झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हुई भीषण आग, जिसमें 11 नवजात बच्चों की मौत हो गई थी, ‘दुर्घटनावश’ थी और इसमें किसी प्रकार की आपराधिक साजिश या लापरवाही नहीं पाई गई है। यह निष्कर्ष घटना की जांच कर रहे दो-सदस्यीय पैनल ने दी है।
जांच समिति की रिपोर्ट:
- जांच समिति में झांसी के कमिश्नर विपुल दुबे और डीआईजी रेंज कलानिधि नथानी शामिल थे।
- पैनल ने पाया कि आग का कारण स्विचबोर्ड में शॉर्ट सर्किट था।
- रिपोर्ट के अनुसार, NICU वार्ड में स्प्रिंकलर्स नहीं लगे होने के कारण आग पर काबू नहीं पाया जा सका।
झांसी के जिलाधिकारी अविनाश कुमार ने बताया कि आग शुक्रवार रात करीब 10:45 बजे NICU वार्ड में लगी थी, जो राज्य के बुंदेलखंड क्षेत्र के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में से एक है।
स्प्रिंकलर्स नहीं लगे थे:
डॉक्टरों ने पैनल को बताया कि नवजात बच्चों की उपस्थिति के कारण NICU में स्प्रिंकलर्स नहीं लगाए गए थे। घटना के समय वार्ड में छह नर्सें और दो डॉक्टर मौजूद थे। आग बुझाने के प्रयास में एक नर्स के पैरों में जलने के निशान आए।
अग्निशमन प्रयास विफल:
- एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, स्विचबोर्ड से लगी आग तेजी से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की ओर फैल गई।
- एक पैरामेडिकल स्टाफ और अन्य दो कर्मियों ने आग बुझाने का प्रयास किया, लेकिन आग काबू से बाहर हो चुकी थी।
यूपी सरकार ने गठित की उच्च-स्तरीय जांच समिति:
उत्तर प्रदेश सरकार ने शनिवार को झांसी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड की जांच के लिए चार-सदस्यीय समिति का गठन किया है।
- डीजी मेडिकल एजुकेशन की अध्यक्षता में गठित यह समिति, घटना की विस्तृत जांच रिपोर्ट अगले 7 दिनों में देगी।
झांसी अग्निकांड की प्रारंभिक रिपोर्ट सामने आने के बाद सरकार द्वारा उठाए गए कदम और विस्तृत जांच से प्रभावित परिवारों को न्याय दिलाने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं।
VIKAS TRIPATHI
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