
उत्तर प्रदेश में आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपने संगठन को नए सिरे से मजबूत करने में जुटी हुई है। इस बार संगठन चुनाव में पार्टी ने साफ संदेश दिया है कि अब मनमानी नहीं चलेगी। सांसदों और विधायकों के बजाय पार्टी के मूल कैडर को तवज्जो देकर नई लीडरशिप को उभारने की तैयारी हो रही है।
पर्यवेक्षकों की नियुक्ति: पारदर्शी चुनाव की कवायद
बीजेपी ने प्रदेश के 98 जिलों और 1918 मंडलों में संगठन चुनाव करवाने के लिए 36 वरिष्ठ नेताओं को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। हर तीन जिलों पर एक पर्यवेक्षक की तैनाती की गई है। इन पर्यवेक्षकों को जिम्मेदारी दी गई है कि वे मंडल और जिला अध्यक्षों का चयन पूरी पारदर्शिता और सहमति से करें। यह निर्णय पूर्व और वर्तमान सांसदों, विधायकों और वरिष्ठ नेताओं के साथ विचार-विमर्श के बाद लिया जाएगा, लेकिन इस बार अध्यक्षों की नियुक्ति में किसी की व्यक्तिगत पसंद-नापसंद नहीं चलेगी।
बूथ स्तर से संगठन निर्माण
बीजेपी ने राज्य में 1.62 लाख बूथ कमेटियों का गठन कर लिया है। हर बूथ पर 11 सदस्यीय टीम बनाई गई है, जिसमें बूथ अध्यक्ष, सचिव, लाभार्थी प्रमुख और एक व्हाट्सएप ग्रुप प्रमुख शामिल हैं। इसके बाद मंडल और जिला अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
- मंडल अध्यक्ष का चुनाव 15 दिसंबर तक
- जिला अध्यक्ष का चुनाव 30 दिसंबर तक
इस बार किसी भी मंडल या जिला अध्यक्ष को तीसरी बार मौका नहीं मिलेगा। इसके अलावा, अगर किसी बूथ पर 50 सदस्य पूरे नहीं हुए या मंडल में 50% बूथों का गठन नहीं हुआ, तो उस मंडल की कार्यकारिणी भी नहीं बनेगी।
वरिष्ठ नेताओं को सौंपी गई जिम्मेदारी
पर्यवेक्षकों की सूची में कई वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों को शामिल किया गया है:
- डॉ. रमापति राम त्रिपाठी – लखनऊ, उन्नाव
- सुरेश कुमार खन्ना – गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर
- सूर्य प्रताप शाही – आगरा, मथुरा
- स्वतंत्र देव सिंह – गोरखपुर, महराजगंज
- पंकज सिंह – अयोध्या, अंबेडकरनगर
- प्रियंका रावत – फतेहपुर, महोबा
- संतोष सिंह – मुरादाबाद, रामपुर
नई लीडरशिप को मौका देने की रणनीति
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े ने स्पष्ट किया कि इस बार संगठन चुनाव पार्टी के सिद्धांतों के आधार पर होंगे, जहां युवा और कर्मठ कार्यकर्ताओं को आगे लाया जाएगा। बैठक में उन्होंने कहा, “बीजेपी सिर्फ सत्ता के लिए नहीं, बल्कि सेवा के लिए राजनीति करती है।” इसलिए संगठन में उन्हीं कार्यकर्ताओं को जगह मिलेगी जो पार्टी की विचारधारा के अनुरूप काम कर रहे हैं।
10 साल बाद लोकतांत्रिक तरीके से संगठन निर्माण
करीब एक दशक बाद यूपी में बूथ से लेकर प्रदेश स्तर तक संगठन को लोकतांत्रिक तरीके से गठित करने की योजना बनाई गई है। यह प्रक्रिया पार्टी के कैडर को मज़बूत करने और बैकडोर एंट्री पर रोक लगाने के उद्देश्य से की जा रही है।
पारदर्शिता और निष्पक्षता पर जोर
बीजेपी ने अपने संगठन चुनाव में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए पर्यवेक्षकों को सख्त दिशा-निर्देश दिए हैं। पार्टी चाहती है कि संगठन में ऐसे लोग आएं जो न केवल संगठनात्मक जिम्मेदारियां निभा सकें, बल्कि भविष्य में पार्टी को मजबूत नेतृत्व भी दे सकें।
निष्कर्ष:
बीजेपी का यह कदम संगठन में नई ऊर्जा का संचार करेगा। यह देखा जाना बाकी है कि पार्टी की यह रणनीति आगामी लोकसभा चुनावों में कितना असर डालती है। लेकिन एक बात तय है कि यूपी में बीजेपी का यह संगठनात्मक बदलाव प्रदेश की राजनीति को नए आयाम देने वाला है।