
लखनऊ में तैनात यूपी पुलिस के कांस्टेबल नियाज अहमद ने अपने आठ महीनों में लगातार 5 बार तबादले से परेशान होकर नौकरी से इस्तीफा दे दिया। इस विषय पर पुलिस विभाग में खलबली मच गई है, हालांकि कोई भी अधिकारी इस पर बयान देने को तैयार नहीं है। नियाज अहमद, जो वर्तमान में नगराम थाना, यूपी 112 में तैनात हैं, ने पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर इस्तीफे की सूचना दी है। कांस्टेबल का कहना है कि बार-बार के स्थानांतरण से वह मानसिक रूप से परेशान हो गए हैं, जिससे उन्हें अप्रिय घटनाओं की आशंका है।
कांस्टेबल के इस्तीफे पर उच्चस्तरीय जांच के आदेश
कांस्टेबल के पत्र को गंभीरता से लेते हुए पुलिस कमिश्नर अमरेंद्र सेंगर ने मामले की जांच के निर्देश दिए हैं और डीसीपी मध्य रवीना त्यागी को कांस्टेबल से बातचीत करने की जिम्मेदारी दी गई है। नियाज अहमद का कहना है कि उनका तबादला जानबूझकर बार-बार किया जा रहा है, जिससे वह मानसिक तनाव में हैं और अब नौकरी छोड़ने का फैसला किया है।
पुलिसकर्मियों का मानसिक तनाव: क्या कहती हैं रिपोर्ट्स?
एक रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में 44% पुलिसकर्मी औसतन 12 घंटे से अधिक और 24% पुलिसकर्मी 16 घंटे से भी ज्यादा काम करते हैं, जिससे उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। लगभग 85% पुलिसकर्मी अपने काम के कारण अपने परिवार को समय नहीं दे पाते, और साल भर में उन्हें मुश्किल से 60 छुट्टियाँ ही मिलती हैं।
10 साल पहले साप्ताहिक अवकाश की पहल हुई थी विफल
2013 में तत्कालीन डीआईजी नवनीत सिकेरा ने साप्ताहिक अवकाश की पहल की थी, जो शुरू में सफल रही, लेकिन धीरे-धीरे इस पहल को बंद कर दिया गया।
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय
मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. देवाशीष शुक्ला के अनुसार, कोरोना काल के बाद से पुलिसकर्मियों में मानसिक तनाव बढ़ा है, खासकर लंबे घंटों की ड्यूटी और परिवार से दूर रहने के कारण। तनाव में आकर पुलिसकर्मी कई बार गंभीर कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं।
कांस्टेबल की काउंसलिंग का निर्णय
डीसीपी मध्य व 112 रवीना त्यागी ने बताया कि कांस्टेबल नियाज अहमद की काउंसलिंग की जाएगी, और जरूरत पड़ने पर मनोचिकित्सक से भी परामर्श लिया जाएगा।