नोएडा। बुधवार को नोएडा में किसानों और पुलिस के बीच तीखी झड़प के बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया।
81 गांवों के किसानों ने अपनी लंबित मांगों को लेकर नोएडा प्राधिकरण कार्यालय सेक्टर-6 के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया।किसानों का आरोप है कि 3 अक्टूबर को हुई प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में उनके मुद्दों पर चर्चा नहीं की गई, जिससे वे नाराज हैं।अब उन्होंने अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है और कहा है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन जारी रहेगा।
सुबह से जुटी भीड़, हरौला से निकला विशाल मार्च
सुबह से ही सेक्टर-5 के हरौला बारातघर में किसानों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई।
करीब 1 बजे हजारों किसान भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) मंच के बैनर तले मार्च करते हुए सेक्टर-6 स्थित प्राधिकरण कार्यालय की ओर बढ़े।
रास्ते में पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर रोकने की कोशिश की, लेकिन गुस्साए किसानों ने उसे तोड़ दिया और स्वागत कक्ष के सामने सड़क पर ही धरना दे दिया।
इस दौरान पुलिस और किसानों के बीच नोकझोंक और धक्का-मुक्की भी हुई, जिससे स्थिति कुछ देर के लिए तनावपूर्ण हो गई।

किसानों की अध्यक्षता और संचालन टीम
धरने की अध्यक्षता अनुप निर्वाण ने की, जबकि सुनील भाटी और आशीष चौहान ने मंच संचालन किया।
भाकियू मंच के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अशोक चौहान ने बताया कि —
“आज से नोएडा प्राधिकरण पर हमारा अनिश्चितकालीन धरना शुरू हो गया है।जब तक किसानों की मांगे पूरी नहीं होतीं, यह आंदोलन लगातार जारी रहेगा।”
किसानों की तीन मुख्य मांगें
1.भूमि अधिग्रहण के बदले 10% भूखंड आवंटन।
2.बकाया मुआवजे का तत्काल भुगतान।
3.आबादी भूमि और पुनर्वास से जुड़े सभी विवादों का पूर्ण निस्तारण।
किसानों का कहना है कि ये मांगें वर्षों से लंबित हैं और प्रशासन सिर्फ “आश्वासन” देता रहा है, समाधान नहीं।
पुलिस और प्रशासन की कोशिशें नाकाम
करीब 3 बजे नोएडा प्राधिकरण के ओएसडी क्रांति शेखर, अरविंद कुमार और एसीपी प्रवीण कुमार किसानों से बातचीत करने धरना स्थल पहुंचे।
उन्होंने किसानों को प्राधिकरण के अंदर वार्ता करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसानों ने स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया।
किसानों का कहना था कि —

“प्राधिकरण के अधिकारी धरना स्थल पर ही आएं और सबके सामने बताएं कि अब तक किसानों के कौन-कौन से मुद्दे सुलझाए गए हैं।”
जब अधिकारी इस शर्त पर तैयार नहीं हुए, तो वे वापस प्राधिकरण लौट गए।
वार्ता असफल — किसानों ने उठाए सख्त सवाल
बाद में भारतीय किसान यूनियन मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष विमल त्यागी ने प्राधिकरण अधिकारियों से सीधे सवाल-जवाब किए।यह बातचीत लगभग 40 मिनट चली, लेकिन किसानों को कोई ठोस जवाब नहीं मिला।इससे नाराज होकर किसानों ने घोषणा की —
“अब बातचीत केवल नोएडा प्राधिकरण के चेयरमैन दीपक कुमार से ही होगी। किसी अन्य अधिकारी से कोई वार्ता नहीं की जाएगी।”
किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि प्राधिकरण के सीईओ डॉ. लोकेश एम किसानों के बीच नहीं पहुंचे, जिससे नाराजगी और बढ़ी।
🪧 भाकियू मंच का ऐलान: “अब नहीं सिर्फ आश्वासन”
भाकियू मंच के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधीर चौहान ने कहा —
“जब तक किसानों के सभी मुद्दों का समाधान नहीं होता,नोएडा प्राधिकरण के बाहर हमारा धरना अनिश्चितकाल तक जारी रहेगा।अब यह आंदोलन सिर्फ आश्वासन पर खत्म नहीं होगा।”
उन्होंने प्रशासन से मांग की कि चेयरमैन दीपक कुमार खुद आकर किसानों से मीटिंग करें और जमीन से जुड़ी हकीकत पर काम शुरू करें।
कई प्रमुख किसान नेता रहे मौजूद
धरना स्थल पर बड़ी संख्या में किसान और उनके संगठन प्रतिनिधि मौजूद रहे।
इनमें सूरज प्रधान, सुरेंद्र प्रधान, प्रमोद त्यागी, डी.पी. चौहान, गौतम लोहिया, विक्रम यादव, सुरेश त्यागी, रोहतास चौहान, मीडिया प्रभारी अशोक चौहान, मंविंदर भाटी, सुनील भाटी, वीर सिंह टाइगर, कृष्ण भड़ाना, श्याम सिंह चौहान, गजेन्द्र बैसोया, योगेश भाटी, विमल त्यागी, आशीष चौहान, राहुल पवार, सोनू लोहिया, उदय चौहान, फिरे चौहान, उमंग शर्मा, अमित बैसोया, रिंकू यादव, सरजीत खारी, मुनेश प्रधान, भंवर सिंह चौहान, कंवरपाल चौहान, अभिषेक चौहान समेत हजारों किसान और महिलाएं शामिल हुईं।

पृष्ठभूमि: वर्षों से अधर में किसानों की उम्मीदें
नोएडा क्षेत्र के गांवों की भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया 1976 में शुरू हुई थी।
किसानों का आरोप है कि उन्हें अब तक न तो वादा किया गया 10% भूखंड आवंटन मिला, न ही बकाया मुआवजा।
इसके अलावा आबादी भूमि और पुनर्वास से जुड़े विवाद भी दशकों से अटके हुए हैं।
किसानों का कहना है कि वे अब “अंतिम समाधान” चाहते हैं, सिर्फ लिखित आश्वासन नहीं।
स्थिति पर कड़ी निगरानी, लेकिन किसानों का रुख अडिग
पुलिस ने मौके पर भारी सुरक्षा बल तैनात किया है और प्राधिकरण परिसर के चारों ओर कंट्रोल जोन बनाया गया है।
प्रशासन लगातार किसानों से संवाद बनाए रखने की कोशिश कर रहा है, लेकिन किसानों का रुख फिलहाल अडिग है।
धरना स्थल पर रातभर भीड़ बनी रही, और किसान वहीं डटे रहे।
निष्कर्ष: समाधान की दिशा में अब चेयरमैन से ही उम्मीद
नोएडा में किसानों का यह अनिश्चितकालीन आंदोलन सिर्फ भूमि विवाद नहीं, बल्कि विश्वास की लड़ाई बन चुका है।
किसानों को भरोसा है कि जब तक चेयरमैन दीपक कुमार स्वयं आगे नहीं आते, कोई वास्तविक प्रगति संभव नहीं।
अब देखना यह है कि प्रशासन संवाद की दिशा में आगे बढ़ता है या यह आंदोलन और व्यापक रूप ले लेता है।














