ग्रेटर नोएडा, 25–29 सितंबर 2025 — उत्तर प्रदेश इंटरनेशनल ट्रेड शो (UPITS) 2025 ने गुरुवार को प्रदेश व देश के व्यावसायिक परिदृश्य को अंतरराष्ट्रीय रंग देकर दिखाया। इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में आयोजित इस तीन दिवसीय (25–29 सितंबर) कार्यक्रम ने न केवल राज्य के हस्तशिल्प और परंपरागत उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय खरीदारों के समक्ष रखा, बल्कि आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर और रक्षा जैसे आधुनिक क्षेत्रों की ताकत भी प्रदर्शित की। आयोजन में सैकड़ों विदेशी प्रतिनिधि, निवेशक और परदे के पीछे काम कर रहे उद्योग-निवेशक सक्रिय रूप से जुड़े दिखे।
परिमाण और पहुँच — आँकड़े बताते हैं दायरा
इस वर्ष UPITS का पैमाना बड़ा और दर्शनीय रहा — 75 जिलों के प्रतिनिधित्व के साथ लगभग 2,250–2,500 से अधिक प्रदर्शक (exhibitors) और कई सौ विदेशी खरीदार उपस्थित रहे, जिनमें करीब 80 देशों से 500 से 550 से अधिक अंतरराष्ट्रीय खरीदार शामिल बताये जा रहे हैं। आयोजक गणना के अनुसार यह संस्करण पिछले वर्षों से अधिक व्यापक B2B और B2C दोनों दर्शकों को आकर्षित कर रहा है।
ODOP पवेलियन — ग्रामीण पहचान को वैश्विक मंच
One District One Product (ODOP) पवेलियन इस ट्रेड शो का प्रमुख आकर्षण रहा। ODOP पवेलियन में जिलों की पारंपरिक पहचान के हजारों उत्पाद — भदोही के कालीन, मुरादाबाद के पीतल, फर्रुखाबाद के जरी-जरदोज़ी, फिरोजाबाद के ग्लास वर्क — विशेष दिखे और विदेशी खरीदारों ने इन पर गहरी रूचि दिखाई। ODOP के कैटलॉग और क्यूरेटेड पवेलियन ने स्थानीय उत्पादों को व्यवस्थित तरीके से पेश करने का मौका दिया, जिससे छोटे कारीगरों व एमएसएमई को अन्तरराष्ट्रीय बाजार से सीधे जोड़ने का रास्ता बनता दिखा।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के मुख्य संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन के अवसर पर यूपी को “अद्भुत संभावनाओं वाला प्रदेश” करार दिया और कहा कि एक्सप्रेसवे, एयरपोर्ट और औद्योगिक नीतियों ने राज्य को निवेश के लिए आकर्षक बनाया है। उन्होंने स्थानीय विनिर्माण, सुरक्षा-उद्योग, सेमीकंडक्टर निवेश और ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसे एजेंडों की महत्ता के साथ निवेश को प्रोत्साहित करने का आह्वान किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ओडीओपी व कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों का हवाला देते हुए कहा कि इन पहलों ने अंत्योदय के विचार को राष्ट्रोदय की दिशा में बदलने में मदद की है और युवा उद्यमियों को जॉब-क्रिएटर बनने के अवसर मिले हैं।
अंतरराष्ट्रीय सहभागिता — रूस पार्टर कंट्री और निवेश संकेत
इस बार रूस को पार्टनर कंट्री घोषित कर के आयोजन ने रणनीतिक व तकनीकी सहयोग के संकेत भी दिए। रक्षा, मशीनरी व तकनीकी साझेदारी के पहलुओं पर दोनों देशों के प्रतिनिधि चर्चा करते दिखे; आयोजन में डिफेंस इंडस्ट्रीज़ और सेमीकंडक्टर से जुड़े स्टॉलों पर विशेष भीड़ रही। आयोजकों का कहना है कि पार्टनर कंट्री-फॉर्मेट से लंबी अवधि के व्यापार-समझौते और तकनीकी सहयोग के रास्ते खुले हैं।
स्टॉल-फ्लोर की हलचल — बातचीत से करार तक
हॉल में हर स्टॉल पर केवल प्रदर्शन नहीं था — व्यापारिक बातचीत (B2B), त्वरित पंजाब-शॉपिंग मंत्रा (B2C) और संभावित निवेश-शर्तें रोज़मर्रा का हिस्सा थीं। कालीन निर्यातकों और विदेश प्रतिनिधियों के बीच संभावित करारों की चर्चा हुई; परिधानों पर विदेशी खरीदारों ने पहन कर परखा, और हस्तशिल्प व पारंपरिक खाद्य स्टॉलों पर स्वाद व गुणवत्ता की जांच की। आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स पवेलियनों पर विदेशी व्यवसायिक प्रतिनिधियों ने साझेदारी व सप्लाई-चेन के विकल्पों पर गहन विचार-विमर्श किया।
क्षेत्रीय प्रभाव — अर्थव्यवस्था, रोजगार और ब्रांड-बिल्डिंग
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे बड़े ट्रेड-फोरम छोटे उत्पादकों को ब्रांडिंग, एक्सपोर्ट-लिंक और दीर्घकालिक कॉन्ट्रैक्ट दिलाने में मदद करते हैं। ODOP जैसे पवेलियनों से जिलों के उत्पादों की पहचान मजबूत होती है — जिससे वे न केवल घरेलू बाजार में बल्कि विदेशी सुपरमार्केट और रिटेल चैनलों में भी जगह बना सकते हैं। साथ ही स्थानीय कारीगरों और छोटे उद्यमियों के लिए प्रशिक्षण, पैकिंग, क्वालिटी-कंट्रोल और मार्केट-इंटेलिजेंस जैसी सेवाओं का नेटवर्क बनना जरूरी दिखा — तभी नकद-अनुदान और ऑर्डर स्थायी रूप से रोजगार पैदा कर पाएंगे।
चुनौतियाँ और निगाहें — क्या चाहिए ताकि असर लंबे समय तक रहे
1.लॉजिस्टिक्स व सप्लाई-चेन: बड़े ऑर्डर मिलना अच्छा है, पर समय पर लॉजिस्टिक्स, निर्यात-प्रोसेसिंग और क्वालिटी-अस्स्योरेंस न हो तो डील्स टिकाऊ नहीं बन पातीं।
2.TRAINING & CAPACITY BUILDING: कारीगरों के लिए पैकिंग, अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप उत्पाद बनाने और डिज़ाइन-अपडेट के प्रशिक्षण आवश्यक हैं।
3.फॉलो-अप मैकेनिज्म: ट्रेड शो के दौरान हुई बातचीत को अनुबंध में बदलने के लिए स्टेट और इंडस्ट्री बॉडीज का फॉलो-अप, B2B मीटिंग्स और ट्रेड फाइनेंस जरूरी है।
इन सुधारों के साथ UPITS जैसे आयोजन सिर्फ एक उत्सव नहीं बल्कि दीर्घकालिक आर्थिक विजन के उपकरण बन सकते हैं। (विशेषज्ञ विश्लेषण और रिपोर्टिंग आधारित सुझाव)।
स्थानिक उदाहरण और मानव चेहरा
हॉल में भाग लेने वाले छोटे हस्तशिल्पियों और स्टार्ट-अप संस्थापकों ने भी उत्साह दिखाया — कईयों ने कहा कि पहली बार अंतरराष्ट्रीय खरीदारों से संपर्क मिलना उनके व्यवसाय के विस्तार का मार्ग खोल सकता है। (स्थानीय कवरेज और आयोजकीय इंटरव्यूज़ में ऐसे ही रुझान सामने आए)।
UPITS 2025 ने दिखा दिया है कि उत्तर प्रदेश परंपरा और आधुनिक उद्योग को जोड़कर ‘लोकल टू ग्लोबल’ नारे को वाक्यात्मक कर सकता है। प्रदर्शकों, विदेशी खरीदारों और नीतिनिर्माताओं के समन्वय से यह आयोजन केवल एक व्यापार मेला नहीं — बल्कि निवेश, तकनीकी सहयोग और ग्रामीण आर्थिक सशक्तिकरण का एक व्यवहार्य मंच बनकर उभरा है। अब असल परीक्षा यह होगी कि इन बैठकों व चर्चाओं को ठोस अनुबंधों, लॉजिस्टिक सपोर्ट और प्रशिक्षण-प्रोग्रामों के जरिए कैसे अमल में लाया जाता है।