नई दिल्ली, 13 जुलाई — उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को उपराष्ट्रपति निवास पर भारतीय रक्षा संपदा सेवा (IDES) के 2024 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए भारत की संप्रभुता, विकास दृष्टि और युवाओं की भूमिका पर गहराई से बात की। उनका संबोधन न केवल प्रेरणादायक था, बल्कि भारत की वर्तमान और भावी नीतिगत दिशा को भी स्पष्ट करने वाला रहा।
“भारत की संप्रभुता पर कोई बाहरी प्रभाव स्वीकार्य नहीं”
उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन की शुरुआत एक स्पष्ट संदेश से की—भारत एक संप्रभु राष्ट्र है और अपने सभी निर्णय स्वतंत्र रूप से लेता है।“बाहरी विमर्शों से प्रभावित न हों। यह देश, यह भूमि, इसका नेतृत्व—हम स्वयं तय करते हैं कि हमें कैसे आगे बढ़ना है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय का हिस्सा होने के नाते हम संवाद, सहयोग और समन्वय में विश्वास रखते हैं, परंतु हमारे निर्णय केवल हमारी संप्रभु इच्छाशक्ति पर आधारित होते हैं।”
यह वक्तव्य उन वैश्विक शक्तियों के लिए भी एक परोक्ष संदेश था, जो कभी-कभी भारत के आंतरिक मामलों में टिप्पणी करते हैं।
Hon’ble Vice-President, Shri Jagdeep Dhankhar addressed the Officer Trainees of 2024 batch of the Indian Defence Estates Service (IDES) at Vice-President’s Enclave today.@IDES_Officers @NIDEM_GoI @DefenceMinIndia pic.twitter.com/OTkpu41bp9
— Vice-President of India (@VPIndia) July 19, 2025
“हर बॉल खेलना ज़रूरी नहीं होता” — सूझबूझ की राजनीति का संदेश
धनखड़ ने मीडिया में आने वाले विवादास्पद बयानों और प्रतिक्रियाओं पर भी संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी। क्रिकेट की भाषा में समझाते हुए उन्होंने कहा:“क्या हर बॉल खेलनी जरूरी है? अच्छे खिलाड़ी खराब या लुभावनी गेंदों को छोड़ देते हैं। वे विकेटकीपर और गली में खड़े खिलाड़ियों के लिए अवसर नहीं बनने देते। राजनीति और सार्वजनिक जीवन में भी यही समझ जरूरी है।”
यह दृष्टिकोण देश के नेतृत्व को उकसावे से दूर रहने और सामूहिक विवेक से काम करने की प्रेरणा देता है।
“हमने बहावलपुर और मुरिदके को चुना—और संदेश दिया”
राष्ट्रीय सुरक्षा और वैश्विक शांति पर बोलते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने दो विश्व युद्धों से जो सीखा है, वह दुनिया को शांति और विवेक का पाठ पढ़ाने में सहायक बना है। उन्होंने कहा:“हमने तबाही देखी है—जीवन की, संपत्ति की, भावनाओं की। हमने संतुलन साधा और समय आने पर निर्णय भी लिया। बहावलपुर और मुरिदके का चयन और उसकी अस्थायी समाप्ति एक सशक्त संदेश था।”
यह वक्तव्य ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि में आया, जिसके माध्यम से भारत ने मानवता के नाम पर वैश्विक चेतना को झकझोरा है।
“हमारी जनसंख्या नहीं, जनसांख्यिकीय शक्ति है”
भारत की युवा जनसंख्या पर गर्व जताते हुए उपराष्ट्रपति ने बताया कि:”भारत की औसत आयु 28 वर्ष है। चीन और अमेरिका की औसत आयु 38-39 वर्ष, जापान की 48 वर्ष है। हमारी 65% आबादी 35 वर्ष से कम है। यह हमारे लिए सिर्फ आंकड़ा नहीं, जनसांख्यिकीय वरदान है।”
उन्होंने अधिकारियों से अपील की कि वे संपत्ति प्रबंधन, पर्यावरण, पारिस्थितिकी, सतत विकास और आधुनिक तकनीक के क्षेत्र में भारत को उदाहरण बनाएं।
Don’t be guided by narratives outside. All decisions in this country as sovereign nation are taken by its leadership. There is no power on the planet to dictate India how to handle its affairs.
We do live in a nation and nations that are a comity. We work in togetherness, we… pic.twitter.com/M3nbU0O74T
— Vice-President of India (@VPIndia) July 19, 2025
“विकास कार्यों में पारदर्शिता आवश्यक है”
उपराष्ट्रपति ने विकास कार्यों में होने वाली अनावश्यक देरी और अड़चनों को लेकर चिंता जताई। उन्होंने एक डिजिटल समाधान सुझाया:“अगर कोई जानना चाहता है कि किसी क्षेत्र में अधिकतम भवन ऊँचाई क्या हो सकती है, तो उसे सीधे जानकारी क्यों न मिले? एक सिंगल डिजिटल प्लेटफॉर्म होना चाहिए, जिससे जनता को समय, खर्च और परेशानी से मुक्ति मिले। तकनीक के इस युग में यह संभव है।”
“कोचिंग सेंटर नहीं, गुरुकुल चाहिए”
शिक्षा प्रणाली पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कोचिंग सेंटरों के बढ़ते व्यवसायीकरण को गंभीर चिंता का विषय बताया:“कोचिंग आत्मनिर्भरता के लिए होनी चाहिए, न कि रैंक दिखाने और अखबारों में रंगीन पन्ने भरने के लिए। रैंक के साथ बच्चों की तस्वीरें—यह भारत नहीं है, यह बाजारीकरण है। हमें गुरुकुल प्रणाली, ज्ञान परंपरा और सच्चे मूल्य आधारित शिक्षा की ओर लौटना होगा।”
उन्होंने कहा कि जब देश ने व्यापक परामर्श के बाद नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को अपनाया है, तो कोचिंग की आवश्यकता क्यों हो रही है?
There will be challenges. Challenges will be to create divisiveness. We have seen global conflagrations, two of them in particular. These have become open-ended. Look at the devastation of property, human lives, and misery.
And look at our calibration. We taught a lesson, taught… pic.twitter.com/L895sXrwIT
— Vice-President of India (@VPIndia) July 19, 2025
“विकसित भारत हमारा सपना नहीं, अब मंज़िल है”
धनखड़ ने ज़ोर देकर कहा कि भारत अब सिर्फ आर्थिक विकास की ओर नहीं देख रहा, बल्कि व्यक्तिगत और सामाजिक उत्थान की ओर बढ़ रहा है:“हमारा उद्देश्य केवल GDP नहीं है, हमारा उद्देश्य है हर नागरिक का विकास। विकसित भारत अब सपना नहीं रहा—यह अब हमारी दिशा, हमारी यात्रा और हमारी मंजिल है। और हम इस दिशा में प्रतिदिन आगे बढ़ रहे हैं।”
उपराष्ट्रपति धनखड़ का यह संबोधन केवल अधिकारियों के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक सतर्कता का सन्देश, जिम्मेदारी का आह्वान और आत्मनिर्भर राष्ट्र की घोषणा है। यह भाषण भारत की आत्मा, नीति और दृष्टि—तीनों को एक साथ प्रतिबिंबित करता है।