मुंबई — शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव बालासाहेब ठाकरे की पारंपरिक दशहरा रैली इस बार भी शिवाजी पार्क (दादर) में ही आयोजित की जाएगी — नगर निगम ने 2 अक्टूबर के लिए रैली की अनुमति दी है। आयोजन की अनुमति 25 शर्तों के साथ दी गई है, जिनमें से कुछ प्रशासनिक और सुरक्षा से जुड़ी हैं जबकि कुछ मैदान की सुरक्षा, ध्वनि एवं पर्यावरण संबंधी नियमों पर कड़े बंधन लगाती हैं। अदालत-आधारित आदेशों और शहर प्रशासन के नियमों का पालन करना अनिवार्य बताया गया है।
संक्षेप में — प्रमुख शर्तें और क्या-क्या अपेक्षित है
निगम ने रैली की अनुमति देते हुए कई शर्तें रखी हैं — इनमें से प्रमुख बातें संक्षेप में इस प्रकार हैं (विस्तृत शर्तें नीचे दी जा रही मूल सूची से ली गई हैं):
मैदान के उपयोग के लिए रोज़ाना ₹250 + 18% GST/CGST का लाइसेंस शुल्क देना होगा। साथ ही आयोजन के लिए ₹20,000 की सुरक्षा राशि जमा करनी होगी — यह शुल्क और जमा राशि पहले से लागू नगर निगम नियमों के अनुरूप हैं।
आयोजकों को रेलवे/पुलिस/फायर ब्रिगेड/उच्च न्यायालय तथा नगर निगम द्वारा पहले से पारित नियमों और आदेशों का पालन करना होगा — इसमें हाईकोर्ट के जनहित आदेश और ध्वनि प्रदूषण (नियमन) 2000 के नियम भी शामिल हैं।
आयोजन स्थल पर संरचनात्मक स्थिरता, अग्निशमन अनापत्ति प्रमाण पत्र तथा समस्त सुरक्षा प्रबंधों का प्रमाण प्रस्तुत करना अनिवार्य है।
रात 10 बजे के बाद किसी भी प्रकार की बैठक/प्रोग्राम की अनुमति नहीं होगी; कार्यक्रम के तुरंत बाद मंडप/मंच हटाकर मैदान को उसकी मूल स्थिति में बहाल करना होगा।
मैदान में मिट्टी भरने/बदलाव पर प्रतिबंध — स्थानीय प्रशासन/पर्यावरण दिशानिर्देशों के अनुरूप मैदान में किसी प्रकार की मिट्टी डालने या तात्कालिक बदलाव की अनुमति नहीं दी जाएगी। (स्थानीय विवाद/घायल हरे-भरे मैदान की सुरक्षा को लेकर भी पिछले समय में प्रश्न उठते रहे हैं)।
क्यों 16वीं शर्त ने चिंता बढ़ाई?
निगम की शर्तों में 16वीं शर्त बतायी जा रही है — जो सुरक्षा राशि जब्त करने, मैदान को हुई किसी भी क्षति के लिये आयोजक को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराने और अगले वर्ष के लिये मैदान के उपयोग पर पाबंदी जैसे प्रावधानों का हवाला देती है। ठाकरे गुट को इस बात की चिंता है कि बड़े आयोजनों के दौरान मैदान को होने वाले सामान्य-सी क्षति (जैसे घास का खराब होना, ड्रेसिंग रूम/टॉयलेट की मरम्मत आदि) को भी ‘दुरुपयोग’ मानकर सुरक्षा राशि जब्त कर दी जाए और आने वाले वर्षों के लिये परमिट का रास्ता बंद कर दिया जाए — जो लंबे समय से शिवाजी पार्क के उपयोग और पारंपरिक रैलियों के भविष्य के लिये संवेदनशील मुद्दा है। (यूजर्स द्वारा साझा की गई शर्तों के अनुरूप 16वीं शर्त का यह सार है।)
स्थानीय परिप्रेक्ष्य — क्यों संवेदनशील है शिवाजी पार्क?
शिवाजी पार्क सिर्फ एक खुला मैदान नहीं; यह मुंबई की राजनीतिक-आयाम वाली सांस्कृतिक विरासत का भी हिस्सा है। बड़े जनसमूह/रैलियों से मैदान को होने वाला असर, टर्फ / हरियाली की रख-रखाव लागत और आसपास के स्थानीय निवासियों की रोजमर्रा की ज़िन्दगी पर प्रभाव — ये सभी कारण हैं कि नगर निगम अक्सर सख्त शर्तें लगाता/लगाती है और कभी-कभी शुल्क/डिपॉज़िट बढ़ाने की भी राय रखी जाती है। पिछले कुछ वर्षों में मैदान के रख-रखाव को लेकर सवाल उठते रहे हैं और प्रशासन ने शुल्क व सुरक्षा-प्रावधानों को लेकर नीतियों की समीक्षा पर विचार भी किया है।
निगम की दूसरी संवेदनशील शर्तें — आयोजन में क्या-क्या ध्यान रखना होगा
ध्वनि स्तर: लाउडस्पीकर के उपयोग पर उच्च न्यायालय के आदेश और ध्वनि प्रदूषण नियमों का पालन अनिवार्य।
पुलिस अनुमति: संबंधित थाने/प्राधिकरण से पूर्वानुमति व सुरक्षा-व्यवस्था सुनिश्चित करें।
आग सुरक्षा व संरचना: फायर एनओसी व संरचनात्मक इंजीनियर का स्थिरता प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा।
पर्यावरण और साफ-सफाई: आयोजन के बाद मैदान की मूल स्थिति में पुनर्स्थापना व ठोस अपशिष्ट विभाग के लिए निर्धारित शुल्क का भुगतान।
रात्रि-समय सीमा व समयबद्ध समापन: रात 10 बजे के बाद कार्यक्रम नहीं; पंडाल तुरंत हटाया जाए।
अतिरिक्त निर्देश: यदि किसी अन्य संवैधानिक/न्यायालय/सरकारी आदेशों के तहत अतिरिक्त शर्तें आएं तो उनका कड़ाई से पालन करना होगा।
ठाकरे गुट की प्रतिक्रिया और आगे का रास्ता
थाकरे गुट ने सार्वजनिक तौर पर कहा है (आंतरिक चिंताएँ और कार्ययोजना), कि आयोजन की परंपरा और सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए वे शर्तों का सम्मान करेंगे, पर साथ ही वे चाहते हैं कि सुरक्षा राशि और ‘क्षति’ के दायरों को परिभाषित किया जाए — ताकि मामूली/नॉन-इर्रिटेंट नुकसान को ‘दुरुपयोग’ की श्रेणी में न रखा जाए और भविष्य में पारंपरिक रैलियों पर टाला न लगे। प्रशासन और आयोजक दोनों पक्षों के बीच तकनीकी वार्तालाप और साइट-इंस्पेक्शन की अपेक्षा है ताकि शर्तों पर स्पष्टता आए और आयोजन सुचारु रूप से हो सके। (यह पहल स्रोत-समुच्चय और साझा शर्तों के परिप्रेक्ष्य पर आधारित है)।
परंपरा बनाम संरक्षा नियम
शिवाजी पार्क में दशहरा रैली का ऐतिहासिक और प्रतीकात्मक महत्व बड़ा है, वहीं आज के प्रशासनिक और पर्यावरण-नियमन के दौर में पारंपरिक आयोजनों के लिये कड़ी शर्तें भी लगनी स्वाभाविक हैं। दो अक्टूबर को प्रस्तावित रैली की सफलता अब इस बात पर निर्भर करेगी कि आयोजक-नगर निगम के बीच शर्तों की व्याख्या व व्यवहारिक अनुपालन पर किस तरह सहमति बनती है — खासकर सुरक्षा राशि/क्षति के प्रावधान (जिन्हें 16वीं शर्त के रूप में चिन्हित किया गया है) पर।