
कनाडा की सत्ता में बड़ा उलटफेर हुआ है—जस्टिन ट्रूडो के युग का अंत हो गया और मार्क कार्नी ने बतौर 24वें प्रधानमंत्री शपथ ले ली। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि उनकी नई कैबिनेट में भी भारतीय मूल की दो मजबूत शख्सियतों को बड़ी जिम्मेदारी मिली है।
अनीता आनंद को इनोवेशन, साइंस और इंडस्ट्री मंत्रालय सौंपा गया है, जबकि कमल खेड़ा को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया है। खास बात यह है कि ये दोनों महिलाएं ट्रूडो सरकार में भी मंत्री रह चुकी हैं, लेकिन इस बार इनके विभाग बदल दिए गए हैं। आइए जानते हैं कि कौन हैं ये दो भारतीय मूल की सशक्त महिलाएं, जिन्होंने कनाडा की राजनीति में अपनी धाक जमा ली है।
दिल्ली की बेटी, कनाडा की स्वास्थ्य मंत्री – कमल खेड़ा
36 साल की कमल खेड़ा का जन्म दिल्ली में हुआ था, लेकिन कम उम्र में ही वह परिवार के साथ कनाडा चली गईं। वह यॉर्क यूनिवर्सिटी से साइंस ग्रेजुएट हैं और राजनीति में आने से पहले एक नर्स थीं।
2015 में जब वह पहली बार ब्रैम्पटन वेस्ट से सांसद चुनी गईं, तो वह कनाडा की संसद में जाने वाली सबसे युवा महिलाओं में से एक बनीं। नर्सिंग के अपने अनुभव के चलते, वह जनता से सीधे जुड़ी रहीं और कोविड-19 के दौरान फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में काम कर खूब सुर्खियां बटोरीं।
स्वास्थ्य मंत्री बनने के बाद खेड़ा ने कहा—
“एक नर्स के रूप में मेरी प्राथमिकता हमेशा मरीजों की देखभाल रही है, और बतौर स्वास्थ्य मंत्री भी मैं इसी भावना के साथ काम करूंगी।”
अनीता आनंद – नोवा स्कोटिया में जन्मी, लेकिन दिल से भारतीय!
58 साल की अनीता आनंद का जन्म कनाडा के नोवा स्कोटिया में हुआ था, लेकिन उनके माता-पिता भारतीय थे—उनके पिता तमिलनाडु से और उनकी मां पंजाब से थीं। दिलचस्प बात यह है कि उनके पिता महात्मा गांधी के अनुयायी थे और खुद गांधीजी से मिल चुके थे!
अनीता पेशे से वकील और रिसर्चर रही हैं। टोरंटो यूनिवर्सिटी में उन्होंने लॉ पढ़ाया और 2019 में पहली बार ऑकविले से सांसद चुनी गईं। ट्रूडो सरकार में वह नेशनल डिफेंस मिनिस्टर रह चुकी हैं और अब कार्नी ने उन्हें इनोवेशन, साइंस और इंडस्ट्री मंत्रालय की कमान दी है।
मंत्री बनने के बाद अनीता ने कहा—
“कनाडा एकजुट और मजबूत है। हम कल से ही कनाडाई अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए काम शुरू करेंगे!”
भारतीय मूल की महिलाओं का दबदबा बरकरार!
हालांकि प्रधानमंत्री बदल गए हैं, लेकिन कमल खेड़ा और अनीता आनंद की काबिलियत को नई सरकार ने भी पहचाना और इन्हें अपनी टीम में अहम जगह दी। यह इस बात का संकेत है कि भारतीय मूल के नेता अब सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे बड़े देशों में भी सियासत के केंद्र में हैं।
क्या भारत की जड़ें रखने वाली ये दो महिलाएं कनाडा की सियासत में नया इतिहास रचेंगी? यह देखने लायक होगा!

VIKAS TRIPATHI
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