
नोएडा, सेक्टर 40
पिघलती मोमबत्तियों की लौ में तपता देश का राष्ट्रवाद एक बार फिर जाग उठा — इस बार पहलगाम में निर्दोषों की हत्या पर। जवाब में, सनातन संरक्षण कल्याण समिति ने शक्ति धाम मंदिर से एक अनोखा कैंडल मार्च निकाला, जिसमें मोमबत्तियों से ज़्यादा संकल्प जले — कुछ इतने गर्म कि सेक्टर 40 की हवा में ‘भाईचारा’ खुद धुआं-धुआं हो गया।
सभा का नेतृत्व कर रहे ज्ञान प्रकाश जी ने मोमबत्ती हाथ में थामते हुए कहा, “अब से कोई भी मुसलमान का काम नहीं करवाएंगे।” एक अन्य बुजुर्ग ने फुसफुसाकर पूछा, “लेकिन फिर हलवाई कौन होगा?” जवाब में सन्नाटा छा गया — कुछ तो मौन व्रत का हिस्सा था, कुछ आत्मचिंतन का।
अरुण कालरा और अच्युत त्रिपाठी ने संकल्प दोहराया — “हमें अब केवल हिंदू प्रोडक्ट ही इस्तेमाल करने हैं।” शायद अब टीवी पर “100% सनातनी साबुन” का विज्ञापन भी देखने को मिलेगा, जिसमें वोकनेस को धोने की गारंटी हो।
मंदिर समिति, RWA और कई अन्य गणमान्य लोगों ने इस मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। सूत्रों के मुताबिक, सभा में “हम मोदी जी के साथ हैं” का नारा इतनी बार दोहराया गया कि पास खड़े माइक ने खुद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली।

किसी ने कहा, “हमने अब ठान लिया है — देशहित में अब हम सिर्फ अपने भाइयों से सेवाएं लेंगे।” इस पर एक नौजवान ने पूछा, “भाई कोडिंग आता है क्या?” जवाब आया — “सच्चा सनातनी सब कुछ सीख सकता है।”
कैंडल मार्च के अंत में सभी उपस्थित लोगों ने एक स्वर में कहा, “मोमबत्तियों की तरह हम भी पिघलते रहेंगे — लेकिन सिर्फ अपने ही तेल में।”
देश में घटनाओं की संवेदना पर शोक होना स्वाभाविक है, लेकिन जब शोक एक तरफा बहिष्कार और बहुसंख्यक विमर्श का औजार बन जाए — तब मोमबत्तियाँ रोशनी कम और धुंआ ज़्यादा फैलाती हैं।
आप चाहें तो इस व्यंग्य को और विस्तार या किसी विशेष शैली में ढालकर भी लिखा जा सकता है — जैसे हरिशंकर परसाई या काका हाथरसी की शैली में।