मैहर: “प्रबुद्ध जनों के अपमान और मेला व्यवस्था में प्रशासनिक मनमानी” कैसे दिलेर साहब ने स्टे का हवाला देकर जनता और अधिकारियों को भ्रमित किया, उच्च न्यायालय के आदेश को दर किनार किया, दान राशि में करोड़ों की हेराफेरी की, और नियमों का उल्लंघन करते हुए दुकान आबंटन व कर्मियों की नियुक्ति की गई।
उसी कडी को आगे ले चलते हैं और बताते हैं किस तरह माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों की अनदेखी करते हुए दिलेर साहब ने 24 घंटे के भीतर स्टे लिया, दान राशि में हेरफेर किया, दुकानें खोलने और आबंटन में तानाशाही रवैया अपनाया, कर्मचारियों की जन्मतिथि में मनमाने सुधार किए, पद के दायित्वों से भटकते हुए अधिनियमों का उल्लंघन किया, अन्नकूट और अनुकंपा नियुक्ति में नियम विरुद्ध कार्य किए, और रोपवे के 19 लाख रुपए प्रतिदिन की गड़बड़ी में संरक्षण दिया। इतना ही नहीं, क्वांर मेले में प्रबुद्ध जनता का अपमान किया और 60 लाख रुपए प्रतिमाह का अनियमित वेतन अवैध व्यक्तियों को दिया। साथ ही कूटरचित दस्तावेज बनाकर वरिष्ठ अधिकारियों और न्यायालय में भ्रामक जानकारी भेजी गई।
वर्तमान मेला व्यवस्था की चुनौती
अब बात करते हैं हाल के मेले की। इस बार मेले की व्यवस्था का जिम्मा नए जिले के प्रशासन को सौंपा गया, जिससे यह दो अनुभवहीन अधिकारियों के लिए चुनौती बन गई। दिलेर साहब ने समिति के कुछ प्रभावशाली मठाधीशों के मलाईदार प्रलोभन को स्वीकार करते हुए मेले की शुरुआत में मैहर की जनता और दुकानदारों का ध्यान अतिक्रमण, रोपवे और पार्किंग जैसी समस्याओं पर भटकाने की कोशिश की, ताकि उनकी अनियमितताओं पर किसी का ध्यान न जाए।
विधायक का हस्तक्षेप और मठाधीशों की साजिश
जब स्थानीय लोकप्रिय विधायक ने मामले का संज्ञान लिया और हस्तक्षेप किया, तो फुटपाथ पर बैठे गरीब विक्रेताओं की जीविका को सुरक्षित किया गया। वहीं, अवैध रूप से ठेके में दी जा रही नई बड़ा की जमीन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई, जिससे समिति के मठाधीशों में हड़कंप मच गया। परेशान होकर मठाधीशों ने दिलेर साहब के सहयोग से प्रशासन के खिलाफ एक नई साजिश रचनी शुरू की। छोटे स्थानधारी पांडा (जो अवैध रूप से बैठे थे) के मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर धार्मिक भावना आहत करने की आड़ में प्रशासनिक व्यवस्था को विवादित करने की कोशिश की गई।
जननायक विधायक की सूझबूझ
एक बार फिर, जननायक विधायक ने मामले में हस्तक्षेप किया और षड्यंत्र पूर्वक रचे गए घटनाक्रम को रोक दिया। मठाधीशों ने पत्रकारों को विधायक के खिलाफ भड़काने का प्रयास किया, ताकि गलत बयानबाजी की कवरेज की जा सके। लेकिन विधायक की सूझबूझ से यह योजना भी असफल हो गई। घंटाघर में पत्रकारों का अनशन, जो शासन और प्रशासन के खिलाफ था, आपसी वार्ता से शांतिपूर्ण तरीके से समाप्त किया गया।
दिलेर साहब की भूमिका और मठाधीशों का संरक्षण
अब आप सोच रहे होंगे कि इन घटनाओं का दिलेर साहब से क्या संबंध है। तो आपको बता दें, दिलेर साहब हर जगह इन मठाधीशों के संरक्षक बने रहे, जिससे उनकी षड्यंत्रकारी हिम्मत बढ़ती गई। मठाधीशों की साजिश को उजागर करने के लिए अवैध व्यक्तियों को देवस्थल से हटाने की मांग की गई, लेकिन 24 घंटे के भीतर इसके समर्थन में कोई कदम नहीं उठाया गया। यहां तक कि मैहर के चौथे स्तंभ (मीडिया) ने भी मामले से दूरी बनाए रखी।
आगे की स्थिति आप समझ सकते हैं, क्योंकि अब इस खेल की सच्चाई सबके सामने आ चुकी है
VIKAS TRIPATHI
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