रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर ऑस्ट्रेलिया पहुँचे हैं। वे 2014 के बाद ऑस्ट्रेलिया जाने वाले पहले भारतीय रक्षा मंत्री हैं। इस दौरे का उद्देश्य भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करना है।
बुधवार को सिडनी एयरपोर्ट पर उनका स्वागत भारत के उच्चायुक्त गोपाल बागले और वरिष्ठ ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों ने किया। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब दोनों देशों के बीच ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ के पाँच वर्ष पूरे हो रहे हैं।
रक्षा उद्योगों के बीच सहयोग पर जोर
राजनाथ सिंह सिडनी में आयोजित होने वाले डिफेंस इंडस्ट्री राउंड टेबल में हिस्सा लेंगे, जिसमें भारत और ऑस्ट्रेलिया के रक्षा क्षेत्र से जुड़े प्रतिनिधि शामिल होंगे। इस दौरान टेक्नोलॉजी शेयरिंग, संयुक्त उत्पादन और नवाचार के अवसरों पर चर्चा होगी।
वे ऑस्ट्रेलिया के उप प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्ल्स तथा अन्य वरिष्ठ नेताओं से भी मुलाकात करेंगे।
यह दौरा दोनों देशों की सेनाओं के बीच होने वाले आगामी ‘AustraHind 2025’ संयुक्त सैन्य अभ्यास की तैयारी का भी आधार बनेगा।
दौरे के दौरान होने वाले तीन प्रमुख रक्षा समझौते
1.इंफॉर्मेशन शेयरिंग एग्रीमेंट — दोनों देश अब खुफिया जानकारी, साइबर सुरक्षा, आतंकवाद और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की गतिविधियों से संबंधित सूचनाओं का साझा आदान-प्रदान करेंगे। इससे क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूती मिलेगी।
2.मेरीटाइम सिक्योरिटी एग्रीमेंट — हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में नौसैनिक सहयोग, संयुक्त गश्त और समुद्री निगरानी बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। यह समझौता दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने में अहम भूमिका निभाएगा।
3.जॉइंट मिलिट्री एक्टिविटीज एग्रीमेंट — इसके तहत संयुक्त सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण कार्यक्रम और रक्षा तकनीकी सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। दोनों देशों की थल सेना, वायुसेना और नौसेना नियमित रूप से साझा अभ्यास करेंगी।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझा प्रतिबद्धता
राजनाथ सिंह का यह दौरा भारत और ऑस्ट्रेलिया की उस साझा प्रतिबद्धता को मजबूत करता है, जिसके तहत दोनों देश स्वतंत्र, खुले और सुरक्षित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। यह यात्रा