
रांची। झारखंड चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की चुनौती को ध्वस्त कर सत्ता में लौटी झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के सुप्रीमो हेमंत सोरेन इन दिनों अपनी पत्नी कल्पना सोरेन के साथ दिल्ली दौरे पर हैं। चुनावी जीत के बाद दोनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की, फिर आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल से भी मिले।
दिल्ली में हेमंत और कल्पना की यह विजयी यात्रा केवल राजनीतिक शिष्टाचार नहीं है, बल्कि एक बड़े बदलाव की ओर इशारा कर रही है—एक ऐसा बदलाव, जहां हेमंत सोरेन की तुलना में अब उनकी पत्नी कल्पना सोरेन झारखंड की राजनीति में एक उभरता हुआ चेहरा बनती जा रही हैं।
कल्पना सोरेन: राजनीति में ‘दुर्घटनावश’ आईं, लेकिन अब ‘विजेता’ बनकर उभरीं
राजनीति में कई बार दुर्घटनाएं अवसर बन जाती हैं, और कल्पना सोरेन की कहानी इसका जीवंत उदाहरण है। हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद अचानक सार्वजनिक मंचों पर आईं कल्पना ने अपने सहज स्वभाव, सरल भाषा और आत्मीयता भरे संवाद से जनता को प्रभावित किया।
झारखंड के चुनावी मैदान में महिलाओं ने विशेष रूप से कल्पना के चेहरे पर भरोसा जताया। वह महज हेमंत सोरेन की पत्नी नहीं रहीं, बल्कि एक सशक्त महिला नेता के रूप में उभरकर आईं। उनके प्रचार की मांग केवल जेएमएम तक सीमित नहीं रही, बल्कि कांग्रेस के उम्मीदवार भी उनकी सभाओं को अपने क्षेत्रों में आयोजित करने के लिए आतुर थे।
हेमंत से ज्यादा ‘डिमांड’ में रहीं कल्पना की सभाएं
चुनाव प्रचार के दौरान कल्पना सोरेन की लोकप्रियता का आलम यह था कि हेमंत सोरेन की तुलना में उनकी ज्यादा सभाएं आयोजित हो रही थीं। एक दिन में सात से आठ सभाएं करना उनकी दिनचर्या बन गई थी।
उनके आत्मविश्वास और सहज संवाद ने आदिवासी समुदाय और महिला मतदाताओं को जेएमएम के पक्ष में मोड़ने में अहम भूमिका निभाई।
बीजेपी की नींद उड़ाने वाला नया चेहरा
कल्पना सोरेन के सहज अंदाज और मजबूत जनसंपर्क ने बीजेपी की चिंता बढ़ा दी है। झारखंड बीजेपी के पास फिलहाल कोई ऐसा महिला नेता नहीं है, जो कल्पना के बढ़ते कद का मुकाबला कर सके।
उनकी छवि अब सिर्फ एक ‘एक्सीडेंटल’ नेता की नहीं है, बल्कि एक ऐसी नेता की बन गई है, जो झारखंड की राजनीति में लंबी पारी खेलने की काबिलियत रखती हैं।
दिल्ली में केजरीवाल से मुलाकात: पुराने संघर्षों की यादें ताजा
दिल्ली में अरविंद केजरीवाल और उनकी पत्नी सुनीता से मुलाकात ने दोनों परिवारों के बीच पुराने संघर्षों की यादें ताजा कर दीं। जब हेमंत सोरेन और अरविंद केजरीवाल जेल में थे, तब कल्पना और सुनीता ने एक-दूसरे का हौसला बढ़ाया था।
यह तस्वीर अब बदल चुकी है। एक समय जो महिलाएं अपने पतियों की आवाज बनकर संघर्ष कर रही थीं, आज राजनीति के मंच पर अपनी स्वतंत्र पहचान बना चुकी हैं।
झारखंड का भविष्य और कल्पना का राजनीतिक सफर
झारखंड में जेएमएम की जीत और हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बनने के बाद अब राजनीतिक विश्लेषकों की नजर कल्पना सोरेन पर है। क्या वह आने वाले समय में झारखंड की सबसे मजबूत महिला नेता बन सकती हैं?
फिलहाल, झारखंड के सियासी गलियारों में यह चर्चा गर्म है कि कल्पना सोरेन का उभरता हुआ कद झारखंड की राजनीति में नई दिशा तय कर सकता है।
अब देखना यह है कि कल्पना सोरेन इस जीत को एक नई राजनीतिक पारी में कैसे बदलती हैं। क्या वह हेमंत सोरेन के ‘सहयोगी’ से आगे बढ़कर झारखंड की ‘नेत्री’ के रूप में स्थापित होंगी? यह समय के गर्भ में है। 28 नवंबर को हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे, लेकिन इस बार सभी की निगाहें उनकी पत्नी और झारखंड की नई उभरती शक्ति कल्पना सोरेन पर भी होंगी।