर्षों में विदेशी छात्रों की घटती संख्या चिंता का विषय है। यदि प्रशासन ने समय रहते इस दिशा में सुधारात्मक कदम नहीं उठाए, तो एएमयू का वैश्विक आकर्षण और अधिक घट सकता है। प्रतिस्पर्धा के इस दौर में, एएमयू को अपनी नीतियों में बदलाव करते हुए विदेशी छात्रों के लिए फिर से एक पसंदीदा विकल्प बनना होगा।

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VIKAS TRIPATHI
VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
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