सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि भारत को उन अपराधियों को वापस लाने का पूर्ण अधिकार है, जो कानून से बचने की कोशिश करते हैं। अदालत ने उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया जिसमें एक आरोपी ने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से उसके प्रत्यर्पण के लिए भारत सरकार द्वारा भेजे गए अनुरोध को वापस लेने की मांग की थी।
याचिकाकर्ता विजय मुरलीधर उधवानी के खिलाफ 153 आपराधिक मामले दर्ज हैं। वह जुलाई 2022 में दुबई भाग गया था और उस पर गैरकानूनी शराब तस्करी सहित कई संगठित अपराधों में शामिल होने का आरोप है।
“एफआईआर दुबई में थाली में परोसी जाए?” – कोर्ट की सख्त टिप्पणी
जब उधवानी की ओर से पेश वकील ने कहा कि उसे दर्ज FIR की प्रतियां उपलब्ध नहीं कराई गई हैं, तो पीठ ने तीखी टिप्पणी की:
“आप चाहते हैं कि FIR का विवरण आपको दुबई में प्लेट में परोसा जाए? इंडिया आइए, पूरा ब्योरा सम्मान के साथ मिल जाएगा।”
हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका
उधवानी ने गुजरात हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उसकी याचिका खारिज की गई थी। वह रेड कॉर्नर नोटिस हटाने और UAE को भेजा गया प्रत्यर्पण अनुरोध रद्द करने की मांग कर रहा था।
मामले की सुनवाई जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच कर रही थी।
कोर्ट– “इतने अपराध दर्ज हैं, वापस आएं… स्वागत होगा”
जब वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ 38 प्रतिबंध अधिनियम (Prohibition Act) के तहत मामले दर्ज हैं लेकिन उन्हें सूची नहीं मिली, तो कोर्ट ने कहा:
“कई अपराध दर्ज हैं, आप भारत लौटिए… आपका भव्य स्वागत किया जाएगा।”
बेंच ने यह भी स्पष्ट किया कि: “यह कोई रॉकेट साइंस नहीं है। आपके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट है। यदि दस्तावेज़ चाहिए तो अधीनस्थ अदालत में आवेदन करें।”
वकील– पासपोर्ट नहीं, कोर्ट– “चिंता न करें, वे आपको ले आएंगे”
जब वकील ने तर्क दिया कि उधवानी भारत वापस आना चाहता है लेकिन उसका पासपोर्ट नहीं है, तब कोर्ट ने जवाब दिया:“चिंता मत कीजिए… अधिकारी आपको ले आएंगे।”
सुप्रीम कोर्ट के इस सख्त रुख ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि भारत कानून से भागने वालों को विदेश में छिपने नहीं देगा, और कानून से बचने की कोशिश करने वाले अपराधियों को देश वापस लाने के प्रयास जारी रहेंगे।














