18 नवंबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले समाजवादी पार्टी के नेता अबू आज़मी ने इस्लामिक प्रचारक मुफ्ती सलमान अज़हरी से मुलाकात की।
इस बैठक के दौरान समाजवादी पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष अबू आज़मी और मुफ्ती अज़हरी ने चर्चा की कि पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ ‘ईशनिंदा’ करने वालों पर सख्त कानून लाने की आवश्यकता है।
अबू आज़मी, जो मानखुर्द-शिवाजी नगर से एसपी के उम्मीदवार हैं, ने कहा कि उन्होंने अपने चुनावी घोषणापत्र में वादा किया है कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है, तो पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ ‘ईशनिंदा’ करने वालों पर यूएपीए जैसे सख्त कानून लागू किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि मुस्लिम वोटों के विभाजन को रोकना भी आवश्यक है, ताकि भाजपा को इसका फायदा न हो।
अज़हरी की मांग और अबू आज़मी की प्रतिक्रिया
मुफ्ती अज़हरी ने कहा, “मेरा मकसद सिर्फ यह है कि नबी की शान में कोई गुस्ताखी न कर सके। अगर आप चुनाव जीतते हैं, तो इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाने का आश्वासन दें।”
जवाब में अबू आज़मी ने कहा, “मैंने कई बार सरकार से और सड़क पर मांग की है कि जो भी पैगंबर मोहम्मद की शान में गुस्ताखी करता है, उस पर यूएपीए लगाया जाए। मेरे घोषणापत्र में भी साफ लिखा है कि ऐसा करने वालों को आतंकवादी माना जाए और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।”
अबू आज़मी ने सोशल मीडिया पर मुलाकात का वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “आज मुफ्ती सलमान अज़हरी से मुलाकात की और गोवंडी के मुद्दों पर चर्चा की। हमारी मांग है कि नबी-ए-करीम की शान में गुस्ताखी करने वालों पर सख्त आतंकवाद निरोधी कानून बने।”
अज़हरी और अबू आज़मी के विवादित बयान
मुफ्ती सलमान अज़हरी का विवादों से पुराना नाता है। फरवरी 2024 में उनके जूनागढ़ में दिए गए भड़काऊ भाषण के लिए एफआईआर दर्ज हुई थी। भाषण में उन्होंने हिंदुओं के लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था।
इसके अलावा, अज़हरी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर जातिसूचक और अपमानजनक टिप्पणियां की थीं। वहीं, एक जांच में पता चला कि उन्होंने एक चैरिटेबल ट्रस्ट के खाते से 27.75 लाख रुपये निकाले थे।
अबू आज़मी ने भी अक्सर विवादित बयान दिए हैं। उन्होंने यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) को इस्लाम विरोधी बताते हुए मुस्लिम समुदाय को सतर्क रहने की सलाह दी थी। दिसंबर 2023 में उन्होंने जलगांव में हमास और भारत विरोधी नारे लगाने के आरोपी 11 मुस्लिम युवकों के खिलाफ दर्ज मामला वापस लेने की मांग की थी।
VIKAS TRIPATHI
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