Thursday, October 9, 2025
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राहुल गांधी ने फिर उठाया ‘वोट चोरी’ का आरोप — दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस, चुनाव आयोग पर सख्त निशाना

नई दिल्ली — कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को दिल्ली में कांग्रेस कार्यालय के सभागार में एक विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस में वोटर-नामों की हेरफेर और उससे जुड़े गंभीर आरोपों को पुनः उठाया। उन्होंने चुनाव आयोग और उसके प्रमुख मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार पर जनता के हकों की रक्षा न करने और कथित रूप से उन लोगों की रक्षा करने का आरोप लगाया जिन्हें वे ‘लोकतंत्र के विनाशक’ करार दे रहे हैं।

राहुल गांधी ने अपनी प्रस्तुति के दौरान कर्नाटक की अलंद (Aland) विधानसभा सीट का हवाला देते हुए कहा कि वहां 6,018 वोटर्स के नाम हटाए गए/डिलीट किए गए हैं — जो, उनके मुताबिक़, योजनाबद्ध और सॉफ़्टवेयर-आधारित तरीके से किए गए तथाकथित ‘वोट डिलीट’ के भाग थे। उन्होंने दावा किया कि इनमें विशेष रूप से दलित और ओबीसी मतदाता शामिल हैं, जिन्हें निशाना बनाया गया है।

विधि और तरीका — सॉफ़्टवेयर व केंद्रित प्रक्रिया का आरोप
राहुल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोहराया कि यह एक व्यक्तिगत गड़बड़ी नहीं है बल्कि किसी सॉफ़्टवेयर के माध्यम से केंद्रीकृत और ऑटोमेटेड प्रक्रिया है जो बूथ सूची के पहले नाम से लेकर क्रमशः नामों को हटाता चला जा रहा है। उन्होंने बताया कि कई मामलों में बाहर के राज्यों के फोन नंबरों से फर्जी आवेदन/OTP का प्रयोग कर नाम हटवाए गए — और एक उदाहरण में उन्होंने बताया कि ‘सूर्यकांत’ नाम के एक व्यक्ति ने सिर्फ 14 मिनट में 12 वोट डिलीट करने के फॉर्म भरे। राहुल ने ये सबूत वीडियो, फॉर्म और स्क्रीनशॉट के रूप में मीडिया के सामने रखे।

मंच पर आए पीड़ित मतदाता — प्रत्यक्ष दावे
प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल ने एक कर्नाटक के मतदाता को भी मंच पर बुलाया, जिसने बताया कि उसके नाम पर दर्ज 12 लोगों के नाम अचानक हटाए गए और उसे इसका कोई जानकारियाँ नहीं दी गईं। इस प्रकार के प्रत्यक्ष शिकारों को सामने लाकर राहुल ने यह दिखाने की कोशिश की कि यह सिर्फ आँकड़ों की गड़बड़ी नहीं, बल्कि वास्तविक लोगों के संवैधानिक अधिकारों का हनन है।

कर्नाटक CID और चुनाव आयोग के सवाल — पत्रों का हवाला
राहुल ने दावा किया कि कर्नाटक CID ने इस मामले पर चुनाव आयोग को लगभग 18 पत्र लिखे और सवाल उठाए, पर आयोग ने सही तरीके से जवाब नहीं दिया और आवश्यक कार्रवाई नहीं की — इससे उनकी नज़रों में आयोग की भूमिका संदिग्ध दिखती है। राहुल ने कहा कि चुनाव आयोग तथ्यों को साझा करने से बच रहा है और इस तरह ‘लोकतंत्र के हत्यारों’ की रक्षा कर रहा है।

पिछला प्रसंग और लगातार विवाद — ‘हाइड्रोजन बम’ की पूर्व चेतावनी
राहुल गांधी ने इससे पहले भी इस श्रृंखला में 7 अगस्त को एक प्रस्तुति दी थी, जिसमें उन्होंने कर्नाटक की एक लोकसभा सीट के 2024 के आंकड़ों का हवाला देते हुए वोट चोरियाँ होने का आरोप लगाया था। उस प्रस्तुति और इसके बाद के तेवरों ने मीडिया और राजनैतिक गलियारों में ‘हाइड्रोजन बम’ जैसी बड़ी खुलासे की अटकलें जगाईं — गुरुवार के फ़ैसले में राहुल ने कहा कि आज ‘हाइड्रोजन बम’ नहीं है, पर उन्होंने उसी रेखा में ‘वोट डिलीट’ के व्यापक और सिस्टमेटिक दावों को प्रमुखता से रखा।

चुनाव आयोग-परिक्षेप और इसका काफिला — प्रतिक्रिया की संभावनाएँ
हाल के हफ्तों में चुनाव आयोग ने राहुल के कई दावों को चुनौती दी है और उनसे दस्तावेज माँगे गए हैं; वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने आरोपों पर सार्वजनिक बहस को जारी रखा है और जवाब की मांग तेज कर दी है। राजनीतिक तालमेल और विपक्ष-सरकार के बीच यह टकराव आने वाले दिनों में और तेज हो सकता है: राहुल ने स्पष्ट किया कि वह सबूतों के साथ सवाल उठाने पर अड़ा हुआ है और देश को जवाब चाहिए।

राजनीतिक निहितार्थ और संभावित आगमन-कार्रवाई
राहुल की यह प्रस्तुति न केवल चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर प्रश्न उठाती है, बल्कि अगले चुनावी संदर्भ में मतदाता-विस्थापन, सूची-रिवीजन प्रक्रियाओं और डिजिटलीकृत पद्धतियों की पारदर्शिता पर भी गंभीर शंकाएँ पैदा करती है। यदि इन दावों की छानबीन में वास्तविक मैनिपुलेशन और संरचित हटाने के संकेत मिले तो इससे चुनावों की वैधता, न्यायिक और प्रशासनिक स्तर पर पूछताछ और व्यापक जांच की मांग उठ सकती है — जिसमें चुनाव आयोग, केन्द्र/राज्य प्रशासन और क्रिप्टिक/सॉफ्टवेयर-लॉग्स की जाँच आवश्यक होगी।

कांग्रेस की अगली मांगें और समयसीमा
राहुल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग से ठोस जवाब और कार्रवाई की मांग कर रखी है; कुछ रिपोर्टों के अनुसार कांग्रेस ने आयोग को एक निर्धारित समय में जवाब मांगा है और अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो विपक्ष़ अगले कदम उठाने का संकेत दे सकता है — जिसमें संसद में प्रश्नोत्तरी, कानूनी कार्यवाही और जनांदोलन शामिल हो सकते हैं।

पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर बहस तीव्र
राहुल गांधी के दावे और उनके साथ पेश किए गए तथ्यों-दस्तावेज़ों ने एक बार फिर से चुनावी प्रक्रियाओं की पारदर्शिता और चुनाव आयोग की जवाबदेही पर देशव्यापी बहस हवा में उठा दी है। आरोप जितने भी गंभीर हों, इनका निष्पक्ष और तकनीकी सत्यापन ही आगे की दिशा तय करेगा — और यह तय करेगा कि क्या मामला राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की श्रेणी में रहेगा या कानूनी-प्रशासनिक जांचों के दायरे में जाएगा।

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VIKAS TRIPATHI
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