नई दिल्ली, 2025 — संसद ने केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों की निगरानी और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए 24 विभागीय स्थायी समितियों (Departmentally Related Standing Committees — DRSCs) का गठन किया। इन समितियों के अध्यक्षों और प्रमुख सदस्यों की हालिया नियुक्तियों में कई नाम सामने आए हैं, जिनमें शशि थरूर, राजीव प्रताप रूडी, राधा मोहन दास अग्रवाल और दिग्विजय सिंह जैसे अनुभवी सांसद शामिल हैं।
प्रमुख नियुक्तियाँ और जिम्मेदारियाँ
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डॉ. शशि थरूर को विदेश मामलों (External Affairs) से संबंधित संसदीय स्थायी समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। इस पैनल को सरकार के विदेश नीतियों और विदेश मंत्रालय के कार्यों पर संसद के समुचित व समेकित प्रश्न-उत्तर तथा निगरानी का कार्य दिया जाता है।
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राजीव प्रताप रूडी को जल संसाधन से जुड़ी स्थायी समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है — जिन्होंने जल-नीति, सिंचाई परियोजनाओं और संबंधित योजनाओं पर समिति की अगुवाई करनी है।
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डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल को गृह कार्य संबंधी समिति (Home Affairs) का अध्यक्ष बनाया गया है; गृह मामलों, आंतरिक सुरक्षा और संबंधित नीतियों पर यह समिति रिपोर्ट तैयार करती है।
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कांग्रेस के दिग्विजय सिंह को महिला, बाल विकास, शिक्षा और युवा मामलों से जुड़ी स्थायी समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है — यह समिति इन संवेदनशील क्षेत्रों की नीतियों, योजनाओं और उनके क्रियान्वयन की निगरानी करेगी।
इनके अलावा अन्य महत्वपूर्ण नियुक्तियों में टीएमसी के तिरुचि शिवा (उद्योग), जेडीयू के संजय कुमार झा (परिवहन), राम गोपाल यादव (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण), बीजेपी के निशिकांत दुबे (संचार व सूचना प्रौद्योगिकी), राधा मोहन सिंह (रक्षा), भर्तृहरि महताब (वित्त), सी. एम. रमेश (रेल), कीर्ति आज़ाद (रसायन एवं उर्वरक), अनुराग सिंह ठाकुर (कोयला, खनन व इस्पात) आदि के नाम शामिल हैं।
24 समितियों का स्वरूप और महत्व
विभागों से संबंधित ये 24 स्थायी समितियाँ केंद्र सरकार के सभी प्रमुख मंत्रालयों और विभागों की जिम्मेदारी रखती हैं। प्रत्येक समिति में 31 सदस्य होते हैं — 21 लोकसभा और 10 राज्यसभा सदस्य — और इनका कार्यकाल सामान्यतः एक वर्ष तक का होता है। ये समितियाँ विधायी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता, नीतियों का क्रॉस-चेक व रिपोर्टिंग और मंत्रालयों के कामकाज पर संसद की निरंतर जांच सुनिश्चित करती हैं।
प्रक्रिया तथा पारदर्शिता
समितियों के अध्यक्षों और सदस्यों के चयन/नामांकन की प्रक्रिया संसदीय नियमों, दलों के अनुपात और स्पीकर/चेयरमैन के निर्देशों के अनुरूप होती है। नियुक्ति के बाद ये पैनल संबंधित मंत्रालयों से रिपोर्ट और बजट विषयक दस्तावेज व ब्रीफिंग लेकर विस्तृत विश्लेषण, प्रश्न-सूची और अनुशंसाएँ तैयार करते हैं, जिन्हें बाद में संसद के समक्ष प्रस्तुत किया जा सकता है।
क्या बदलने की उम्मीद है?
नए अध्यक्षों के साथ यह उम्मीद की जाती है कि समितियाँ सक्रिय होकर मंत्रालयों की नीतियों, निवेश-परियोजनाओं, कार्यान्वयन के अंतर, और सार्वजनिक हित के मसलों पर कठोर और तकनीकी परीक्षण करेंगी। कुछ समितियों के मामलों में पहले से चल रहे अध्ययन और रिपोर्टिंग जारी रहेगी, जबकि अन्य नए विषयों पर फोकस कर सकती हैं — उदाहरण के लिए जल संसाधन, स्वास्थ्य, संचार और विदेश नीति पर हालिया चुनौतियाँ और सार्वजनिक हित के मुद्दे प्राथमिकता पा सकते हैं।