
बरेली में एक समय ऐसा भी आया, जब जनता को लगा कि डीएम साहब (अभिषेक प्रकाश) सिर्फ जिले के नहीं, बल्कि जमीन के भगवान बन चुके हैं। सरकारी जमीन, तालाब, गांव-कस्बे — सब मानो उनकी जेब में थे। लोग कागजों में जमीन खोजते रहे और साहब अपने खास बिल्डरों के साथ प्लॉटिंग में लगे रहे।
इंटरनेशनल सिटी प्रोजेक्ट असल में कोई टाउनशिप नहीं, बल्कि “इंटरनेशनल घोटाला” निकला। 600 एकड़ सरकारी जमीन पर साहब के करीबी भू-माफिया ने बस्ती बसा दी और बरेली वालों को बताया गया, “देखिए, विकास का कमाल!”
असल में यह विकास नहीं, बेनामी कारोबार का शानदार नमूना था, जहां राजस्व विभाग, BDA और प्रशासन की आंखों में पट्टी बांध दी गई थी — वो भी खुद डीएम साहब ने।
भू-माफिया राजू खंडेलवाल और विपिन अग्रवाल जैसे चेहरे सिर्फ मोहरे थे, असली खिलाड़ी तो साहब खुद थे, जो अपनी पोस्टिंग के दौरान बरेली की जमीनों पर शतरंज खेलते रहे।
बीजेपी नेता महेश पांडेय ने जब इस खेल का भांडा फोड़ा, तो मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा। अब तो बात यहाँ तक आ गई है कि ED भी फावड़ा, बेलचा लेकर खुदाई करने उतरी है — पता लगाने कि इंटरनेशनल सिटी के नीचे कितनी बेनामी संपत्तियों की खदान छुपी है।
महेश पांडेय ने कहा है कि वह खुद ED में शिकायत देंगे। लगता है अब साहब के “इंटरनेशनल सपनों” का लोकल हिसाब-किताब होने वाला है।
बीच में BDA भी है, जो इस पूरे मामले में वैसे ही है जैसे शादी में सिर्फ मिठाई बांटने वाला रिश्तेदार — कागज़ी कार्रवाई तक सीमित।
साहब का राज खत्म, अब हिसाब शुरू!
बरेली की जनता कह रही है —
“हम तो सोचे थे DM साहब विकास करेंगे, ये तो पूरा रियल एस्टेट एम्पायर खड़ा कर गए!”

VIKAS TRIPATHI
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