
चेन्नई – तमिलनाडु के वन मंत्री के. पोनमुडी ने हाल ही में ऐसा बयान दिया, जिसने राजनीति की गिरावट को एक नई गहराई दे दी। शैव और वैष्णव तिलक को लेकर उनका “व्यंग्यात्मक” (या कहें तो अश्लील) बयान न सिर्फ धार्मिक आस्था का मखौल बना गया, बल्कि सभ्यता और सार्वजनिक मर्यादा की भी अर्थी निकाल दी — और मजे की बात ये कि मंच पर मौजूद सज्जनों ने ठहाके लगाकर इसे “हास्य का स्वर्णकाल” घोषित कर दिया।
शायद अब सार्वजनिक जीवन में ‘अभद्रता’ ही नई योग्यता है, और ‘तिलक’ आपकी आस्था नहीं, बल्कि ‘स्थिति’ बताने का सूचक बन चुका है — मंत्री जी की दृष्टि में।
तिलक नहीं, तमाशा है ये!
पोनमुडी के बयान को अगर किसी ने सबसे पहले गंभीरता से लिया, तो वो हैं राज्यपाल आर. एन. रवि। उन्होंने इस बयान को न केवल शर्मनाक बताया, बल्कि साफ कहा कि मंत्री ने महिलाओं, भगवानों और आस्थाओं — तीनों का अपमान एक ही सांस में कर डाला है। यानी “वन मंत्री” अब “वाणी मंत्री” भी हो गए हैं, जिनकी बातों में जंगल से ज़्यादा जंगलीपन झलकता है।
DMK की कार्रवाई या लीपापोती?
बयान के बाद सोशल मीडिया से लेकर संसद तक हंगामा मचा, तो DMK ने मंत्री को “उपमहासचिव पद” से हटा दिया। जी हां, मंत्री पद से नहीं, पार्टी के एक डेकोरेटिव पद से। इसे कहते हैं ‘प्रतिक्रियावादी सुधार’ – जिसमें लज्जा नहीं, केवल रणनीति होती है। जनता को लगा कि कुछ हुआ, और पार्टी ने सोचा कि अब मामला ठंडा हो जाएगा।
हास्य के नाम पर हिंदू आस्था का अपमान?
शैव और वैष्णव तिलक को लेकर पोनमुडी का मजाक सिर्फ धार्मिक आस्थाओं पर चोट नहीं था, यह बताता है कि सत्ता में बैठे लोग अब किसी भी विषय को “कॉमेडी कंटेंट” में बदलने से नहीं हिचकते – फिर चाहे वो भगवान हों, महिलाएं हों या भारतीय संस्कृति।
और हैरानी की बात ये है कि मंच पर मौजूद गणमान्य ठहाके लगाते नजर आए — जैसे किसी सस्ते स्टैंडअप कॉमेडियन का शो चल रहा हो, और दर्शक बुरी तरह बोर हो रहे हों — बस यहां ठहाकों में ‘संस्कार’ मरते जा रहे थे।
सवाल ये नहीं कि पोनमुडी क्या बोले, सवाल ये है कि समाज कितना सुन रहा है
क्या ये पहली बार है जब किसी नेता ने सार्वजनिक रूप से धर्म या स्त्री को लेकर अशोभनीय टिप्पणी की? नहीं। लेकिन हर बार की तरह, हम इस बार भी सिर्फ बयान की निंदा करेंगे, थोड़ी कार्यवाही करेंगे, और फिर अगले तमाशे का इंतज़ार करेंगे। क्योंकि यही तो लोकतंत्र का सबसे लोकप्रिय प्रहसन बन चुका है।

VIKAS TRIPATHI
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