उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 8 मई 2025 को हुए बेल 407 हेलीकॉप्टर हादसे को लेकर विमान दुर्घटना अन्वेषण ब्यूरो (AAIB) ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि यह हादसा हेलीकॉप्टर के मेन रोटर ब्लेड के ओवरहेड फाइबर केबल से टकराने के कारण हुआ, जिससे संतुलन बिगड़ गया और वह करीब 250 फीट गहरी खाई में गिर गया।
हादसे में 6 श्रद्धालुओं की मौत, एक गंभीर घायल
इस दुर्घटना में पायलट समेत छह लोगों की मौत हो गई, जबकि एक यात्री गंभीर रूप से घायल हुआ। हेलीकॉप्टर एयरोट्रांस सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संचालित किया जा रहा था और यह श्रद्धालुओं को गंगोत्री धाम ले जा रहा था। हादसा गंगनानी के पास उस समय हुआ जब हेलीकॉप्टर खरसाली हेलीपैड से उड़ान भरने के करीब 20 मिनट बाद नीचे उतरने की कोशिश कर रहा था।
AAIB की प्रारंभिक जांच: हादसे की प्रमुख वजह क्या रही?
विमान दुर्घटना अन्वेषण ब्यूरो (AAIB) के अनुसार, हेलीकॉप्टर ने सुबह 8:11 बजे खरसाली हेलीपैड से उड़ान भरी थी। 8:35 बजे, उत्तरकाशी के गंगनानी क्षेत्र में यह दुर्घटना हुई।
जांच में पाया गया कि:
हेलीकॉप्टर की एमरजेंसी लैंडिंग की कोशिश की जा रही थी।
उसी दौरान, उसका मेन रोटर ब्लेड सड़क के किनारे चल रही ओवरहेड फाइबर केबल से टकरा गया।
इस टक्कर के बाद हेलीकॉप्टर असंतुलित होकर गिरा और एक पेड़ से टकराकर रुक गया।
दुर्घटना के बाद हेलीकॉप्टर पूरी तरह नष्ट हो गया, हालांकि कोई आग नहीं लगी।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि हादसे के समय हेलीकॉप्टर निर्धारित ऊंचाई से नीचे उतरने लगा था, जिससे यह संदेह भी पैदा होता है कि कहीं तकनीकी या नेविगेशनल गड़बड़ी तो नहीं हुई।
सड़क किनारे लगे बैरिकेड्स को भी नुकसान
AAIB की रिपोर्ट में बताया गया कि हेलीकॉप्टर जब नीचे गिरा तो वह उत्तरकाशी-गंगोत्री रोड के पास कुछ धातु बैरिकेड्स से भी टकराया, जिससे उन्हें नुकसान पहुंचा। हालांकि मुख्य क्षति हेलीकॉप्टर के मेन रोटर और फ्यूज़लाज को हुई।
हेलीकॉप्टर की पृष्ठभूमि: 2008 मॉडल, रोल्स रॉयस इंजन
क्रैश हुआ हेलीकॉप्टर एक बेल 407 मॉडल था।
इसका निर्माण 2008 में हुआ था।
यह हेलीकॉप्टर रोल्स रॉयस इंजन से लैस था, जो विश्वसनीयता के लिए जाना जाता है।
इसके बावजूद, ओवरहेड केबल की चपेट में आने के बाद इतने अनुभवी मॉडल का इस तरह से क्रैश होना चिंता का विषय है।
अमेरिकी और कनाडाई विशेषज्ञ भी करेंगे जांच
इस दुर्घटना को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गंभीरता से लिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार:
अमेरिका के नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (NTSB) और
कनाडा के ट्रांसपोर्ट सेफ्टी बोर्ड ने जांच में सहयोग के लिए अपने मान्यता प्राप्त प्रतिनिधि और तकनीकी विशेषज्ञों की नियुक्ति की है।
ये दोनों एजेंसियां बेल हेलीकॉप्टर के डिजाइन और तकनीक से जुड़ी जानकारियों की पड़ताल करेंगी ताकि इस हादसे के मूल कारण (root cause) का पता लगाया जा सके।
सवाल उठाता हादसा: सुरक्षा मानकों पर ध्यान नहीं?
इस गंभीर हादसे ने फिर से एक सवाल खड़ा कर दिया है:
क्या पहाड़ी क्षेत्रों में हेलीकॉप्टर सेवाओं के लिए पर्याप्त सुरक्षा प्रोटोकॉल अपनाए जा रहे हैं?
क्या उड़ानों से पहले रूट की ओवरहेड केबल मैपिंग की जाती है?
क्या लोकल प्रशासन और निजी ऑपरेटर्स के बीच समन्वय पर्याप्त है?
श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के बावजूद सुरक्षा मानकों में ढील क्यों?
सावधानी की ऊंचाई पर लापरवाही की उड़ान
उत्तरकाशी में हुआ यह हेलीकॉप्टर हादसा तकनीकी, मानवीय और प्रशासनिक स्तर पर कई सवाल छोड़ गया है। एक छोटी सी चूक—ओवरहेड केबल की मौजूदगी—ने कई जिंदगियों को छीन लिया और कई परिवारों को शोक में डूबा दिया।
अब जबकि प्रारंभिक रिपोर्ट सामने आ चुकी है, आगे की विस्तृत जांच और जवाबदेही तय करना बेहद जरूरी है। खासकर तब, जब ऐसे मार्गों पर हर साल हजारों श्रद्धालु यात्रा करते हैं।