Thursday, October 9, 2025
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“PMModiInJapan” पीएम मोदी का द्वि–देशीय दौरा: जापान में शिखर सम्मेलन, फिर चीन में SCO—प्राथमिक एजेंडा: निवेश, टेक्नोलॉजी और बहुपक्षीय कूटनीति

टोक्यो/तियानजिन, 29 अगस्त 2025 — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (29 अगस्त) दो दिवसीय आधिकारिक दौरे पर जापान पहुंचे। वे जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के निमंत्रण पर 15वाँ भारत–जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन (India–Japan Annual Summit) में हिस्सा लेंगे। इसके बाद प्रधानमंत्री चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में शिरकत करने के लिए रवाना होंगे।

दौरे का कार्यक्रम (संक्षेप)

जापान (29–30 अगस्त 2025): 15वें वार्षिक शिखर सम्मेलन में बातचीत; तकनीकी, निवेश और रक्षा-निगम सहयोग पर समझौते/समझौते की सम्भावना।

चीन (31 अगस्त–1 सितम्बर 2025): तियानजिन में SCO शिखर सम्मेलन; राष्ट्रपति शी जिनपिंग, राष्ट्रपति व्लादимир पुतिन और अन्य नेताओं के साथ द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय बैठकें।

जापान का एजेंडा — रणनीतिक साझेदारी को अगले चरण पर ले जाना

स्रोतों के अनुसार, भारत–जापान शिखर वार्ता का केंद्रीय फोकस स्पेशल स्ट्रैटेजिक एंड ग्लोबल पार्टनरशिप को और मज़बूत करना, आर्थिक-निवेश संबंधों का विस्तार और उभरते क्षेत्रों—जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), सेमीकंडक्टर, और इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं (जैसे शिंकान्सेन/बुलेट ट्रेन पहल) — में सहयोग बढ़ाना है। दोनों देशों के बीच QUAD और Indo-Pacific सुरक्षा संवाद पर समन्वित नीतियों पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। चीन (SCO) — बहुपक्षीय मंच पर भारत की सक्रियता

तियानजिन में होने वाले SCO शिखर सम्मेलन में भारत अपने पारंपरिक रुख के साथ बहुपक्षीय मुद्दों पर सक्रिय और रचनात्मक भूमिका पेश करेगा। मोदी-शी की मुलाकातें द्विपक्षीय मसलों को सामान्य करने और सीमावर्ती तथा आर्थिक विषयों पर संवाद बहाल करने के अवसर होंगी। SCO की बैठक में वैश्विक, क्षेत्रीय सुरक्षा तथा आर्थिक सहयोग पर भी विचार-विमर्श चलेगा।

क्या मिलने की उम्मीद है — ठोस नतीजों के संकेत

सूत्र बताते हैं कि इस दौर की पहलें निम्न बिंदुओं पर केन्द्रित होंगी:

निवेश और विनिर्माण समझौतों को तेज़ करना (विशेषकर सेमीकंडक्टर और उच्च-प्रौद्योगिकी में)।

रक्षा और सुरक्षा सहयोग — प्रशिक्षण, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर तथा साझा लॉजिस्टिक पहल।

SCO मंच पर क्षेत्रीय स्थिरता, हेल्थ/डिजास्टर रिस्पॉन्स और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बल देना।

कूटनीतिक महत्व और पृष्ठभूमि

यह दौरा उस बृहत्तर रणनीति की कड़ी माना जा रहा है जिसमें भारत एक साथ कई साझेदारों के साथ व्यावहारिक और रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ा रहा है—ताकि राष्ट्रीय हित, आर्थिक विकास तथा क्षेत्रीय स्थिरता को संतुलित किया जा सके। जापान के साथ तकनीकी-आधारित सहयोग और चीन में बहुपक्षीय मंच पर संवाद, दोनों ही नई कूटनीतिक सक्रियता के संकेत हैं।

सुरक्षा, मीडिया और अनुकूलन

दोनों ही दौरों के दौरान सुरक्षा व्यवस्थाएँ कड़ी रहेंगी; प्रेस ब्रीफिंग और संभावित MoUs/प्रोटोकॉल के हस्ताक्षर सार्वजनिक किए जाने की संभावना है। प्रधानमंत्री के बयान और बैठक के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य से द्विपक्षीय व बहुपक्षीय मकसदों का स्पष्ट खाका सामने आएगा।

प्रधानमंत्री मोदी का यह जापान-चीन दौरा रणनीतिक द्विध्रुवीय संवाद और बहुपक्षीय प्लेटफॉर्म दोनों पर भारत की सक्रिय कूटनीति को दर्शाता है — एक तरफ जापान के साथ आर्थिक व तकनीकी साझेदारी को अगला चरण देना, वहीं दूसरी तरफ SCO में संवाद के जरिए क्षेत्रीय मुद्दों पर प्रभाव बढ़ाना इसकी मुख्य प्राथमिकताएँ हैं।

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VIKAS TRIPATHI
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